खेल
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-शारदा उगरा
नई दिल्ली, 27 मार्च । रविवार को मुंबई के ब्रेबोर्न स्टेडियम में खेले गए फ़ाइनल और मुंबई इंडियंस की ख़िताबी जीत के साथ ही भारतीय क्रिकेट की पहली वीमेंस प्रीमियर लीग का समापन हुआ.
31 मार्च से इंडियन प्रीमियर लीग की शुरुआत हो रही है. ऐसे समय में वीमेंस प्रीमियर लीग के आकलन का यह सबसे अच्छा समय है.
सबसे पहले, महिला क्रिकेट की लोकप्रियता और लोगों की दिलचस्पी और बाज़ार में इसकी जगह को लेकर जितनी भी शंकाएं थीं, वो समाप्त हो चुकी हैं.
रविवार को खेले गए फ़ाइनल मुक़ाबले से पहले प्री मैच शो में पूर्व ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेटर और अब कमेंटेटर मेलाने जोंस ने ब्रेबोर्न स्टेडियम में लोगों के उत्साह को देखते हुए इसे 'वर्ल्ड कप जैसी अनुभूति' वाला पल बताया.
मुंबई में ही हुए सारे मैच
ये सच है कि वीमेंस प्रीमियर लीग के तीन सप्ताह के दौरान आईपीएल के सभी 22 मैच मुंबई के दो ही मैदानों में खेले गए.
ब्रेबोर्न स्टेडियम और डीवाई पाटिल स्टेडियम में इन मैचों को देखने के लिए भीड़ जुटती रही.
कामकाजी दिनों में 5000 दर्शकों से लेकर 24 मार्च को खेले गए एलिमिनेटर मुक़ाबले के लिए 35 हज़ार दर्शक तक जुटे.
अगर इंडियन प्रीमियर लीग की तरह ही वीमेंस प्रीमियर लीग में सभी टीमों को घरेलू और बाहरी मैदान में खेलने का मौक़ा मिलता तो दूसरे शहरों में भी लोगों की भीड़ जुटती.
मुंबई, दिल्ली और बेंगलुरु की टीमों ने आईपीएल के दौरान बीते 15 सालों में अपनी टीम के लिए स्थानीय फ़ैंस बनाए हैं.
लखनऊ और गुजरात में पुरुष आईपीएल टीम और महिला प्रीमियर लीग टीम के प्रमोटर अलग-अलग हैं, लेकिन इन शहरों में भी महिला क्रिकेट को लोगों का प्यार मिलता.
ऐसा भी नहीं है कि लखनऊ और गुजरात के शहरों के लिए महिला क्रिकेट का आयोजन नई बात होती.
हाल ही में भारत और दक्षिण अफ़्रीका के बीच खेली गई महिला टी-20 और वनडे क्रिकेट सिरीज़ के मैच सूरत, वड़ोदरा और लखनऊ में खेले गए थे.
टीवी पर भी महिला क्रिकेट लीग देखने वालों की संख्या कम नहीं रही.
हालाँकि अभी तक कोई आधिकारिक आँकड़े सामने नहीं आए है और ना ही जियो सिनेमा पर मैच के दौरान हॉटस्टार की तरह देख रहे लोगों की संख्या का पता चलता है.
लेकिन मीडिया राइट्स रखने वाला वायकॉम 18 समूह बहुत ख़ुश है और अंदाज़ा लगाया जा रहा है कि बड़ी संख्या में लोगों ने लाइव मैच देखा है.
ये सब तो महिला क्रिकेट लीग का व्यावसायिक पहलू है, इससे क्रिकेट को कितना फ़ायदा मिला?
वीमेंस प्रीमियर लीग के आयोजन से भारतीय क्रिकेट फ़ैंस को दुनिया भर की बेहतरीन क्रिकेट खिलाड़ियों का खेल देखने को मिला.
