सामान्य ज्ञान

कैलीस्टो
17-Mar-2023 12:01 PM
कैलीस्टो

कैलीस्टो बृहस्पति का आंठवा ज्ञात और दूसरा सबसे बड़ा उपग्रह है। यह गैलेलीयन चन्द्रमाओ में सबसे बाहर है। इसकी कक्षा है 18 लाख 83 हजार  किमी (बृहस्पति से), वहीं व्यास है - 4800 किम।

ग्रीक कथाओं के अनुसार कैलीस्टो जियस की प्रेमिका देवी थी जिससे हेरा नफरत करती थी। हेरा ने उसे भालू में बदल दिया था और जियस ने उसे सप्त ऋषि तारामण्डल के रूप में रख दिया था। वैज्ञानिक रूप से इसकी खोज गैलीलियो ने 1610 में की थी।

कैलीस्टो बुध ग्रह से थोड़ा ही छोटा है लेकिन इसका द्रव्यमान बुध का एक तिहाई है। गनीमेड के विपरित कैलीस्टो की कोई अंदरूनी संरचना नहीं है। कैलीस्टो की आंतरिक संरचना गैलेलीयो यान से प्राप्त जानकारी के अनुसार कैलीस्टो का आंतरिक भाग अब शांत हो रहा है और चट्टाने केन्द्र की ओर बढ़ रही है। कैलीस्टो में 40 प्रतिशत  बर्फ और 60 प्रतिशत चट्टान/लोहा है। टाईटन और ट्राईटन भी शायद कैलीस्टो के जैसे हैं।

 कैलीस्टो की सतह क्रेटरों से पटी है। इसकी सतह पूरानी है जो मंगल और पृथ्वी के चन्द्रमा के जैसी है। कैलीस्टो के सतह पूरे सौर मंडल मे सबसे पुरानी और सबसे ज्यादा क्रेटरों से भरी है जो पिछले 4 अरब वर्षो से ज्यादा नहीं बदली है। गनीमीड की तरह कैलीस्टो के प्राचीन क्रेटर बुझ गए है। इनमें भी वलयाकार पर्वत और केन्द्र में गहरा गड्डा नहीं है जो कि चन्द्रमा और बुध के क्रेटरों में होता है। कैलीस्टो में एक क्रेटरो की श्रृंखला है जो एक रेखा में है जिसे गीपूल केटेना कहते हैं। यह किसी बड़ी उल्का के टुकड़ों में कैलीस्टो से टकराने से बनी है। यह घटना शुमेकर लेवी धूमकेतु के बृहस्पति से टकराने के जैसी होगी। कैलीस्टो का कार्बन डाय आक्साईड का पतला वातावरण है। कैलीस्टो का कमजोर चुंबकीय क्षेत्र है जो सतह के नीचे नमकीन द्रव के कारण हो सकता है।

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news