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खेरसॉन (यूक्रेन), 7 जून। युद्धग्रस्त यूक्रेन में एक बांध के टूटने के बाद उससे निकल रहे पानी के कारण सैकड़ों लोगों को एक बड़े आपात अभियान के तहत सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
रूस की गोलाबारी के बीच, लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने का अभियान जारी है।
बांध टूटने के एक दिन बाद भी इस आपदा का कारण अब तक अस्पष्ट है। हालांकि, यूक्रेन ने रूस पर बांध तोड़ने का आरोप लगाया है, जबकि रूस ने बांध टूटने के लिए यूक्रेन की गोलाबारी को जिम्मेदार ठहराया है।
कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि युद्धकालीन क्षति और अनदेखी के कारण बांध दुर्घटनावश टूटा होगा। वहीं, अन्य का कहना है कि ऐसा नहीं हुआ होगा और दलील दी कि बांध ध्वस्त करने के लिए रूस के पास रणनीतिक कारण रहे होंगे।
अधिकारियों ने बुधवार को कहा कि जलस्तर और बढ़ने की संभावना है तथा इसकी जद में डनीपर नदी के और तटवर्ती इलाके आ जाएंगे।
काखोवा जलविद्युत बांध और जलाशय विश्व के सबसे बड़े बांधों में शामिल है और दक्षिणी यूक्रेन में पेयजल आपूर्ति तथा सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसका एक हिस्सा खेरसॉन क्षेत्र में पड़ता है, जिस पर पिछले साल रूसी सेना ने कब्जा कर लिया था। यह नदी वहां दोनों युद्धरत पक्षों के नियंत्रण वाले क्षेत्रों के बीच एक विभाजक रेखा है।
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने बुधवार को मॉस्को पर आरोप लगाया कि उसने जानबूझकर बांध को नष्ट किया है।
उन्होंने टेलीग्राम पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘हजारों लोग पेयजल से वंचित हो गए हैं।’’
खेरसॉन क्षेत्र के सैन्य प्रशासन प्रमुख ओलेसेंद्र प्रोकुदीन ने कहा, ‘‘बाढ़ के पानी के प्रवाह की गति घट रही है।’’
उन्होंने कहा कि नदी किनारे मौजूद 1,800 मकान जलमग्न हो गए हैं और करीब 1,500 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। (एपी)