सामान्य ज्ञान

दूध में केसीन नाम का प्रोटीन होता है, इसी प्रोटीन के कारण दूध का रंग सफेद होता है। जब दूध में जामन लगाया जाता है, तब यह दही में बदल जाता है। जमे हुए दूध में लेक्टिक एसिड बैक्टीरिया होता है, जो केसीन प्रोटीन को जमा देता है। दूध का यही जमा हुआ रूप दही कहलाता है।
दूध से दही बनाना एक ऐसी रासायनिक क्रिया है, जो बैक्टीरिया और केसीन प्रोटीन के बीच होती है। दही का प्रयोग मनुष्य लंबे समय से करता आ रहा है। दही का सेवन पेट संबंधी रोगों के लिए बहुत ही लाभदायक होता है। प्राचीन काल में तो दही दवा के रूप में बेचा जाता था। दही में उपस्थित बैक्टीरिया आंतों में जमी गंदगी को साफ करता है। कुछ विशेषज्ञों का तो यहां तक कहना है कि नियमित रूप से दही का इस्तेमाल पेट का कोई रोग नहीं होने देता। दही का सेवन कई प्रकार से किया जाता है। कुछ लोग दही में नमक डालकर खाते हैं, तो दूसरे कुछ लोग चीनी डालकर खाते हैं। बंगाल में दूध को जमाने से पहले ही चीनी या फिर खजूर का गुड़ और केसर मिला दी जाती है। इसे मिष्ठïी दही कहा जाता है, जो बड़ा ही स्वादिष्टï होता है।