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इंडोनेशिया में कफ़ सिरप के कारण मरने वाले और बीमार हुए बच्चों के अभिभावकों को राहत देते हुए एक अदालत ने केस चलाने की अनुमति दे दी है.
नूर असीह, जिनकी चार साल की बेटी की पिछले साल मौत हो गई थी, उन्होंने कहा, "मेरी बेटी का संघर्ष नाकाम नहीं हुआ."
उनके परिवार समेत 24 और पीड़ित इंडोनेशिया सरकार और आठ दवा कंपनियों के ख़िलाफ़ कोर्ट गए थे.
साल 2022 से 200 से ज़्यादा इंडोनेशिया के बच्चों की मौत किडनी में नुकसान के कारण हुई. इसके अलावा गांबिया और उज़्बेकिस्तान में क़रीब 100 बच्चों की मौत हुई.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारत और इंडोनेशिया में बने छह कफ़ सिरप के ख़िलाफ़ चेतावनी जारी की थी.
याचिका में हर बच्चे की मौत के लिए 195,000 अमेरिकी डॉलर के मुआवज़े की मांग की गई है और घायल बच्चों के 130,000 डॉलर की मांग की गई है. दूसरे अभिभावक भी इस मामले से जुड़ सकेंगे.
बीबीसी इंडोनेशिया ने आठों कंपनियों से बात करने की कोशिश की लेकिन मंगलवार तक सभी का कोई जवाब नहीं आया.
पीटी अफी फ़ारमा के वकील ने कहा, "यह उचित नहीं है कि ज़िम्मेदारी केवल दवा उद्योग पर डाली जाए, जिसका कफ़ सिरप इस मामले में अधिकांश बच्चों द्वारा इस्तेमाल किया गया था, सरकार को भी जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए."
"एक दूसरी कंपनी पीटी यूनिवर्सल फार्मास्युटिकल इंडस्ट्रीज ने कहा कि वह अपने कफ़ सिरप ब्रांड के लिए लगभग 30 वर्षों से उसी फ़ूड एंड ड्रग अथॉरिटी (एफडीए) प्रमाणित प्रणाली का उपयोग कर रही थी और उसने एफडीए से मंजूर आपूर्तिकर्ता से सामग्री खरीदी थी."
स्वास्थ्य मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि वो मुआवज़े की योजना पर काम कर रहे हैं. (bbc.com/hindi)