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अमेरिकी संसद की प्रतिनिधि सभा यानी हाउस ऑफ़ रिप्रेज़ेंटेटिव ने सरकार की क़र्ज़ सीमा को बढ़ाने का विधेयक स्पष्ट बहुमत से पारित कर दिया है.
विधेयक के समर्थन में 314 और विरोध में 117 मत पड़े. दोनों ही पक्षों की तरफ़ से विरोध में मतदान हुआ है.
विधेयक के समर्थन में 165 डेमोक्रेट (राष्ट्रपति जो बाइडेन की पार्टी) और 149 रिपब्लिकन सदस्यों ने मतदान किया है.
इससे अमेरिकी सरकार के क़र्ज़ संकट का समाधान हो सकता है और सरकार के डिफॉल्टर होने का ख़तरा टल सकता है.
बता दें कि अमेरिकी संसद की प्रतिनिधि सभा में रिपब्लिकन पार्टी का बहुमत है. वहीं, सीनेट में डेमोक्रेटिक पार्टी का बहुमत है. ऐसे में इस बिल का प्रतिनिधि सभा में पास होना एक अहम घटना माना जा रहा है.
इस बिल को पारित कराने में दोनों पार्टियों के बीच समझौता कराने में अहम भूमिका निभाने वाले रिपब्लिकन पार्टी के सबसे वरिष्ठ नेता केविन मैकार्थी ने इसे ऐतिहासिक कहा है.
उन्होंने कंज़र्वेटिव सहकर्मियों की इस आलोचना को ख़ारिज किया है कि वो ख़र्च में बड़ी कटौती सुरक्षित कराने में नाकाम रहे.
सरकार को डिफॉल्ट होने से बचाने के लिए अब सोमवार से पहले इस विधेयक को सीनेट में पारित कराना अनिवार्य होगा.
राष्ट्रपति बाइडन ने कहा है कि वो जल्द से जल्द इस विधेयक को पारित करा लेना चाहते हैं.
माना जा रहा है कि सरकार पाँच जून को क़र्ज़ लेने की अपनी सीमा को पार कर सकती है.
वैश्विक अर्थव्यवस्था पर संकट
अमेरिकी सरकार पर 31.4 ट्रिलियन डॉलर का क़र्ज़ है. अमेरिका दुनिया की आर्थिक महाशक्ति है, और संसार की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है.
दुनिया के अनेक देशों की हालत अमेरिका में आए मामूली आर्थिक बदलाव से बनने-बिगड़ने लगती है.
ऐसे में अमेरिकी क़र्ज़ संकट का समाधान ना होने का असर वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ने की आशंकाएं ज़ाहिर की गईं थीं.
नया विधेयक 'डेट् सीलिंग' या क़र्ज़ सीमा को एक जनवरी 2025 तक के लिए निलंबित कर देगा.
कांग्रेस के बजट ऑफ़िस के मुताबिक़ इस विधेयक से अगले एक दशक के दौरान क़रीब 1.5 ट्रिलियन डॉलर की बचत होगी.
हालांकि, इस विधेयक को लेकर काफ़ी समय से गतिरोध बरक़रार था क्योंकि डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन, दोनों ही पार्टियों के कुछ सांसद इसका विरोध कर रहे थे.
अतिवादी कंज़र्वेटिव रिपब्लिकन नेताओं का तर्क था कि वो डेट् सीलिंग बढ़ाकर जो राहत सरकार को दे रहे हैं, उसके बदले में ख़र्च में पर्याप्त कटौती सुरक्षित नहीं कर पा रहे हैं.
वहीं डेमोक्रेट सांसद संघीय सरकार के खाद्य कार्यक्रम से राहत प्राप्त करने वाले लोगों के लिए काम करने की शर्तों को बढ़ाने और छात्रों को क़र्ज़ चुकाना शुरू करने के प्रावधानों का विरोध कर रहे थे.
