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ईडी के रडार पर आगे
पिछले तीन दिनों से एक के बाद एक उद्योगपतियों, कारोबारियों, और अफसरों के यहां दबिश देने के बाद ईडी की कार्रवाई थमी नहीं है। चर्चा है कि आने वाले दिनों में कई और के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। खनिज, उद्योग, और आबकारी से जुड़े लोगों के यहां छापेमारी के बाद ईडी का अगला ठिकाना जल जीवन मिशन दफ्तर हो सकता है।
सुनते हैं कि पीडब्ल्यूडी की कुछ परियोजनाएं को भी घेरे में ले सकती है। जल जीवन मिशन में तो शुरुआत में काफी अनियमितता हुई थी। सत्ता हो या विपक्ष, दोनों ही मिशन के कामकाज से संतुष्ट नहीं हैं। हालांकि सीएम की दखल के बाद मिशन की परियोजनाएं पटरी पर लौट आई। फिर भी ईडी की इस पर पैनी नजर है। इसी तरह पीडब्ल्यूडी की एनएच की परियोजनाओं में कथित गड़बडिय़ों के लिए ईडी आगे आ सकती है। देखना है आगे क्या होता है।
जाते-जाते फैसले, कार्रवाई
कुछ समय से अलग-अलग जगहों पर शीर्ष पदों पर बैठे लोग अपने उत्तराधिकारी को प्रभार देने से पहले महत्वपूर्ण फैसले लेने से परहेज नहीं लगे हैं। राज्यपाल अनुसुईया उइके ने नई जिम्मेदारी संभालने से पहले जाते-जाते रविवि कुलपति नियुक्ति कर दी थी। और अब उन्हीं का अनुसरण रविवि के कुलपति डॉ. केसरीलाल वर्मा भी कर रहे हैं।
डॉ. वर्मा ने नए कुलपति को प्रभार देने से पहले दो बार कार्यपरिषद की बैठक बुलाकर कई फैसले ले चुके हैं। अब कार्यकाल खत्म होने के आखिरी क्षणों में कुछ और फैसले लेना चाह रहे थे। मगर रविवि के प्रशासनिक अफसरों ने हाथ खड़े कर दिए। इनमें कार्यपरिषद के एक सदस्य का मनोनयन, मंदिर ट्रस्ट से जुड़े कुछ फैसलों की फाइल भी थी। कार्यपरिषद की बैठक में वित्तीय फैसले लेने से पहले ही अफसर नाखुश थे। इसके बाद उन्होंने कुछ और फैसले करने की इच्छा जताई, तो उन्हें साफ तौर पर मना कर दिया।
सीखने के लिए बस्तर से स्वीडन
जिस विधा को आपने अपनाया है, उसमें पारंगत होने की ललक होनी चाहिए और सीखने का कोई मौका नहीं छोडऩा चाहिए। बस्तर के थमीर कश्यप स्वीडन के गोथनबर्ग में 19 से 23 सितंबर 2023 तक होने वाले जीआईजे कांफ्रेंस (ग्लोबल इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म कॉफ्रेंस) में शामिल होने जाएंगे। इसमें दुनियाभर से 2000 प्रतिनिधि शामिल होंगे, साथ ही 150 विशेषज्ञ भी होंगे। अतिथियों में पुलित्जर पुरस्कार प्राप्त पत्रकारों के अलावा अन्य खोजी पत्रकार, संपादक, अखबार मालिक आदि भी होंगे। सन् 2001 से यह सम्मेलन हर साल होता है और अब तक 10 हजार से अधिक पत्रकार यहां से प्रशिक्षण ले चुके हैं। इस दौर में सबसे जरूरी है कि नई पीढ़ी के मीडिया कर्मी प्रशिक्षण लें। थमीर को पत्रकारिता करते हुए सिर्फ 2 साल हुए हैं पर निश्चित ही इस कांफ्रेंस से लौटने के बाद अनुभवी पत्रकारों को टक्कर देंगे।
टारगेट किलिंग की ओर नक्सली
बस्तर में हाल ही में एक जवान की नक्सली हमले में मौत हुई। तीन जवान पिछले महीने मारे गए थे, जब वे सडक़ निर्माण कार्य की निगरानी के लिए निकले थे। पर इससे अलग यह हो रहा है कि वे अब टारगेट किलिंग अधिक कर रहे हैं। अपनी पार्टी के स्थानीय नेताओं की हत्या को लेकर भाजपा बिफरी भी थी और प्रदर्शन किया था। अभी नारायणपुर में पूर्व उप-सरपंच की गला घोंटकर हत्या कर दी गई। सुकमा में एक और युवक को मार डाला गया। परचे डालकर नक्सलियों ने हमेशा की तरह बताया कि पुलिस की मुखबिरी करने की वजह से हत्या की जा रही है। नक्सली वैसे भी गोरिल्ला वार करते आए हैं, छिपकर हमला करते हैं। पर फरवरी और मार्च महीने के भीतर ही 7 टारगेट करके की गई हत्याएं बता रही है कि वे अपनी इसी रणनीति पर अधिक ध्यान रहे हैं। सुरक्षा बलों के काफिले पर हमला होता है तो मीडिया में जगह ज्यादा मिल जाती है पर एक दो हत्याओं की खबर छोटी सी जगह में समेट लिया जाता है। पर, ऐसी एक ही हत्या आसपास के दर्जनों गांवों में दहशत फैलाने के लिए काफी है। बस्तर में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह सन् 2024 के चुनाव से पहले नक्सल हिंसा के खात्मे का संकल्प दोहराकर गए हैं। पर उनके जाने के बाद ऐसा दिखाई नहीं देता कि नक्सलियों में उनके दौरे का कोई खौफ है।
पीएम के प्रति ऐसा लगाव...
