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मणिपुर में जातीय हिंसा रोकने के लिए केंद्र सरकार ने शांति समिति का गठन किया है. इस समिति की अध्यक्षता मणिपुर के राज्यपाल करेंगे.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, गृह मंत्रालय ने बताया है कि मणिपुर के राज्यपाल की अध्यक्षता में शांति समिति का गठन किया गया है.
राज्यपाल के साथ मुख्यमंत्री, सांसद और अलग-अलग दलों के नेता इस समिति के सदस्य होंगे.
समाचार एजेंसी एएनआई ने गृह मंत्रालय के हवाले से बताया है कि समिति में पूर्व नौकरशाह, शिक्षाविद्, सामाजिक कार्यकर्ता और अलग-अलग जातीय समूहों से संबंध रखने वाले प्रतिनिधि भी शामिल होंगे.
मणिपुर शांति समिति का उद्देश्य परस्पर विरोधी समूहों के बीच संवाद, आपसी समझ को मज़बूत करना और इलाक़े में शांति स्थापित करना है.
मणिपुर में हिंसा क्यों भड़की थी?
मणिपुर में जारी अशांति के केंद्र में मैतेई और कुकी समुदाय हैं.
राज्य की कुल आबादी 30-35 लाख है जिसमें मैतेई समुदाय बहुसंख्यक है.
मणिपुर के 10 प्रतिशत भूभाग पर मैतेई समुदाय का दबदबा है.
90 फ़ीसदी पहाड़ी इलाक़ों में कुकी और बाक़ी जनजातीय समुदाय है. मैतेई लंबे समय से जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग कर रहे हैं.
मणिपुर हाई कोर्ट ने मार्च में राज्य सरकार से मैतेई को जनजाति का दर्जा दिए जाने पर विचार करने को कहा था.
हाई कोर्ट के ऑब्ज़र्वेशन के बाद मैतेई और कुकी समुदायों के बीच हिंसक झड़पें शुरू हुईं.
हिंसा के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर का दौरा किया था. (bbc.com/hindi)