मिज़ोरी से डेमोक्रेट सांसद इमैनुअल क्लीवर ने कहा कि भले ही वो इस विधेयक के विरोधी हों लेकिन वो बिल के समर्थन में मतदान करेंगे.
वहीं, साउथ कैरोलाइना से रिपब्लिकन सांसद नैंसी मेस ने बीबीसी से कहा कि उनकी पार्टी इस विधेयक के ज़रिये कुछ भी हासिल नहीं कर सकी है. उन्होंने बिल के विरोध में मतदान किया.
सीनेट में चुनौती बरक़रार
हाउस पर इस समय रिपब्लिकन पार्टी का नियंत्रण है. हालांकि उनके पास 222-213 का बहुत मामूली बहुमत ही है.
स्पीकर केविन मैकार्थी के प्रयासों से ये विधेयक भले ही सदन में पारित हो गया है लेकिन अभी इसके सामने सीनेट से पारित होने की चुनौती है.
वामपंथी सीनेटर बर्नी सैंडर्स ने बुधवार को विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि वो 'अंतःकरण' से इसका समर्थन नहीं कर सकते हैं.
इसी बीच सीनेट में डेमोक्रेट और रिपब्लिकन नेता ये कोशिश कर रहे हैं कि ये विधेयक सीनेट से पारित होने के बाद जल्द से जल्द राष्ट्रपति बाइडन के पास पहुंचे ताकि सरकार को डिफॉल्ट होने से बचाया जा सके.
इससे पहले 2011 में अमेरिका अपनी 'क़र्ज़ सीमा' को पार करने के इतना क़रीब पहुंचा था. तब क्रेडिट रेटिंग एजेंसी स्टेंडर्ड एंड पूअर्स ने अमेरिका की रेटिंग को कम कर दिया था, इसे अभी तक वापस नहीं किया गया है.
बुधवार को सदन में मतदान से पहले अमेरिका में शेयर बाज़ार मामूली गिरावट के साथ बंद हुए.
कर्ज़ की सीमा या 'डेट् सीलिंग' क्या है?
डेट् सीलिंग दरअसल वह अधिकतम रक़म है, जिसे अमेरिकी सरकार अपने ख़र्चे पूरे करने के लिए उधार ले सकती है, यह रक़म अमेरिकी कांग्रेस यानी संसद तय करती है.
भारत और अमेरिका सहित दुनिया के अनेक देशों का बजट घाटे में चलता है, यानी सरकार को टैक्स से जितनी आमदनी होती है उससे कहीं अधिक उसके खर्चे होते हैं.
ऐसी स्थिति में सरकार को अपने बिल चुकाने के लिए कर्ज़ लेना पड़ता है.
अमेरिका में यह एक सामान्य प्रक्रिया है. अर्थव्यवस्था की हालत को देखते हुए अमेरिकी कांग्रेस कर्ज़ की सीमा को घटाती और बढ़ाती रहती है.
1960 से लेकर अब तक कर्ज़ की सीमा में अमेरिकी संसद ने 78 बार बदलाव किया है.
लेकिन इस बार बाइडन को विपक्षी रिपब्लिकन सांसदों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है जो कर्ज़ की सीमा को बढ़ाने के बदले कई शर्तें रख रहे हैं जिन्हें मानने को सत्ताधारी डेमोक्रेट तैयार नहीं है.
यहाँ समझने वाली बात ये भी है कि डेट् सीलिंग भविष्य के ख़र्चों के लिए नहीं है, उसका फ़ैसला बजट में होता है.
कर्ज़ लेने की सीमा का संबंध वैसे बिलों से है जिनकी तत्काल अदायगी होनी है यानी डॉलर सरकार पहले ही ख़र्च कर चुकी है या करने का वादा कर चुकी है, और अब लेनदार उसके सिर पर खड़े है, मसलन, सरकारी सेवकों का वेतन और पेंशन वग़ैरह. (bbc.com/hindi)