सामान्य ज्ञान

फाल्गुन
26-Mar-2023 6:17 PM
फाल्गुन

हिन्दू पंचांग के अनुसार चैत्र माह से प्रारंभ होने वाले वर्ष का बारहवां तथा अंतिम महीना जो ईस्वी कलेंडर के मार्च माह में पड़ता है। फाल्गुन को  वसंत  ऋतु का महीना भी कहा जाता है क्योंकि इस समय भारत में न अधिक गर्मी होती है और न अधिक सर्दी।

फाल्गुन माह में अनेक महत्वपूर्ण पर्व मनाए जाते हैं जिसमें होली प्रमुख हैं।   समस्त वार्षिक महोत्सव दक्षिण भारत के विशाल तथा छोटे-छोटे मन्दिरों में प्राय: फाल्गुन मास में ही आयोजित होते हैं। फाल्गुन शुक्ल अष्टमी को लक्ष्मी जी तथा सीता जी की पूजा होती है।   मान्यता है कि यदि फाल्गुनी पूर्णिमा को फाल्गुनी नक्षत्र हो तो व्रत करने वालों  को पलंग तथा बिछाने योग्य सुन्दर वस्त्र दान में देने चाहिए। इससे सुभार्या की प्राप्ति होती है, जो कि अपने साथ में सौभाग्य लिए चली आती है।

कश्यप ऋषि तथा अदिति से अर्यमा की पूजा तथा अत्रि और अनुसूया से चन्द्रमा की उत्पत्ति फाल्गुनी पूर्णिमा को ही हुई थी। इसलिए इन देवों की चन्द्रोदय के समय पूजा करने की परंपरा है। पूजन में गीत, वाद्य, नृत्यादि का समावेश किया जाता है।

फाल्गुनी पूर्णिमा को ही दक्षिण भारत में  उत्तिर नामक मन्दिरोत्सव का भी आयोजन किया जाता है।     फाल्गुन में यदि द्वादशी को श्रवण नक्षत्र हो तो उसे फाल्गुन श्रवण द्वादशी कहते हैं। उस दिन उपवास करके भगवान हरि का पूजन  करना चाहिए।

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