विचार / लेख

सोशल मीडिया से
बादल सरोज
कहावत है कि नागिन भी कुछ घर छोडक़र काटती है और सांप भी अपनी बाम्बी में घुसता है तो सीधा होकर घुसता है-कहावतें तो कहावत हैं उनका क्या? होने को तो एक कहावत पूँछ के 12 साल तक नली में रखने के बाद भी टेढ़ी की टेढ़ी ही निकलने की भी है। एक लोकोक्ति तो ‘ऐसा कोई बचा नहीं, जिसको इनने ठगा नहीं की भी है।
कल रविवार को यही हुआ जरा सी तेज बयार आई और धरा के इस हिस्से के प्राचीनतम नगरों में से एक उज्जयिनी में करोड़ों रूपये खर्च दिखाकर खडी की गयी प्रतिमाएं धराशायी हो गई। सप्तऋषियों में से 6 ऋषियों की मूर्तियाँ खंडित हो गईं किसी का सर धड से अलग हो गया तो कोई पूरी प्रतिमा ही लुंठित होकर धुल धूसरित पड़ी मिली।
ये मूर्तियाँ पुराने, प्राचीन उज्जैन का रूप बदल कर उसे व्यावसायिक कॉम्प्लेक्स की तरह बनाए गए महाकालेश्वर मंदिर के उस नए परिसर में थी जिसे महाकाल लोक का नाम दिया गया है जिसे 700 करोड़ खर्चा खर्च करके बनाया गया था और किसी ऐरे गैरे नत्थू खैरे ने नहीं स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मात्र 7 महीने पहले अक्टूबर 2022 में इसका महा-उदघाटन किया था ।
10 से 25 फीट ऊंची ये मूर्तियां कागज की कश्ती नहीं थीं जो बारिश के पानी में बह जातीं! इन्हें लाल पत्थर और फाइबर रेनफोर्स प्लास्टिक (एफआरपी) से बनी बताया गया था । इन पर गुजरात-ध्यान दें गुजरात-की एमपी बाबरिया फर्म से जुड़े गुजरात, ओडिशा और राजस्थान के कलाकारों ने कारीगरी की थी ।
सरकारी अमले की चुस्ती-फुर्ती का नजारा यह था कि रविवार दोपहर बाद बदले मौसम के कारण जब उज्जैन में तेज आंधी के साथ बारिश हुई और महाकाल मंदिर के समीप ही विशाल बरगद का पेड़ गिरने से दो मकान क्षतिग्रस्त हो गए। तब भी घटना के दो घंटे बाद भी राहत बचाव दल मौके पर नहीं पहुंचा था।
महाकाल के साथ ठगी का यह पहला उदाहरण नहीं है ; 2004 और 2016 के सिंहस्थ कुम्भ मेलों में भी महाघोटाले हुए थे। मंत्रियों, संतरियों, मामा, मामियों, साले सालियों, जीजा बहनोइयों सहित अनेक यंत्री अभियांत्रियों के भी नाम आये थे ; इनमे से कई मामलों में एफ आई आर तक हुयी थी।
सिम्पल सी बात है कि 700 करोड़ रुपयों के पहली ही फुहार में पानी में बह जाने के महाकाल के साथ किए महाघोटाले की जांच होनी चाहिये। उत्तरदायी मंत्रियों से पहली फुर्सत में इस्तीफे लिए जाने चाहिये, इस निर्माण काम से जुड़े सभी ठेकेदार, इंजीनियर्स जेल के भीतर होने चाहिये, एक श्वेत पत्र जारी कर सचाई देश की जनता के सामने आनी चाहिये, जिनने उदघाटन किया था उन्हें भी अब दोबारा उज्जैन आकर अपने कुनबे के कामों के नतीजे देखना चाहिये ।
मगर क्या ऐसा होगा? ना जी ना !!
सिंहस्थ घोटालों से प्रसिद्ध हुए एक मंत्री कह चुके हैं कि यदि भ्रष्टाचार पर कार्यवाही होने लगी तो मंत्रिमंडल की बैठकें जेल में ही करनी होंगी, आधे से ज्यादा मंत्री अन्दर होंगे !!
ऊपर से अमित शाह से राजनाथ सिंह तक कह ही चुके हैं कि उनकी पार्टी की सरकार में इस्तीफे या कार्यवाहियां नहीं होती!
क्योंकि वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति की तर्ज पर हिन्दुत्ववादी भ्रष्टाचार भ्रष्टाचार न भवति होता है।