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अमेरिकी जीवन की चमक-दमक के पीछे डरावनी हकीकत, अधिकतर युवा दुख, अवसाद में डूबे, सुसाइड के प्रयास बढ़े
20-Mar-2023 3:28 PM
अमेरिकी जीवन की चमक-दमक के पीछे डरावनी हकीकत, अधिकतर युवा दुख, अवसाद में डूबे, सुसाइड के प्रयास बढ़े

भरत डोगरा

भारत समेत दुनिया-भर में युवाओं के लिए अमेरिकी युवाओं की जीवन-शैली आकर्षण का एक बड़ा केन्द्र रही है। एक तो धनी देश, तिस पर अनेक तरह के बंधनों से मुक्त समाज, अति विख्यात शिक्षण संस्थान- ऐसे देश और समाज के प्रति युवाओं का आकर्षण समझा जा सकता है। पर इससे अलग भी एक तस्वीर है जिसे देखना जरूरी है और इसे देखने-समझने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका की प्रमुख स्वास्थ्य एजेंसी ‘सेंटर्स फॉर डिजीज कन्ट्रोल एंड प्रेवेन्शन’ ने सरकारी आंकड़ों पर आधारित यूथ रिस्क बिहेवियर सर्वे 2011-2021 की रिपोर्ट जारी की है।

इस रिपोर्ट में संयुक्त राज्य अमेरिका के हाई स्कूल छात्रों में हुए सर्वेक्षण के आंकड़े प्रस्तुत किए गए हैं। यह रिपोर्ट बताती है कि वर्ष 2011 में 28 प्रतिशत अमेरिकी हाई स्कूल छात्र अधिक समय तक दुख और आशाविहीनता की स्थिति से त्रस्त थे, जबकि 2021 में यह प्रतिशत 42 तक पहुंच गया। छात्राओं में यह स्थिति 57 प्रतिशत तक वर्ष 2021 में देखी गई। वर्ष 2021 में सभी छात्रों में 29 प्रतिशत में ‘पूअर मैन्टल हैल्थ’ यानि कम गुणवत्ता की चिंताजनक मानसिक स्वास्थ्य स्थिति देखी गई जबकि छात्राओं में यह स्थिति 41 प्रतिशत पाई गई।

वर्ष 2011 के सर्वेक्षण में पाया गया कि 16 प्रतिशत अमेरिकी हाई स्कूल छात्र (लडक़े-लड़कियों दोनों को मिलाकर) आत्महत्या प्रयास के बारे में गंभीरता से सोच रहे थे जबकि वर्ष 2021 में यह प्रतिशत 22 तक पहुंच गया। छात्राओं में यह प्रतिशत 30 पाया गया। दूसरे शब्दों में वर्ष 2021 में लगभग एक तिहाई अमेरिकी हाई स्कूल छात्राओं ने गंभीरता से आत्महत्या करने के बारे में सोचा। वर्ष 2011 में 8 प्रतिशत अमेरिकी हाई स्कूल विद्यार्थियों ने वास्तव में आत्महत्या का प्रयास किया। वर्ष 2021 में यह प्रतिशत बढक़र 10 तक पंहुच गया।

दूसरे शब्दों में वर्ष 2021 में हर 10 में से 1 अमेरिकी हाई स्कूल छात्र ने आत्महत्या का प्रयास किया। यह एक बहुत चौंकाने वाला आंकड़ा हे। तिस पर यदि छात्राओं संबंधी आंकड़ों की देखें तो उनमें यह प्रतिशत और भी अधिक 13 प्रतिशत पाया गया।

इन आंकड़ों से पता चलता है कि अमेरिकी युवाओं और विशेषकर हाई स्कूल छात्रों के जीवन की बाहरी चमक-दमक के पीछे उनकी वास्तविक स्थिति बहुत चिंताजनक है। उनके जीवन में गहरा दुख और अवसाद है। इतना ही नहीं, छात्राओं में यह प्रवृत्तियां और भी अधिक है। इस संदर्भ में अमेरिकी समाज को गहराई से विचार करना चाहिए कि अधिक आय और उपभोग के बावजूद वहां के युवाओं में इतना दुख-दर्द क्यों पाया जाता है।

इतना ही नहीं, संयुक्त राज्य अमेरिका के शीर्ष के बाल स्वास्थ्य संस्थानों ने यह चेतावनी दी है कि बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य की दृष्टि से देखें तो अमेरिका में इस समय आपातकालीन स्थिति या मैंटल हैल्थ इमरजेंसी की स्थिति मौजूद है। इस तरह के आंकड़ों और चेतावनियों को ध्यान में रखते हुए निश्चय ही अमेरिका को बाहरी आक्रमकता त्याग कर अपने समाज के आंतरिक दुख-दर्द को कम करने पर कहीं अधिक ध्यान देना चाहिए।

पूरी तरह संयुक्त राज्य अमेरिका के सरकारी स्तर के आंकड़ों पर आधारित सर्वेक्षण रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि बाहरी चमक-दमक के पीछे कितना दुख-दर्द छिपा है और इस संदर्भ में विकासशील देशों के युवाओं के लिए बाहरी चमक-दमक के भ्रमजाल से बचना भी कितना जरूरी है। (navjivanindia.com)

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