केंद्रीय खाद्य मंत्री पीयूष गोयल ने एक वीडियो ट्वीट किया है, जिसमें थैला लिया यह व्यक्ति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर पर हाथ फेर रहा है और उसे चूम रहा है। गोयल ने लिखा है- प्रधानमंत्री और अन्नदाता के बीच का अटूट बंधन। पीछे किसी महिला की आवाज आ रही है, वह क्या कह रही है पता नहीं पर व्यक्ति उसकी बात से नाखुश लग रहा है। देश में जब 80 करोड़ ऐसे गरीब हों, जिनको मुफ्त चावल देने की नौबत हो तो ऐसी श्रद्धा मुमकिन है।
अतिक्रमण और विकास आमने-सामने
महिला सरपंच, दो महिला पंच और तीन पुरुष सरपंचों को धमतरी जिले के परेवाडीह के ग्रामीणों ने 13 घंटे तक पंचायत भवन में बंधक बना रखा। जो जानकारी आई है उसके मुताबिक उन्हें पानी तक पीने के लिए नहीं दिया गया। पानी की मांग की तो बदले में सरपंच से इस्तीफा मांगा गया, देना पड़ा। इसके पहले सरपंच के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव भी लाया गया था, जो ध्वस्त हो गया था। दरअसल इस गांव में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की घोषणा के अनुरूप 47 करोड़ रुपये से उद्यानिकी कॉलेज खोलने के लिए जमीन सरपंच ने दे दी है। गांव वालों का कहना है कि इसके बाद गौठान और निस्तारी के लिए गांव में जगह नहीं बचेगी। अब यहां कॉलेज नहीं खुलेगा। इस कॉलेज से आसपास के युवाओं और किसानों को जो लाभ मिलता, उससे वे वंचित हो गए। परेवाडीह ग्राम में कॉलेज की प्रस्तावित जमीन पर बहुत से लोगों ने अवैध कब्जा कर रखा है।
प्रदेश का कोई कस्बा या पंचायत अतिक्रमण से अछूता नहीं है। यह काम सरपंच के संरक्षण और पटवारियों की हेराफेरी के चलते हो रहा है। दैहान, नदी, तालाब, नहर, श्मशान घाट कुछ भी अछूता नहीं है। कई गांवों में सरकार की महत्वाकांक्षी गौठान योजना के लिए भी जमीन नहीं मिल रही है। तीन साल पहले हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुंगेली जिले के सभी अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया था। इस आदेश के खिलाफ याचिका लगाई गई। अपील भी कोर्ट ने खारिज कर दी। पर शुरूआती सक्रियता के बाद जिला प्रशासन के हाथ-पैर फूल गए। बेजा-कब्जे की सूची इतनी लंबी हो गई कि सारा अमला लगाकर भी उसे हटाया नहीं जा सका।
विधानसभा में भी कई बार यह मुद्दा उठा है। जुलाई 2022 में बृजमोहन अग्रवाल के सवाल पर राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने बताया था कि प्रदेश में सरकारी जमीन पर अतिक्रमण के 18 हजार से अधिक मामले दर्ज हैं। वास्तविक संख्या तो इससे अधिक होगी। पर इतने में कार्रवाई क्या हुई, यह पता नहीं। मंत्री ने एक तरह से बेजा-कब्जा करने वालों को यह कहकर राहत दे दी कि यूपी की तरह यहां बुलडोजर नहीं चलाया जाएगा। रायपुर के भाठागांव में कॉलेज की जमीन पर अतिक्रमण का आरोप विपक्ष ने लगाया। तब के नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने बताया कि किस तरह से दस्तावेज में गड़बड़ी कर एक तहसीलदार ने करोड़ों की जमीन निजी व्यक्ति के नाम चढ़ा दी। जाहिर है कि रसूखदारों के लिए यह खेल करना कठिन नहीं है। ये लोग राजनीतिक पकड़ भी रखते हैं। राजस्व मंत्री और जिलों के कलेक्टर नासूर होती जा रही समस्या पर मौन दिखाई दे रहे हैं।