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राजपथ-जनपथ : अनुज शर्मा को भाजपा में लेने का मतलब?
01-Jun-2023 6:35 PM
राजपथ-जनपथ : अनुज शर्मा को भाजपा में लेने का मतलब?

अनुज शर्मा को भाजपा में लेने का मतलब?
कांग्रेस सरकार की प्राथमिकता में नरवा, गुरुवा घुरवा बारी जैसी योजनाएं शामिल हैं। लोक त्यौहारों पर अवकाश दिया गया, सरकारी आयोजन होने लगे। बासी बोरे खाने को भी उत्सव के रूप में मनाया जाने लगा। राम वन गमन पथ से लेकर राष्ट्रीय रामायण मेला तक, राम और राम कथा  से छत्तीसगढ़ के जुड़ाव को मौजूदा कांग्रेस सरकार दर्शा रही है। राम का नाम भाजपा का चुनावी औजार रहा है, इसमें कांग्रेस बढ़त ले रही है छत्तीसगढिय़ा महक के साथ।

हालांकि तब कांग्रेस को जवाब देते नहीं बना था जब पिछले साल भाजपा ने सवाल उठाया था कि छत्तीसगढिय़ावाद की हिमायती भूपेश बघेल सरकार ने दोनों राज्यसभा टिकट बाहर के लोगों को क्यों दी। क्या कोई काबिल छत्तीसगढिय़ा नहीं मिला?  मगर इसके बाद बिहार के भाजपा विधायक और छत्तीसगढ़ में सह प्रभारी का काम देख रहे नितिन नबीन तब घिर गए, जब उन्होंने सवाल उठा दिया था कि छत्तीसगढ़ महतारी की हर जिले में प्रतिमा लगाने से क्या होगा, क्या महिलाओं की स्थिति सुधर जाएगी। कांग्रेस ने भाजपा को छत्तीसगढिय़ा विरोधी बताया। बाद में भाजपा ने सफाई दी थी कि हम छत्तीसगढिय़ा वाद को नहीं, भारतीयवाद यानि राष्ट्रवाद को मानते हैं।

छत्तीसगढ़ भाजपा में जिस तरह से नेता प्रतिपक्ष और प्रदेश अध्यक्ष एक झटके में बदले गए। अन्य राज्यों से नियुक्त संगठन के प्रभारी, स्थानीय दिग्गज नेताओं पर भारी पड़ रहे हैं, उससे लोगों को यह न लगे कि पार्टी में सब कुछ दिल्ली से तय होता है। पार्टी के रणनीतिकारों को लगता हो कि हमें छत्तीसगढिय़ा दिखना जरूरी है। गोठानों में घोटाले पर आवाज उठाना, छत्तीसगढिय़ा, किसानों, महिलाओं के खिलाफ नहीं है- जैसा कि कांग्रेस आम राय बनाने की कोशिश कर रही है।

लगता है कि पद्मश्री अनुज शर्मा को भाजपा प्रवेश कराना पार्टी को अधिक छत्तीसगढिय़ा बताने की एक कोशिश है। अनुज शर्मा छत्तीसगढ़ के गांव-गांव में लोकप्रिय हैं। उनके लाखों फैन्स हैं। छत्तीसगढ़ फिल्मों में अभिनय गीत गाने के अलावा वे आम बोलचाल में भी प्राय: छत्तीसगढ़ी ही बोलते हैं। उनकी सभाओं में भीड़ जुट सकती है। एक लोकप्रिय छत्तीसगढिय़ा कलाकार को अपनी ओर खींच लेना भाजपा की कामयाबी है, जिसके जवाब में कांग्रेस को भी कुछ करना होगा।

इस बार मोबाइल नहीं, मछली के लिए
पखांजूर की घटना के बाद जशपुर जिले के बादलखोल अभयारण्य के तुम्बालता बीट में भी लाखों लीटर पानी की बर्बादी की घटना सामने आई है। गर्मियों में वन्यप्राणियों को जल संकट का सामना न करे, इसलिए यहां के एक नाले में स्टाप डेम बनाया गया था। पर किसी ने इस डेम का लकड़ी का गेट खोल दिया और पूरा पानी बह गया। यह भी लाखों लीटर पानी था। कितने दिन पहले खोला गया यह वन विभाग के अधिकारी बता नहीं पा रहे हैं, शायद इधर गश्त ही नहीं हुई। जिस तरह पखांजूर के एसडीओ को डेम खाली कराने की जानकारी चौथे दिन मिल पाई थी। वन विभाग के मैदानी कर्मचारी अब पास के गांवों के लोगों से पूछताछ कर रहे हैं। उनका दावा है कि मछली पकडऩे के लिए बांध खाली कराया गया। पर ग्रामीण कह रहे हैं कि भरी गर्मी में बांध का पानी मछली के लिए हम कभी नहीं बहा सकते। किसी ने शरारत की है पता लगाएंगे और हम खुद भी कहेंगे कि उसे सजा मिले। इन दोनों घटनाओं से एक बात साफ हो रही है कि पानी कितना बहुमूल्य है इसका एहसास संकट के दिनों में भी कुछ लोगों को नहीं होता था। चाहे वे पढ़े-लिखे क्यों न हों। बाकी बांधों का पानी कम से कम बारिश आते तक बचे रहे, इसका उपाय संबंधित विभागों को करना जरूरी हो गया है।

सबसे छोटा शर्मीला हिरण
बस्तर के कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में हिरण की सबसे छोटी प्रजाति माउस डियर को 29 मई को रात 2.20 बजे ट्रैप कैमरे में कैद किया गया है। हिरण, सूअर और चूहे की मिश्रित शारीरिक संरचना वाला यह वन्य प्राणी बहुत शर्मीला होता है, इसीलिए प्राय: यह रात में ही निकलता है। यह आमतौर पर दिन में दिखाई नहीं देता।

भारत में 12 प्रजातियों के हिरण पाए जाते हैं। माउस डियर को हिरण समूह का सबसे छोटा प्राणी माना जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम मोसीयोला इंडिका है। इसका वजन केवल 3 किलोग्राम होता है और लंबाई 57.5 सेंटीमीटर हो सकती है। हिरण की एकमात्र ऐसी प्रजाति है जिसके सींग नहीं होते। नमी वाली घनी झाडिय़ों के बीच ये छिपे होते हैं। जंगल में आगजनी की घटनाओं, अतिक्रमण और शिकार के कारण पूरे भारत में माउस डियर एक दुर्लभ प्राणी के रूप में देखा जा रहा है। कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में ये बचे रह सकें तो इससे अच्छी बात और क्या होगी।  

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