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परंपरागत हथियारों से लैस ग्रामीणों को उग्र होता देख बैरंग लौटे अफसर व पुलिस जवान
25-Mar-2023 6:59 PM
परंपरागत हथियारों से लैस ग्रामीणों को उग्र होता देख बैरंग लौटे अफसर व पुलिस जवान

मां कुदरगढ़ी एल्युमिना फैक्ट्री के स्थल सीमांकन के लिए कलेक्टर-एसपी संग पहुंची थी प्रशासन की जंबो टीम

कलेक्टर ने कहा हम शासन के प्रतिनिधि हैं न किसी कंपनी के

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

अंबिकापुर,25 मार्च। सरगुजा जिला के बतौली विकासखंड अंतर्गत ग्राम चिरंगा में प्रस्तावित मां कुदरगढ़ी एल्युमिना फैक्ट्री स्थल सीमांकन के लिए कलेक्टर, एसपी के साथ पहुंची प्रशासन की जंबो टीम को परंपरागत हथियारों से लैस ग्रामीणों को उग्र होता देख बैरंग लौटना पड़ा। ग्रामीणों ने पहले राजस्व और पुलिसकर्मियों को खदेड़ा, उसके बाद जब कलेक्टर और एसपी ने मोर्चा संभाला तो लगभग 1 घंटे तक उनकी बात ग्रामीण सुनते रहे, इसके बाद एकाएक ग्रामीण उग्र हो गए, जिसके बाद प्रशासनिक टीम लौट गई।

शनिवार का दिन बतौली के लिए भारी गहमागहमी का रहा। सुबह 5 बजे से ही सभी बड़े राजस्व और पुलिस के अधिकारी बतौली पहुंच चुके थे। मां कुदरगढ़ी एल्युमिना फैक्ट्री के स्थल सीमांकन के लिए सुबह 7 बजे ग्राम चिरंगा के प्रस्तावित स्थल का पेट्रोलिंग करने गए,जहां पर ग्रामवासियों ने पुलिस वालों को खदेड़ दिया। पिछले 2 दिन से पूर्व विधायक प्रोफेसर गोपाल राम आंदोलनकारी ग्रामवासियों के साथ जमे हुए हैं।

प्राप्त जानकारी के अनुसार सुबह 5 बजे सहायक पुलिस अधीक्षक विवेक शुक्ला के नेतृत्व में अंबिकापुर एसडीओपी, सीतापुर एसडीओपी के साथ सभी बड़े अधिकारी बतौली थाना में तैनात किए गए हैं। कलेक्टर सरगुजा, अपर कलेक्टर ध्रुव, डिप्टी कलेक्टर शतरंज, डिप्टी कलेक्टर शिवानी, एसडीएम सीतापुर रवि राही ,एसडीएम अंबिकापुर के साथ 10 तहसीलदार और नायब तहसीलदार अस्सी पटवारी 30 राजस्व निरीक्षक और 200 कोटवार-चौकीदार सुबह से ही बतौली थाना में तैनात थे।

कलेक्टर सरगुजा कुंदन कुमार और पुलिस अधीक्षक भावना गुप्ता धरना स्थल पर पहुंची और आंदोलन कर रहे ग्रामवासियों से चर्चा का प्रयास किया। प्रशासन की टीम ने यह दावा किया कि जिन्होंने धरना स्थल पर कब्जा करके रखे हुए हैं और गैर कानूनी रूप से खतरनाक हथियार रखे हुए हैं, उनसे मिलने हम बिना किसी हथियार के गए थे। एक घंटा तक आंदोलनकारी ग्रामवासियों को समझाने का प्रयास किए, इस दौरान पुलिस ने एक बड़े साउंड सिस्टम का उपयोग कर आंदोलनरत ग्रामवासियों को संबोधित किया। धरना स्थल पर 11 ग्राम पंचायतों के लगभग 4 से 5 हजार ग्रामीण उपस्थित थे। 