हालाँकि, नीलामी में गुजरात जाएंट्स से हुए विवाद की वजह से वेस्टइंडीज़ की डिएंड्रा डॉटिन, न्यूज़ीलैंड की सूजी बेट्स और ऑस्ट्रेलिया की अलाना किंग जैसी प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की उपेक्षा की गई.
वैसे तो भारतीय क्रिकेटरों और विदेशी टीमों की खिलाड़ियों में स्किल्स और फ़िटनेस को लेकर, कोई बहुत अंतर नहीं है, लेकिन इस फ़ॉर्मेट की जानकारी और मैच खेलने के मामले में विदेशी खिलाड़ी थोड़े ज़्यादा अनुभवी हैं.
दस सबसे अहम खिलाड़ियों में भारतीय नहीं
वीमेंस प्रीमियर लीग में शानदार प्रदर्शन करने वाली 10 सबसे वैल्यूएवल प्लेयर की सूची में कोई भारतीय क्रिकेटर शामिल नहीं है.
मुंबई इंडियंस की सायका इशाक इस सूची में 12वें पायदान पर हैं. ऑरेंज कैप लिस्ट (सबसे ज़्यादा रन बनाने वालों की सूची) में केवल दो भारतीय खिलाड़ी जगह बना सकीं, हरमनप्रीत कौर चौथे पायदान पर रहीं, तो शफ़ाली वर्मा नौवें पायदान पर.
वहीं, सबसे ज़्यादा विकेट झटकने वाले क्रिकेटरों की सूची में सायका इशाक पाँचवें पायदान पर रहीं जबकि शिखा पांडेय सातवें पायदान पर.
दुनिया भर की बेहतरीन क्रिकेट खिलाड़ियों के बीच शानदार प्रदर्शन करके उभरने वाली सायका इशाक, निश्चित तौर पर दूसरे युवा क्रिकेटरों के लिए प्रेरणा बन कर उभरी हैं.
हालाँकि, भारत की शीर्ष खिलाड़ियों में शामिल स्मृति मंधाना, ऋचा घोष, जेमिमा रोड्रिग्स, रेणुका ठाकुर और स्नेह राणा उन्हें मिले मौक़ों का फ़ायदा नहीं उठा सकीं.
वहीं, प्लेइंग इलेवन में विदेशी खिलाड़ियों की मौजूदगी से पूजा वस्त्राकर और पूनम यादव जैसी प्रमुख भारतीय खिलाड़ियों को बहुत ज़्यादा मौक़े भी नहीं मिले.
पहले सीज़न की चैंपियन मुंबई इंडियंस की कप्तान हरमनप्रीत कौर ने आने वाले दिनों में युवा खिलाड़ियों पर इस लीग के प्रभाव पर कहा, "दो-तीन सालों के बाद हमें इसके नतीजे दिखने लगेंगे. मैं निश्चिंत हूँ कि भारतीय क्रिकेटर भी इसमें अच्छा प्रदर्शन करेंगी."
महिला क्रिकेट का प्रदर्शन
वीमेंस प्रीमियर लीग में भारतीय खिलाड़ियों और विदेशी खिलाड़ियों के प्रदर्शन में स्पष्ट अंतर दिखने की एक वजह ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड की तुलना में भारतीय महिला क्रिकेट का बेहतर स्थिति में नहीं होना भी है.
वैसे तो भारतीय महिला क्रिकेट की ज़िम्मेदारी 2005-06 से भारतीय क्रिकेट बोर्ड के पास ही है.
लेकिन 2006 से 2014 तक महिला क्रिकेट पर उतना ध्यान नहीं दिया गया. इसका असर खिलाड़ियों की एक पूरी पीढ़ी पर पड़ा यानी 2006 में जो टीनएज प्लेयर थीं, वो 2016 तक खेलती तो रहीं, लेकिन पूरी तरह से प्रोफ़ेशनल नहीं हो सकीं.
इस दौरान, इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में महिला क्रिकेट काफ़ी प्रोफ़ेशनल अंदाज़ में मज़बूत होता गया.
