सेहत-फिटनेस
भारत में डायबिटीज से पीड़ित मरीजों की संख्या 10 करोड़ से ज्यादा है. 2019 में यह संख्या लगभग सात करोड़ थी. हाल ही में ब्रिटेन के मेडिकल जर्नल लांसेट में भारत में डायबिटीज की स्थिति से जुड़ा शोध छपा है.
डॉयचे वैले पर आमिर अंसारी की रिपोर्ट-
ब्रिटिश मेडिकल जर्नल लांसेट में छपे इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के शोध के मुताबिक कुछ राज्यों में डायबिटीज के मामले स्थिर हैं, तो वहीं कुछ राज्यों में मामले तेजी से बढ़े हैं. इस शोध में बताया गया है कि जिन राज्यों में डायबिटीज के मामलों में तेजी आई है, वहां इस बीमारी को रोकने के लिए फुर्ती से कदम उठाने होंगे.
शोध में कहा गया है कि देश की 15.3 फीसदी या लगभग 13.6 करोड़ आबादी प्री-डायबिटीक हैं, जबकि देश की 11.4 फीसदी आबादी डायबिटीक है. यानी अगले कुछ सालों में ऐसे लोगों की डायबिटीज की चपेट में आने की आशंका है. शोध में यह भी कहा गया है कि 35 प्रतिशत से अधिक आबादी हाइपरटेंशन और हाई कोलेस्ट्रॉल की शिकार है. वहीं मोटापे की बात करें, तो शोध कहता है कि देश की 28.6 फीसदी आबादी इससे ग्रस्त है.
क्या होता है प्री-डायबिटीक
डायबिटीज के दो प्रकार हैं, टाइप-1 और टाइप-2. टाइप-1 आनुवांशिक होता है. यह बच्चों और युवाओं में देखने को मिलता है, लेकिन इसके मामले बहुत ही कम होते हैं. टाइप-2 डायबिटीज ज्यादा जीवनशैली से जुड़ा है और दुनिया भर में तेजी से फैल रहा है. लेकिन अगर प्री-डायबिटीक की बात की जाए, तो वह एक गंभीर स्वास्थ्य स्थिति है. इसमें शुगर का स्तर सामान्य से अधिक होता है, लेकिन इतना ज्यादा नहीं कि उसे टाइप-2 डायबिटीज की श्रेणी में रखा जा सके.
शोध में कहा गया है कि गोवा में 26.4 फीसदी, पुदुचेरी (26.3), केरल (25.5) और चंडीगढ़ (20.4 फीसदी) में अधिकतम प्रसार देखा गया. शोध में यह भी बताया गया कि कम प्रसार वाले राज्य यूपी, बिहार, मध्य प्रदेश और अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्यों में आने वाले कुछ सालों में "डायबिटीज विस्फोट" हो सकता है.
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बढ़ जाएंगे डायबिटीज के मरीज
अध्ययन की प्रमुख लेखक डॉक्टर आरएम अंजना के मुताबिक, "जब प्री-डायबिटीज के प्रसार की बात आती है, तो लगभग ग्रामीण और शहरी विभाजन नहीं दिखाई देता है. इसके अलावा प्री-डायबिटीज का स्तर उन राज्यों में अधिक पाया गया, जहां डायबिटीज का मौजूदा प्रसार कम था. यह एक टिक-टिक करने वाले टाइम बम जैसा है."
उन्होंने आगे कहा, "अगर आपको प्री-डायबिटीज है, तो हमारी आबादी में डायबिटीज में परिवर्तन बहुत-बहुत तेजी से होता है. प्री-डायबिटीज वाले 60 प्रतिशत से अधिक लोग अगले पांच वर्षों में डायबिटीज के शिकार हो जाएंगे. इसके अलावा भारत की लगभग 70 प्रतिशत आबादी गांवों में रहती है. इसलिए अगर डायबिटीज का प्रसार 0.5 से 1 प्रतिशत भी बढ़ जाता है, तो असल संख्या बहुत बड़ी हो जाएगी."
इस शोध के लिए वैज्ञानिकों ने 31 राज्यों में एक लाख से अधिक शहरी और ग्रामीण लोगों को सर्वे में शामिल किया. सर्वे में शामिल लोगों की 18 अक्टूबर, 2008 और 17 सितंबर, 2020 के बीच जांच की गई. सर्वे में शामिल लोगों की उम्र 20 वर्ष या उससे अधिक थी. और उसके बाद इस शोध के नतीजे सामने आए. (dw.com)