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उत्तराखंड: अल्पसंख्यक दुकानदारों को दुकान खाली करने की धमकी
08-Jun-2023 1:23 PM
उत्तराखंड: अल्पसंख्यक दुकानदारों को दुकान खाली करने की धमकी

उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के पुरोला में नाबालिग लड़की को अगवा करने के प्रयास के बाद तनाव का माहौल है. दक्षिणपंथी संगठन ने कथित तौर पर ऐसे पोस्टर लगाए हैं, जिनमें अल्पसंख्यकों से दुकान खाली करने को कहा गया है.

   डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-

उत्तरकाशी जिले में 'देवभूमि रक्षा अभियान' नाम के संगठन द्वारा एक खास समुदाय को निशाना बनाते हुए पोस्टर चिपकाए गए. इन पोस्टरों में जिले के एक समुदाय विशेष के सदस्यों से दुकान खाली करने को कहा गया. पोस्टर लगाए जाने के बाद अल्पसंख्यक समुदाय के व्यापारियों ने पुलिस और प्रशासन से सुरक्षा की गुहार लगाई है.

पोस्टर में क्या लिखा है

हिंदुत्ववादी संगठन ने अपने पोस्टर में लिखा है, "लव जिहादियों को सूचित किया जाता है कि दिनांक 15 जून 2023 को होने वाली महापंचायत होने से पूर्व अपनी दुकानें खाली कर दें. यदि तुम्हारे द्वारा ऐसा नहीं किया जाता है, तो वह वक्त पर निर्भर करेगा." ऐसे पोस्टर पुरोला के मुख्य बाजार में लगाए गए हैं. खबरों में कहा जा रहा है कि पुरोला के मुख्य बाजार में करीब 700 दुकानें हैं, जिनमें 40 दुकानें मुसलमानों की हैं.

इस घटना के दो दिन पहले दक्षिणपंथी समूह के सदस्यों ने कथित तौर पर मुसलमानों की दुकानों और घरों पर भी हमला किया था. पुलिस ने कहा कि उनकी पहचान करने की कोशिश हो रही है. पुलिस ने यह भी बताया कि 5 जून को ही पोस्टर हटा दिए गए थे और मामले की जांच हो रही है.

उत्तरकाशी के पुलिस अधीक्षक अर्पण यदुवंशी ने मीडिया को बताया कि पोस्टर लगाने वाले असामाजिक तत्वों की पहचान की जा रही है. पुलिस ने स्थानीय व्यापार मंडल और स्थानीय लोगों के साथ भी बैठक की और उनसे कानून व्यवस्था बनाए रखने की अपील की.

हिजाब पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ भी गया और नहीं भी आया

पुलिस कार्रवाई के बावजूद स्थानीय मुस्लिम दुकानदारों के प्रभावित होने की खबरें आ रही हैं. "द हिंदू" अखबार की एक खबर के मुताबिक, पुरोला शहर के एक मुस्लिम हेयरड्रेसर शमीम अली (पहचान छिपाने के लिए बदला हुआ नाम) ने बताया कि उन्हें 27 मई से ही अपनी दुकान बंद करनी पड़ी है. अब वह अपनी बहन के यहां विकास नगर चले गए हैं. शमीम मूल रूप से उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के रहने वाले हैं. वह कई दशकों से उत्तरकाशी में दुकान चला रहे थे. उन्होंने अखबार से कहा, "कौन जानता था कि एक दिन मुझे सबकुछ पीछे छोड़ना पड़ेगा. वे बस एक घटना के कारण सारे मुसलमानों को कैसे बुरा कह सकते हैं?"

मौजूदा प्रसंग बीते दिनों हुई एक आपराधिक घटना से जुड़ा बताया जा रहा है. 26 मई को दो लोगों ने इस इलाके से एक नाबालिग को अगवा करने की कोशिश की थी. हालांकि स्थानीय लोगों ने लड़की को अगवा से होने बचा लिया था और पुलिस ने दोनों युवकों को गिरफ्तार भी कर लिया था. नाबालिग लड़की के परिवार की शिकायत पर दोनों के खिलाफ पोक्सो के तहत एफआईआर दर्ज हुई और उन्हें उसी दिन जेल भेज दिया गया. दोनों आरोपी युवकों में से एक हिंदू और एक मुस्लिम समुदाय का था. लेकिन गिरफ्तारी के बाद माहौल शांत नहीं हुआ और इलाके के मुस्लिम परिवारों को निशाना बनाने का आरोप लगा.

"हिंदू लड़कियों को निशाना बनाया जा रहा"

विश्व हिंदू परिषद के नेता वीरेंद्र राणा ने मीडिया से कहा कि पोस्टर स्थानीय लोगों ने चिपकाए थे. राणा का दावा है, "पोस्टर स्थानीय लोगों द्वारा चिपकाए गए थे, जो चाहते हैं कि एक विशेष समुदाय के सदस्य शांति और सामाजिक सौहार्द बनाए रखने के लिए शहर छोड़ दें. वे यहां व्यापार करने के लिए बाहर से आए थे, लेकिन अब हिंदू लड़कियों और महिलाओं को निशाना बना रहे हैं."

