सामान्य ज्ञान

अमीर खुसरो कोई इतिहासकार नहीं था, लेकिन उसने जो भी रचनाएं लिखीं उसमें प्राय: ऐतिहासिक विषय आ गए। इस प्रकार की उनकी सभी कृतियां 1289 ईं. से 1325 ईं के मध्य की हैं। उनकी कृति किरान उस सादेन में अमीरों के सामाजिक जीवन पर प्रकाश पड़ता है। मिफताहुल फुतूह, जलालुद्दीन खिलजी के सैन्य अभियानों की जानकारी भी इससे मिलती है। खजाइन उल फुतूह में अलाउद्दीन की गुजरात, मालवा और वारंगल की विजयों का वर्णन है। इस कृति से मलिक काफूर के दक्षिण अभियान की जानकारी भी मिलती है। अमीर खुसरो की रचना मसनबी तुगलकनामा में खुरोशाह के विरुद्ध गयासुद्दीन की विजय का उल्लेख है।
1252 ईं. में जन्मे अमीर खुसरो सूफी संत निजामुद्दीन औलिया के शिष्य थे। 1325 ईं. में उनकी मृत्यु हो गई। वे सुल्तान जलालुद्दीन , सुल्तान अलीउद्दीन खिलजी के दरबार में रहे थे। उनकी पांच प्रसिद्ध ऐेतिहासिक मसनबी (पद्य रचनाएं) हैं, जो समकालीन भारत की सामाजिक, सांस्कृितक और राजनीतिक जीवन की महत्वपूर्ण जानकारी के मुख्य स्रोत हैं।
1. पहली मसनबी किरानुस्सादैन में सुल्तान मुईजुद्दीन कैकुबाद के समय का विवरण है।
2. दूसरी मसनबी मिफताहुल फुतूह में सुल्तान जल्लाुद्दीन रे राज्यकाल का विवरण है।
3. तीसरी मसनबी दिवलरानी खिज्र खां में दिबलरानी और शहजादा खिज्र खां के प्रेम विरह का उल्लेख है।
4. चौथी मसनबी नूह सिपेहर में सुल्तान मुबारकशाह खिलजी के समय का उल्लेख है।
5. पांचवीं मसनबी तुगलकनामा में सुल्तान गियासुद्दीन तुगलक की खुसरोशाह पर विजय का विवरण है। अमीर खुसरो के गद्य में सुल्तान अलाउद्दीन खिलाजी के राज्यकाल का विस्तृत विवरण खजाइनुल फुतूह में किया है। इस प्रकार अमीर खुसरो को तेरहवीं- चौदहवीं शताब्दी का प्रसिद्ध इतिहासकार माना गया है।