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रायपुर, 21 मार्च। जूलॉजी विभाग, कलिंगा विश्वविद्यालय द्वारा जलवायु परिवर्तन, अनुकूलन और लचीलापन को बढ़ावा देने के लिए सुझाव और सिफारिशें पर एक दिवसीय राष्ट्री य संगोष्ठी का आयोजन किया गया था, जिसे नाबार्ड छत्तीसगढ़ द्वारा प्रायोजित और माइक्रोबायोलॉजिस्ट सोसाइटी, भारत द्वारा सह-प्रायोजित किया गया था।
सम्मेलन का उद्घाटन नाबार्ड छत्तीसगढ़ के मुख्य महाप्रबंधक डॉ. ज्ञानेंद्र मणि (कार्यक्रम के मुख्य अतिथि) ने दीप प्रज्वलन और सरस्वती वंदना के बाद किया। डॉ. मणि ने पर्यावरण और कृषि क्षेत्र पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पर प्रकाश डाला।
उन्होंने अपने उद्घाटन भाषण में सस्टेनेबल डेवलपमेंट के साथ पर्यावरण संरक्षण, जलवायु परिवर्तन के साथ कृषि क्षेत्र में आ रही चुनौती को दूर करने के संदर्भ में नाबार्ड की भूमिका को साझा किया। श्री संजय गजघाटे, संयुक्त निदेशक, उद्योग निदेशालय, छत्तीसगढ़ सरकार ने पर्यावरण और जलवायु को ध्यान में रखते हुए उद्योग नीति बनाने पर बल दिया।
श्री कपिल देव दीपक, संयुक्त निदेशक कृषि एवं संयुक्त सीईओ, राज्य वाटरशेड प्रबंधन छत्तीसगढ़ ने कृषि और जैव विविधता पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पर चर्चा की। उन्होंने जैविक खेती के लिए लोगों में जागरूकता पैदा करने और स्वस्थ पर्यावरण के लिए संतुलन बनाए रखने का आग्रह किया।