विचार / लेख

ऑस्कर के पीछे छिपी साजिश से बेखबर लोग
16-Mar-2023 6:51 PM
ऑस्कर के पीछे छिपी साजिश से बेखबर लोग

-सुब्रतो चटर्जी

अमरीकी साम्राज्यवाद को चीन के विरुध्द भारत को खड़ा करने के लिए नाटू-नाटू जैसे थर्ड क्लास गाने को ऑस्कर देने की जरूरत है। मूर्खों को बाद में समझ आएगा। अभी नाचो।जिंदगी में जब भी प्रशंसा मिले सबसे पहले यह देखिए कि कौन कर रहा है और क्यों कर रहा है। बिना निहित स्वार्थ की पहचान किए आप बहक जाएँगे।  

दूसरी जरूरी बात है आत्म विश्लेषण। अगर मेरी किसी घटिया कृति पर बहुत वाहवाही मिलती है तो मैं उसे मिटा देता हूँ। हाल में ही रेत समाधि जैसे औसत से नीचे दर्जे की किताब को भी बुकर पुरस्कार मिल गया। ये घटनाएँ मुझे उन दिनों की याद दिलातीं हैं जब भारत के नए बाजार में कॉस्मेटिक बेचने के लिए सुस्मिता सेन को ब्रह्मांड सुंदरी के खिताब से नवाजा गया।

वह नब्बे के दशक का दौर था। आगे की कहानी आपको मालूम है । हर छोटे बड़े शहर की गलियों में कुकुरमुत्ते की तरह ब्यूटी पार्लर उग आए। हर दूसरी भारतीय लडक़ी खुद को कुरुप मानते हुए वहाँ जाने लगीं। यहाँ तक कि सुंदरता के पैमाने भी बदल गए। उबटन और मुल्तानी मिट्टी से चमकते हुए, अच्छी साड़ी में लिपटी वधू अब किसी को पसंद नहीं। सबको फेशियल, आई ब्रो, पैडिक्योर, मैनिक्योर, वैक्सिंग की हुई मोम की गुडिय़ा पसंद है। हम भूल गए कि बाजार पहले आपकी जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए साधन उपलब्ध कराता है और जता देता है कि आप एक बहुत ही घटिया जिंदगी जी रहे हैं । आपको लगता है कि सरकारी स्कूल और अस्पताल बेकार हैं और प्राइवेट बेहतर हैं।

नतीजा यह होता है कि आप सरकार पर बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के लिए दबाव बनाना छोड़ देते हैं और धीरे-धीरे कल्याणकारी राज्य की अवधारणा को आपकी सहमति से ही फासिस्ट लोगों द्वारा खत्म किया जाता है।

ठीक इसी तरह से प्राईवेट क्षेत्र के कुछेक उच्च सैलरी पाने वाले लोगों को प्रचारित कर आपको बताया जाता है कि कैसे निजी क्षेत्र सरकारी क्षेत्र से बेहतर सुख सुविधाएँ देता है। आपको ये सोचने की फुर्सत नहीं है कि इतने बड़े देश और इतनी बड़ी जनसंख्या को रोजगार देने के लिए निजी क्षेत्र के पास कितनी बड़ी पूँजी और संसाधन हैं। आप ये भी नहीं समझते हैं कि सैलरी नौकरी का एक हिस्सा है, सामाजिक सुरक्षा, मान सम्मान, देश की प्रगति से सीधे तौर पर जुडऩे का जो मौका एक सरकारी कर्मचारी के पास है वह किसी सत्य नाडेला के पास भी नहीं है ।

नतीजतन, आप अपने बच्चों को कॉरपोरेट ग़ुलाम बनाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं और वे पैसों से भरपूर एक नाकामयाब जिंदगी जीते रहते हैं। इस तरह से आप शोषण और युद्ध आधारित पूँजीवादी व्यवस्था के कल्पतरु की जड़ों में अपने खून को पानी समझ कर सींचते रहते हैं ।

आज की परिस्थितियों में मैं देश की राजनीतिक व्यवस्था पर मध्यम वर्ग की चुप्पी के बारे बहुत कुछ सुनता रहता हूँ। यह मध्यम वर्ग कौन है और क्या है इसका राजनीतिक, सामाजिक चरित्र? यह वही वर्ग है जिसकी आधी आबादी ब्यूटी पार्लर के आसरे है खूबसूरत दिखने के लिए और बाकी महानगरों में एक फ्लैट खरीदने को अपने जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि मान कर सारे गलत सही काम निर्विकार भाव से करती है।

अब एक नई  चाल चली गई है । हमारे हजारों साल पुराने शास्त्रीय संगीत पर कोई भी गीत उनको ऑरिजिनल नहीं लगता, लेकिन एक सी ग्रेड फि़ल्म की डी ग्रेड गाने को पुरस्कार मिलता है । वे जानते हैं कि राष्ट्रवाद के इस घिनौने दौर में अधिकांश भारतीयों के दिमाग को यह कितना सुकून पहुँचाएगा और गधों को नाचते देखना मजेदार तो होता ही है।

समाज और देश के पतन के लिए सबसे ज्यादा जि़म्मेदार विचारों का पतन होता है । हो सके तो इसे बचा लीजिए। चलते चलते बता दूँ कि हाथी पर बनी डॉक्यूमेंट्री को मिले पुरस्कार के लिए उनके निर्माता वाकई बधाई के पात्र हैं। आपको ये विरोधाभास लग रहा होगा, लेकिन लोहे के पंजे मखमल के दस्तानों में ही छुपे रहते हैं....

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news