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बांग्लादेश में 'चावल तक न खरीद पाने' वाली टिप्पणी छापने पर पत्रकार गिरफ्तार
31-Mar-2023 11:25 AM
बांग्लादेश में 'चावल तक न खरीद पाने' वाली टिप्पणी छापने पर पत्रकार गिरफ्तार

पत्रकार को गिरफ्तार कियाइमेज स्रोत,SAZID HOSSAIN

-अनबरासन एथिराजन

बांग्लादेश के एक प्रमुख अखबार के पत्रकार को झूठी खबर प्रकाशित करने के आरोप में जेल भेज दिया गया है.

पत्रकार ने देश में बढ़ी हुई खाद्य कीमतों को लेकर रिपोर्ट की थी जो बाद में वायरल हो गई.

अदालत ने प्रोथोम आलो अखबार के पत्रकार समसुज्जमां शम्स की जमानत याचिका खारिज कर दी है. वे गिरफ्तारी के एक दिन बाद पेश हुए थे.

उनकी न्यूज़ रिपोर्ट देश के स्वतंत्रता दिवस के दिन यानी 26 मार्च को प्रकाशित हुई थी. उन पर कथित तौर पर सरकार को बदनाम करने का आरोप है.

मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने गिरफ्तारी की निंदा की है और सरकार पर प्रेस की स्वतंत्रता का गला घोंटने का आरोप लगाया है.

सरकार ने इस आरोप से इनकार किया है, लेकिन मीडिया अधिकार समूहों ने कहा कि 2009 में अवामी लीग के सत्ता में आने के बाद से प्रेस फ्रीडम में लगातार गिरावट आई है. उन्होंने इसे लेकर सरकार को चेतावनी भी दी है.

रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने पिछले साल के वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में 180 देशों में बांग्लादेश को रूस और अफगानिस्तान से भी नीचे रखा था. लिस्ट में बांग्लादेश 162 वें नंबर पर था.

शम्स जिस अखबार के लिए काम करते हैं वह बांग्लादेश का बड़ा और प्रभावशाली अखबार है. यह अभी साफ नहीं है कि उन्हें कितने दिन जेल में रहना होगा?

पत्रकार को सादे कपड़ों में अधिकारियों ने बुधवार की सुबह ढाका के बाहर उनके घर से उठाया.

उठाने के बाद अखबार को करीब 30 घंटे तक ये नहीं पता था कि उनका पत्रकार आखिर है कहां? क्योंकि पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों का कहना था कि उन्हें भी इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है.

जिस रिपोर्ट के लिए शम्स को हिरासत में लिया गया था, उस रिपोर्ट में सामान्य बांग्लादेशी लोग स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अपने जीवन के बारे में बात कर रहे थे.

रिपोर्ट में एक मजदूर की बात को लिखा गया था, जिन्होंने कहा था, "इस आजादी का क्या मतलब है अगर हम चावल तक भी नहीं खरीद सकते?"

मजदूर की इस टिप्पणी ने बताया कि बढ़ते महंगाई के बीच खाने पीने की चीजों को खरीदना कितना मुश्किल है.

प्रोथोम आलो का ये लेख बड़ी संख्या में लोगों ने शेयर किया था. जब अख़बार ने रिपोर्ट को फ़ेसबुक पर शेयर किया तो ग़लत व्यक्ति की तस्वीर इस्तेमाल हो गई.

अख़बार के कार्यकारी संपादक सज्जाद शरीफ़ ने बीबीसी को बताया, "जब हमें अपनी ग़लती का अहसास हुआ तो हमने तुरंत तस्वीर हटाई और अपने स्पष्टीकरण के साथ संशोधित रिपोर्ट पोस्ट कर दी."

"लेकिन हम ऑरिजिनल रिपोर्ट पर क़ायम हैं. खाने की क़ीमत के बारे में उस मज़दूर का कथन सच्चा और वास्तविक था."

लेकिन बांग्लादेश की सत्तारूढ़ पार्टी अवामी लीग के समर्थक अख़बार पर देश की छवि धूमिल करने का आरोप लगा रहे हैं.

पुलिस ने अख़बार के संपादक मतिउर रहमान के विरुद्ध भी जांच शुरू कर दी है. इसके अलावा देश के विवादास्पद डिजिटल सिक्योरिटी एक्ट के तहत अख़बार के एक वीडियो जर्नलिस्ट और कई अन्य के ख़िलाफ़ भी जांच जारी है.

क़ानून मंत्री ने क्या कहा?
बांग्लादेश के क़ानून मंत्री अनिसुल हक़ ने कहा कि शम्स ने 'असंतोष पैदा करने के लिए दुर्भावनापूर्ण इरादे से तथ्यों को पेश किया'.

अनिसुल हसन ने बीबीसी को बताया, "केस सरकार ने नहीं बल्कि एक व्यक्ति ने दर्ज करवाया है. इस विषय में क़ानून अपना काम करेगा."

मंत्री ने कहा कि अख़बार के संपादक और प्रकाशक भी इस रिपोर्ट के लिए ज़िम्मेदार हैं और इसलिए पुलिस उनके ख़िलाफ़ भी कार्रवाई कर रही है.

ये घटना ऐसे समय में हुई है जब बांग्लादेश में मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और मीडिया कर्मियों की कथित प्रताड़ना पर चिंता जताई जा रही है. देश में इस वर्ष आम चुनाव होने हैं.

ढाका में पश्चिमी देशों के एक संगठन 'द मीडिया फ़्रीडम कोएलिशन' ने पत्रकारों के विरुद्ध हिंसा और धमकाने के मामलों पर चिंता जताई है. संस्था ने इस केस पर भी विरोध दर्ज किया है.

बांग्लादेश में पत्रकारों का कहना है कि वे प्रधानमंत्री शेख़ हसीना की सरकार की आलोचना वाली कोई भी ख़बर न चलाने के दबाव में रहते हैं. उनका कहना है कि डिजिटल सिक्योरिटी एक्ट ने एक डर का माहौल पैदा कर दिया है.

मीडिया के अधिकारों के लिए काम करने वाले एक ग्रुप के अनुसार 2018 में डिजिटल सिक्योरिटी एक्ट बनने के बाद करीब 280 पत्रकारों के ख़िलाफ़ केस दर्ज किए गए हैं.

अनिसुल हक़ ने कहा है कि सरकार इस एक्ट से जुड़े मुद्दों पर पत्रकारों से बात कर रही है, "मैं संपादकों का डर निकालने के लिए उनके संपर्क में हूँ. अगर एक्ट को बेहतर बनाने के लिए क़दम उठाने की ज़रूरत पड़ी तो हम वो भी करेंगे." (bbc.com/hindi)

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