बहरहाल, वीमेंस प्रीमियर लीग के आयोजन को थोड़े तटस्थ भाव से भी देखा जाना चाहिए.
इंडियन प्रीमियर लीग की 15 साल की कामयाबी के बाद वीमेंस प्रीमियर लीग के शुरुआती सीज़न के आयोजन के लिए महज़ पाँच टीमों और एक शहर के दो मैदानों को सर्वश्रेष्ठ आयोजन नहीं कहा जा सकता.
इसे बस आख़िरी पलों का कारगर जुगाड़ भर कह सकते हैं. ऐसे ही बाउंड्री के आकार को छोटा किया गया. 60 मीटर की बाउंड्री थी.
सबसे छोटी बाउंड्री तो 42-44 मीटर की थी जिसे रूमाल साइज़ भी कह सकते हैं. यह सब किया गया ताकि प्रति मैच ज़्यादा चौके-छक्के देखने को मिलें.
वीमेंस प्रीमियर लीग से ठीक पहले आईसीसी वीमेंस टी-20 लीग के दौरान 65 मीटर की बाउंड्री थी.
ऑस्ट्रेलिया में होने वाली बिग बैश लीग में 62 मीटर की बाउंड्री होती है जबकि इंग्लैंड के वीमेंस हंड्रेड में 64 मीटर की बाउंड्री. सबसे छोटी बाउंड्री भी 54 मीटर की होती है.
इन दिनों महिला क्रिकेटर 80 मीटर से भी लंबे छक्के लगा रही हैं. स्किल्स और टाइमिंग के लिहाज से भी वे किसी भी बाउंड्री से चौके लगा सकती हैं. इसलिए रूमाल साइज़ की बाउंड्री से खेल को आकर्षक नहीं बनाया जा सकता.
एक सवाल ये भी है कि क्या वीमेंस प्रीमियर लीग में दो और टीमों को शामिल नहीं होना चाहिए था? जैसे कोलकाता नाइटराइडर्स और राजस्थान रॉयल्स की टीमें जो हमेशा से महिला क्रिकेट लीग में दिलचस्पी दिखाती आई हैं.
लंबा हो सकता था आयोजन
एक सवाल ये भी है कि क्या लीग का आयोजन थोड़े और लंबे समय के लिए हो सकता था?
हालाँकि, बीसीसीआई व्यस्त कलैंडर का हवाला देते हुए इस कामयाब आयोजन के लिए अपनी पीठ थपथपा सकती है.
इन सवालों के बावजूद वीमेंस प्रीमियर लीग अपने पहले सीज़न से ही दुनिया की दूसरी क्रिकेट लीग के आयोजन को पीछे छोड़ चुकी है.
इसकी दो सबसे बड़ी वजहें हैं- एक तो भारत में दर्शकों का बहुत बड़ी संख्या है और इसके चलते इसमें पैसे भी हैं.
इस पैसे की वजह से ही वीमेंस प्रीमियर लीग के नियम क़ानून और टीमों की संख्या-स्वामित्व की बात पीछे रह गई है.
पहले सीज़न के दौरान कुछ खिलाड़ियों को जो पैसा ऑफ़र किया गया, वो दुनिया के किसी भी महिला लीग की तुलना में ज़्यादा है.
अमेरिकी वीमेंस एनबीए और अमेरिका और ब्रिटेन की वीमेंस फुटबॉल लीग के मुक़ाबले से भी ज़्यादा पैसा कुछ खिलाड़ियों को मिला है.
खिलाड़ियों को मिलने वाले पैसों के चलते वीमेंस प्रीमियर लीग, भारत का नंबर एक महिला खेल आयोजन बनने जा रहा है. जैसा कि हरमनप्रीत कौर ने कहा कि तीन सप्ताह की इस शुरुआत से कितना कुछ बदलता है, इसका वास्तविक आकलन अगले कुछ सालों में ही संभव होगा. (bbc.com/hindi)