राष्ट्रीय

किंगफिशर को कर्ज दिलाने के लिए माल्या ने आईडीबीआई उच्चाधिकारी के साथ रची थी साजिश : सीबीआई
23-Mar-2023 2:02 PM
किंगफिशर को कर्ज दिलाने के लिए माल्या ने आईडीबीआई उच्चाधिकारी के साथ रची थी साजिश : सीबीआई

मुंबई, 23 मार्च आईडीबीआई बैंक के एक वरिष्ठ अधिकारी ने किंगफिशर एयरलाइन को ऋण की अनुमति दिलवाने और भुगतान करवाने के लिए शराब व्यवसायी और इस एयरलाइन के मालिक विजय माल्या के साथ कथित तौर पर साजिश रची थी। मुंबई की एक अदालत में सीबीआई द्वारा दाखिल आरोपपत्र में यह बात कही गयी है।

माल्या 900 करोड़ रूपये के आईडीबीआई-किंगफिशर ऋण धोखाधड़ी मामले में एक आरोपी है और मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो द्वारा की जा रही है। केंद्रीय एजेंसी ने यहां एक विशेष अदालत के समक्ष हाल में अनुपूरक आरोपपत्र दाखिल किया।

आरोपपत्र के अनुसार आईडीबीआई के पूर्व बैंक महाप्रबंधक बुद्धदेव दासगुप्ता ने अपने पद का दुरूपयोग करते हुए अपने सहयोगियों एव माल्या के साथ अक्तूबर 2009 में किंगफिशर एयरलाइन को 150 करोड़ रुपये के अल्पावधि ऋण को अनुमोदन दिलवाने और उसका भुगतान करने के लिए कथित रूप से साजिश रची।

एजेंसी इस मामले में पहले ही 11 आरोपियों को नामजद कर चुकी थी। पूरक आरोपपत्र के माध्यम से उसने दासगुप्ता को भी नामजद किया है।

सीबीआई के अनुसार अल्पावधि ऋण विदेशी सेवा प्रदाताओं के प्रति की गयी प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए छह माह की अवधि के लिए मांगा गया था। इनमें विमान को पट्टे पर देने वाले एवं अन्य सेवा प्रदाताओं से की गयी प्रतिबद्धताएं बतायी गयी थीं।

एजेंसी के अनुसार दासगुप्ता ने मूल रूप से इस 150 करोड़ रूपये के ऋण की परिकल्पना इस प्रकार की थी कि एयरलाइन ने 750 करोड़ रूपये का जो ऋण शुरू में मांगा था, उसी में से इस नये कर्ज को समायोजित:भुगतान किया जाएगा।

सीबीआई के अनुसार बहरहाल, प्रस्ताव में परिवर्तन कर दिया गया ताकि यह दर्शाया जा सके कि मानों ऋण समिति ने इसे एक भिन्न कर्ज के रूप में लिया है, जिसका समायोजन:भुगतान कुल ऋण से किया जा सकता (नहीं भी किया जा सकता) है।

आरोपपत्र में आईडीबीआई द्वारा दी गयी राशि कुल 750 करोड़ रूपये तक सीमित रखी जानी थी किंतु अल्पावधि ऋण को दासगुप्ता की शह पर एक अलग ऋण के रूप में रखे जाने के कारण यह राशि दिसंबर 2009 में बढ़कर 900 करोड़ रूपये हो गयी।

जांच के क्रम में सीबीआई अदालत की अनुमति के अनुसार ब्रिटेन, मॉरिशस, अमेरिका एवं स्विटजरलैंड में अनुरोध पत्र भेजे गये। किसी भी देश की अदालत न्याय प्रदान करने के क्रम में इन अनुरोध पत्रों के जरिये किसी अन्य देश के न्यायालय से सहायता लेती है।

आरोपपत्र में इन देशों से मिले साक्ष्यों का भी उल्लेख किया गया है। (भाषा)

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news