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बीजापुर मुख्यालय रहा छावनी में तब्दील
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बीजापुर, 25 मार्च। बस्तर में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के दौरे के बीच शनिवार को नेशनल पार्क क्षेत्र के हजारों आदिवासियों ने आदिवासी समाज के बैनर तले आठ सूत्रीय मांगों को लेकर बोरजे गांव में रैली निकाली। करीब डेढ़ किलोमीटर के इस रैली में बड़ी संख्या आदिवासी शामिल थे। रैली के बाद राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपकर ग्रामीण वापस लौट गए।
कलेक्टोरेट आकर कलेक्टर से मिलकर ज्ञापन सौंपना चाहते थे, लेकिन उन्हें बीजापुर से पहले ही रोक दिया गया। इस बीच जिला मुख्यालय को छावनी में तब्दील कर दिया गया था, साथ ही मुख्यालय को जोडऩे वाले सभी रास्तों पर बेरिकेट्स लगा दिए गए थे।
शुक्रवार को नेशनल पार्क क्षेत्र से हजारों ग्रामीण अपनी आठ सूत्रीय मांगों को लेकर बीजापुर मुख्यालय में रैली प्रदर्शन करने आ रहे थे। पुलिस ने उन्हें यहां करीब 12 किलो दूर बोरजे में ही रोक दिया। ग्रामीण लगातार कलेक्टर से मिलकर ज्ञापन देने की जिद कर रहे थे। लेकिन उन्हें मुख्यालय प्रवेश करने नहीं दिया गया।
शनिवार को तहसीलदार डीआर ध्रुव ग्रामीणों के बीच पहुंच उनसे बात की। इसके बाद ग्रामीणों ने बोरजे में ही डेढ़ किमी तक रैली निकाली और राज्यपाल के नाम तहसीलदार को ज्ञापन सौंपकर लौट गए हैं।
इधर, ग्रामीणों के मुख्यालय प्रवेश की खबर के बाद पुलिस ने कलेक्टोरेट के बाहर बेरिकेट्स लगा दिये थे, वहीं मुख्यालय को जोडऩे वाले रास्तों पर भी बेरिकेट्स लगा दिए गए थे। सुरक्षा की दृष्टि से मुख्यालय छावनी में तब्दील रहा।
ये हैं आदिवासियों की मांग
आदिवासी समाज के बैनर तले अपनी आठ सूत्रीय मांगों को लेकर सौपे गये ज्ञापन में तेंदूपत्ता की राशि में बढ़ोत्तरी, धान के समर्थन मूल्य में बढ़ोत्तरी, मनरेगा भुगतान नगद करने, वृद्धावस्था, विधवा व विकलांग पेंशन नगद करने, ग्राम पंचायतों में ग्राम सभा प्रस्ताव पारित किये बिना कोई भी कार्य जैसे ठेकेदारी तथा सडक़ निर्माण, पुल पुलिया कैम्प बनाने की अनुमति नहीं दिया जाए। ग्राम पंचायतों में नेशनल मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम(एनएमएमएस) को प्रभाव से हटाया जाए। इंद्रावती क्षेत्र में सेंचुरी होने के कारण उस क्षेत्र में किसी प्रकार का बोनस नहीं दिया जाता हैं, सेंचुरी को आधा दिया जाए तथा चांवल वितरण ऑफ लाइन किया जाए।