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सुप्रीम कोर्ट और कई हाई कोर्ट के वरिष्ठ वकीलों ने एक साझा बयान जारी कर क़ानून मंत्री किरेन रिजिजू के उस बयान की कड़ी आलोचना की है जिसमें उन्होंने कहा था कि कुछ रिटायर्ड जज "एंटी इंडिया गैंग" का हिस्सा बन गए हैं.
कई अख़बारों ने इस ख़बर को अपने पहले पन्ने पर जगह दी है.
टाइम्स ऑफ़ इंडिया लिखता है कि 323 वकीलों ने एक साझा बयान में कहा है कि सरकार की आलोचना किसी सूरत में न तो देश की आलोचना होती है और न ही देश विरोधी होती है.
बयान में वकीलों ने कहा कि क़ानून मंत्री रिटार्यड जजों को धमकी दे कर नागरिकों को ये संदेश देना चाहते हैं कि आलोचना की किसी भी आवाज़ को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. उन्होंने क़ानून मंत्री से अपना बयान वापस लेने को कहा है.
अख़बार के अनुसार वकीलों ने साझा बयान में कहा, "हम क़ानून मंत्री के बयान की कड़े शब्दों में निंदा करते हैं. मंत्री से इस तरह के दादागिरी भरे बयान की उम्मीद नहीं थी.
हम क़ानून मंत्री को ये याद दिलाना चाहते हैं कि न तो सरकार राष्ट्र है और न ही राष्ट्र सरकार है. अपने अनुभव पर आधारित पर दी गई पूर्व जजों और ज़िम्मेदार लोगों की राय भले की सत्ताधारी राजनीतिक पार्टी को पसंद न आए, लेकिन क़ानून मंत्री को ये अधिकार नहीं कि वो इस पर अपमानजनक टिप्पणी करें."
द हिंदू के मुताबिक़ बयान में वकीलों ने कहा है, "क़ानून और न्याय मंत्री होने के नाते उनका फ़र्ज़ है कि वो न्याय व्यवस्था की, न्यायपालिका और जजों की रक्षा करें. वो किसी रिटायर्ड जज को केवल इसलिए अलग-थलग करें क्योंकि वो उनकी राय से इत्तेफ़ाक़ नहीं रखते और सार्वजनिक तौर पर उनके ख़िलाफ़ क़दम उठाने की धमकी दें, ये उनका कर्तव्य नहीं है."
इसी ख़बर पर हिंदुस्तान टाइम्स ने लिखा कि ये साझा बयान 18 मार्च को दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में किरेन रिजिजू के दिए एक बयान पर आया था.
उन्होंने कहा था, "कुछ रिटायर्ड जज हैं जो एंटी इंडिया ग्रुप का हिस्सा बन गए हैं. ये लोग कोशिश कर रहे हैं भारतीय न्यायपालिका विपक्ष की भूमिका निभाए."
एक सवाल के उत्तर में उन्होंने कहा कि "इसके ख़िलाफ़ एजेंसियां क़ानून के दायरे में रहकर क़दम उठाएंगी. जो लोग देश के ख़िलाफ़ काम करेंगे उन्हें उसकी क़ीमत चुकानी होगी."(bbc.com/hindi)