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रामनवमी की हिंसा से बंगाल की सियासत में उबाल
01-Apr-2023 11:10 AM
रामनवमी की हिंसा से बंगाल की सियासत में उबाल

शोभायात्रा पर कथित पथराव के बाद भड़की हिंसाइमेज स्रोत,BBC/SANJAY_DAS

-प्रभाकर मणि तिवारी

पश्चिम बंगाल के हावड़ा इलाके में बृहस्पतिवार को रामनवमी की शोभायात्रा पर कथित पथराव के बाद दो गुटों के बीच भड़की हिंसा शुक्रवार को लगातार दूसरे दिन भी जारी रही.

हालांकि शुक्रवार को भारी तादाद में सुरक्षाबलों के तैनात होने के कारण कल की तरह आगजनी की घटना नहीं हुई. लेकिन कुछ इलाकों में पुलिसवालों और पत्रकारों पर पथराव किए गए.

पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज किया. भाजपा ने इस हिंसा पर कलकत्ता हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर इसकी जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से कराने की मांग की है. इस हिंसा में अब तक 36 लोगों को गिरफ्तार किया गया है.

इस बीच, हिंसा के मुद्दे पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी और प्रदेश भाजपा नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है.

ममता ने इस हिंसा के लिए भाजपा और बजरंग दल को जिम्मेदार ठहराया है और भाजपा ने इसके लिए ममता और उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस को.

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने तो ममता पर गलतबयानी करने का भी आरोप लगाया है.

मुख्यमंत्री ने कहा है कि इस हिंसा के लिए दोषी लोगों को बक्शा नहीं जाएगा. एक निजी टीवी चैनल से बातचीत में उनका कहना था, ''हावड़ा की घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. हावड़ा में हिंसा के पीछे न तो हिंदू थे और न ही मुस्लिम."

उनका कहना था, "बजरंग दल और दूसरे ऐसे संगठनों के साथ भाजपा हथियारों के साथ हुई इस हिंसा में शामिल थी."

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार उन सभी लोगों की मदद करेगी जिनकी संपत्ति को हिंसा के दौरान नुकसान पहुंचा.

उन्होंने इस मामले में हावड़ा पुलिस की भूमिका की भी खिंचाई की है. उनका कहना था कि पुलिस को बैरिकेड लगाकर पूरे इलाके को घेर देना चाहिए था.

युवक के हाथ में दिखी रिवाल्वर
मुख्यमंत्री ने पुलिस वालों की इस लापरवाही के लिए उनके खिलाफ भी कार्रवाई की बात कही है.

ममता ने सवाल किया, "आखिर रामनवमी की शोभायात्रा का रास्ता क्यों बदला गया? शोभायात्रा में कुछ लोग रिवाल्वर लेकर भी शामिल थे. इससे साफ है कि उनकी मंशा क्या थी. राम कभी बंदूक या तलवार लेकर सड़क पर नहीं उतरे थे."

ध्यान रहे कि सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में रामनवमी की शोभायात्रा में शामिल एक युवक को हाथ में रिवाल्वर लेकर नारे लगाते देखा जा सकता है.

लेकिन भाजपा ने मुख्यमंत्री पर झूठ बोलने का आरोप लगाते हुए दावा किया है कि विश्व हिंदू परिषद को रामनवमी की शोभायात्रा निकालने के लिए पुलिस और प्रशासन से जरूरी अनुमति मिली हुई थी.

पार्टी ने कहा है कि शोभायात्रा का रास्ता नहीं बदला गया था. इस बारे में तृणमूल कांग्रेस के दावे झूठे और निराधार हैं.

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुकांत बनर्जी ने अपने ट्वीट में कहा है कि रामनवमी की शोभायात्रा पर हमला और हिंसा आयोजकों के खिलाफ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भड़काऊ बयानों का नतीजा है. हिंसा के दौरान पुलिस दंगाइयों के साथ खड़ी तमाशा देख रही थी.

दोनों दलों के बीच लगातार तेज होते आरोप-प्रत्यारोप के बीच पुलिस के एक अधिकारी ने कहा है कि आयोजकों ने सभी जरूरी कागजात जमा नहीं किए थे. इसलिए शोभायात्रा निकालने की अनुमति नहीं दी गई थी.

हावड़ा के एक पुलिस अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहते हैं, "यह साफ नहीं है कि आज की हिंसा कैसे शुरू हुई, लेकिन यह पूरी तरह सुनियोजित लगती है. बीते साल भी रामनवमी के बाद हिंसा हुई थी, लेकिन तब इतने बड़े पैमाने पर आगजनी और तोड़फोड़ नहीं हुई थी."

केंद्र की कथित उपेक्षा के विरोध में दो-दिन के धरने पर बैठी ममता ने रमजान और रामनवमी को ध्यान में रखते हुए बृहस्पतिवार को ही शोभायात्रा के दौरान शांति बनाए रखने की अपील की थी.

ममता ने कहा कि भाजपा ने कम से कम सौ इलाकों में असामाजिक तत्वों के जरिए हिंसा फैलाने की योजना बनाई थी. इस हिंसा के पीछे किसका हाथ है, यह पता लगा कर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि हो सकता है कि इस मुद्दे पर भी केंद्र की कोई टीम बंगाल के दौरे पर आ जाए.

हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर
ध्यान रहे कि बृहस्पतिवार शाम को रामनवमी की शोभायात्रा के दौरान कथित पथराव के बाद इलाके में हिंसा भड़क उठी थी. इस मुद्दे पर दो गुट आपस में भिड़ गए थे.

उसके बाद कई दुकानों और वाहनों में तोड़फोड़ की गई और उनमें आग लगा दी गई. उत्तेजित लोगों ने मौके पर पहुंचे पुलिस वालों पर भी पथराव किया था. पथराव और पुलिस के लाठीचार्ज में कई लोग घायल हो गए. भीड़ ने पत्रकारों पर भी हमले किए. इनमें कुछ पत्रकारों के भी घायल होने की खबर है.

उधर, भाजपा विधायक और विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने शुक्रवार को कलकत्ता हाईकोर्ट में दायर एक जनहित याचिका में इस हिंसा की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंपने और प्रभावित इलाकों में केंद्रीय बल तैनात करने की मांग की है.

शुभेंदु अधिकारी ने खुद पत्रकारों को इसकी जानकारी दी. उन्होंने बताया कि इस पर सोमवार को सुनवाई होगी. (bbc.com/hindi)

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