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मोहब्बत के इजहार का यही एक तरीका
29-May-2023 4:40 PM
मोहब्बत के इजहार का यही एक तरीका

सोशल मीडिया से

अशोक पांडे

रोज की तरह उस सुबह भी मार्गरेट अपने घर के नजदीक के सबवे स्टेशन पहुँची और ट्रेन का इंतजार करने लगी। हर लोकल ट्रेन के निकलने के बाद लाउडस्पीकर पर उसके महबूब पति ऑसवाल्ड की आवाज में एक अनाउन्समेंट होता था। यह 1 नवम्बर 2013 का दिन था। वह सुबह से ही ऑसवाल्ड को याद कर रही थी और उसकी पसंदीदा बेकरी से उसकी पसंदीदा डबलरोटी लेकर आई थी. 

बेंच पर बैठी मार्गरेट इक्कीस साल पहले मोरक्को में की गई अपनी उस क्रूज-यात्रा को याद करती हौले-हौले मुस्करा रही थी जब ऑसवाल्ड उसे पहली बार मिला था – ऑसवाल्ड लॉरेन्स जो कभी पेशेवर अभिनेता था पर बाद में करियर बदल कर क्रूज लाइनर में नौकरी करने लगा था. उसने करियर न बदला होता तो संभवत: दोनों की कभी मुलाकात भी न हो पाती- इस खयाल ने उसकी मुस्कराहट को और चमका दिया।

ट्रेन आई और चली गई। लाउडस्पीकर पर अनाउन्समेंट हुआ जरूर लेकिन ऑसवाल्ड की नहीं किसी दूसरे की आवाज में। पिछले चवालीस सालों से वह अनाउन्समेंट ऑसवाल्ड की आवाज़ में होता आ रहा था और मार्गरेट की तरह लन्दन के उस स्टेशन के आसपास रहने वालों को उसकी आदत पड़ चुकी थी। अपनी गहरी दोस्ताना आवाज में ऑसवाल्ड अनाउन्समेंट करता- ‘लेडीज एंड जेंटलमैन...’

अचानक क्या हुआ कि ऑसवाल्ड की आवाज़ बदलनी पड़ गई?- यह सवाल लेकर खिन्न मन से मार्गरेट स्टेशन इंचार्ज के पास गई।  उसे बताया गया नई पालिसी के तहत सभी सबवे स्टेशनों पर होने वाले अनाउन्समेंट डिजिटल बना दिए गए हैं जिनके लिए नई आवाजों का इस्तेमाल किया गया है। पुराने अनाउन्समेंट टेप और कैसेट की मदद से होते थे। जमाने के साथ चलने के लिए ऐसा किया जाना जरूरी था।

1992 में मोरक्को में हुई पहली मुलाकात के बाद मार्गरेट और ऑसवाल्ड साथ रहे और 2003 में बाकायदा पति-पत्नी बन गए। मार्गरेट डाक्टर थी- डॉ. मार्गरेट मैककलम- और ऑसवाल्ड से बेपनाह मोहब्बत करती थी। अचानक 2007 में ऑसवाल्ड की मौत हो गई। इस असमय त्रासदी ने मार्गरेट को भीतर तक तोड़ डाला। बेहद उदासी के दिनों में उसे अपने प्यारे की बहुत याद आया करती. एक दिन वह सबवे स्टेशन पर थी जब लाउडस्पीकर पर ऑसवाल्ड की आवाज गूंजी।

मार्गरेट जैसे नींद से जागी। उसे याद आया वे दोनों कई बार ऐसे ही ऑसवाल्ड की आवाज सुनने भर के लिए भी स्टेशन चले जाते थे। अब जब ऑसवाल्ड नहीं था, उसके साथ नजदीकी महसूस करने के लिए वह सबवे स्टेशन तो आ ही सकती थी। पिछले पांच सालों से वह हर सुबह लन्दन के एम्बैंकमेंट स्टेशन पहुँचती और उसकी आवाज सुनती। इस तरह वह हर रोजऑसवाल्ड के साथ कुछ पल बिता लिया करती थी।

मगर 1 नवम्बर की उस घटना ने उसे उदास और दुखी कर दिया था। जब स्टेशन मास्टर ने कहा कि अनाउन्समेंट की आवाज बदलना सरकारी पालिसी का हिस्सा है और वे कुछ नहीं कर सकते तो मार्गरेट ने अनुरोध किया कि उसे अपने पति की आवाज का वह कैसेट दे दिया जाय जो पिछले चवालीस सालों से बजाया जा रहा था। शीघ्र ही उसकी यह इच्छा पूरी कर दी गई. लेकिन मार्गरेट ने इसके बाद भी स्टेशन जाना नहीं छोड़ा। अपने महबूब के लिए अपनी मोहब्बत के इज़हार का यही एक तरीका उसे आता था. 

मार्गरेट की कहानी ने स्टेशन मास्टर को भीतर तक विचलित कर दिया था. उसने पूरा वाकया अपने सीनियर्स को बताया. बात ऊपर पहुँची और मार्गरेट को एक खुशनुमा सरप्राइज देने का फैसला किया गया।

एक सुबह मार्गरेट के पास एम्बैंकमेंट स्टेशन के स्टेशन मास्टर का फोन आया, ‘मिसेज मैककलम, क्या आप आधे घंटे में यहाँ आ सकती हैं?’

मार्गरेट पहुँची तो उसने पाया स्टेशन के लाउडस्पीकर पर ऑसवाल्ड की वही पुरानी आवाज गूँज रही थी।

‘बाकी लन्दन का तो हम नहीं कह सकते मिसेज मैककलम, लेकिन एम्बैंकमेंट के पब्लिक अनाउंसमेंट सिस्टम से अब आपके पति की आवाज कभी नहीं हटाई जाएगी।’

कौन कहता है आज के जमाने में लोग मोहब्बत करना भूल गए हैं!

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