कलेक्टर और एसपी की समझाइश के बीच ग्रामवासी एकाएक आक्रोशित हो गए। एक घंटे की मशक्कत के बाद भी आंदोलनरत ग्रामवासी नहीं समझ सके। 

उन्होंने कलेक्टर सरगुजा से कहा कि हमें आपके द्वारा बनाई गई सडक़, बिजली, पानी, अस्पताल और अन्य विकास कार्य नहीं चाहिए। हमें फैक्ट्री भी नहीं चाहिए। ग्रामीणों के आंदोलन और अचानक उग्र रूप धारण करते हुए देख प्रशासन की टीम वापस आ गई। 

सरगुजा कलेक्टर कुंदन कुमार ने उक्त मामले को लेकर मीडिया से चर्चा में कहा कि ग्रामवासियों को संदेश देना चाहते थे कि हम शासन के प्रतिनिधि हैं न किसी कंपनी के। शासन की जो योजना है हम उसको बताना चाह रहे थे, एक महीने से हर ग्राम पंचायत ब्लॉक में शिविर लगाया जा रहा है लोगों का भ्रम दूर करना हमारी कोशिश है।

बतौली थाना वापसी के पश्चात कलेक्टर सरगुजा और एसपी सरगुजा ने सभी मातहत अधिकारियों और कर्मचारियों को वापस अपनी ड्यूटी पर भेज दिया।

चिरंगा में अगल-बगल के 10 गांव के लगभग 4 हजार ग्रामीण 10 से 15 स्थानों पर चार-चार सौ पांच-पांच सौ की संख्या में पूरे क्षेत्र को घेरे हुए थे। आने वाले किसी भी अधिकारी-कर्मचारी एवं अनजान व्यक्तियों को  धरनानास्थल, आंदोलन स्थल से आने को रोक रहे थे।

 चिरंगा, मांजा, लैगू, करदना, कालीपुर,झरगंवा, उमापुर,  पोकसरी, सेदम, सरस्वतीपुर, जैसे दूर-दराज के गांव के सैकड़ों ग्रामीण पारंपरिक हथियारों टांगी, तब्बल, तीर-धनुष, गैंती, फ़ावड़ा, गुलेल, लाठी-डंडा से लैस थे। वे किसी भी आने वाले व्यक्ति को धरना स्थल, आंदोलन स्थल और स्थापित होने वाले फैक्ट्री स्थल पर जाने से रोक रहे हैं।

गौरतलब है कि मां कुदरगढ़ी एलुमिनियम फैक्ट्री के लिए शासन द्वारा आवंटित की गई 227 एकड़ भूमि को सीमांकन के लिए पुलिस और राजस्व प्रशासन पिछले एक सप्ताह से प्रयास कर रही है। 

शनिवार को भारी मात्रा में पुलिस बल की मौजूदगी में सीमांकन का कार्य के लिए राजस्व अधिकारियों के उपस्थिति में कराया जाना प्रस्तावित था, परंतु ग्रामवासियों के भारी विरोध और हिंसात्मक घटना होने की अंदेशा के कारण आज इस कार्यक्रम को कुछ समय के लिए रोक दिया गया है।

ग्रामवासी आंदोलन स्थल पर बड़े और परम्परागत खतरनाक हथियारों के साथ डटे हुए हैं। ग्रामवासियों के पास परंपरागत हथियारों में तब्बल,तीर-धनुष, गैंती, फावड़ा,लाठी-डंडे, गुलेल अपने पास रखे हुए हैं। ग्रामवासियों की मंशा है कि वह मर जाएंगे परंतु फैक्ट्री लगाने नहीं देंगे। ग्रामीण तिरंगे झंडे को साथ ले कर बैठे हुए है। भारत माता की जय की नारे लगा रहे हैं-जल जंगल जमीन हमारा है, फैक्ट्री लगने नहीं देंगे।

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