पुरोला के एसएचओ खजान सिंह चौहान ने बताया कि पुलिस ने शहर की शांति भंग करने और समुदाय विशेष की धार्मिक भावनाओं को भड़काने के आरोप में 'देवभूमि रक्षा अभियान' के अज्ञात लोगों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया है.

'देवभूमि रक्षा अभियान' पिछले महीने भी खबरों में आया था. उत्तराखंड में पौड़ी गढ़वाल से बीजेपी नेता यशपाल बेनाम की बेटी की शादी एक मुस्लिम लड़के से होने वाली थी. देवभूमि रक्षा अभियान ने इस शादी का विरोध करते हुए राज्य में प्रदर्शन किए. बाद में खबर आई कि शादी का कार्यक्रम रोक दिया गया है.

पोस्टर पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने एक ट्वीट कर इस तरह की घटनाओं को "भयावह" बताया. उन्होंने ट्वीट में लिखा, "भयावह. हम इतना नीचे गिर गए हैं. हमने जो भारत बनाया है, उस पर गांधी जी शर्मिंदा होंगे."

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने एक दिन पहले बयान में कहा था कि राज्य सरकार "लव जिहाद" और "लैंड जिहाद" को लेकर पूरी तरह से सख्त है. उन्होंने कहा, "देवभूमि में इस तरह की हरकतों को होने नहीं दिया जाएगा."

यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि अदालतें और केंद्र सरकार आधिकारिक तौर पर "लव जिहाद" को मान्यता नहीं देती हैं. "लव जिहाद" एक अपमानजनक शब्द है और हिंदू दक्षिणपंथी इसका इस्तेमाल उस कथित अवधारणा को बयान करने में करते हैं, जिसका दावा है कि मुस्लिम पुरुष बहला-फुसलाकर हिंदू महिलाओं से शादी करते हैं और उनसे इस्लाम कबूल करवाते हैं.

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बढ़ रही है समुदाय विशेष के खिलाफ नफरत

सामुदायिक तौर पर मुस्लिमों का आर्थिक बहिष्कार, घर किराये पर देने से इनकार करना, शहर या गांव में सामान बेचने वाले मु्स्लिम विक्रेताओं का बहिष्कार करने जैसी अपीलें बीते महीनों में देखने-सुनने को मिली हैं. 2022 में दिल्ली में हुई "विराट हिंदू सभा" में बीजेपी के सांसद प्रवेश वर्मा ने समुदाय विशेष के बहिष्कार का एलान किया था. उन्होंने वहां मौजूद लोगों से समुदाय विशेष के लोगों के बहिष्कार की अपील की थी. प्रवेश वर्मा ने कहा था, "ये रेहड़ियां लगा रहे हैं, इनकी रेहड़ी से सब्जी खरीदने की जरूरत नहीं है. ये मांस-मच्छी की दुकान खोलते हैं, वहां पर एमसीडी को बोलकर जिनके पास लाइसेंस नहीं है, उनको बंद कराने की जरूरत है. ये लोग रेस्तरां खोलते हैं, इनका संपूर्ण बहिष्कार होना चाहिए."

इस कार्यक्रम के बाद दिल्ली पुलिस ने आयोजकों के खिलाफ मामला दर्ज किया था. इसी तरह से पिछले साल मार्च में कर्नाटक में 'हिंदू जन जागृति' ने हलाल मीट के बायकॉट का ऐलान किया था. बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि ने एक बयान में हलाल खाने को "आर्थिक जिहाद" करार दिया था.

"धर्मांतरण विरोधी" कानून पर भी विवाद

आलोचक कहते हैं कि भारतीय जनता पार्टी के सत्ता में आने के बाद से हिंदुओं और मुसलमानों के बीच ध्रुवीकरण और बंटवारा बढ़ा है.  बीजेपी शासित छह राज्यों समेत कम-से-कम आठ भारतीय राज्य धर्मांतरण विरोधी कानून पास कर चुके हैं.

यह कानूनशादी के इरादे से धर्म परिवर्तन करने पर प्रतिबंध लगाता है. दिसंबर 2022 में महाराष्ट्र की सरकार ने 13 सदस्यों की एक समिति गठित की थी. यह समिति राज्य में हुई अंतरधार्मिक शादियों की जांच करेगी और ऐसे जोड़ों और उनके परिवारों का ब्योरा दर्ज करेगी.

दिसंबर 2022 में ही कट्टरपंथी हिंदू संगठन, विश्व हिंदू परिषद ने देशभर में एक सार्वजनिक "जागरूकता अभियान" शुरू किया. वीएचपी का दावा है कि हिंदू महिलाओं को "लव जिहाद" में फंसाया जा रहा है और गैरकानूनी तरीके से उनका धर्म परिवर्तन करवाया जा रहा है.

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