विचार / लेख

दीपक मंडल
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को जी-20 में हिस्सा ले रहे देशों के सुझावों, प्रस्तावों और विचारों पर चर्चा करने के लिए नवंबर से पहले एक वर्चुअल सेशन की पेशकश के साथ सम्मेलन के समापन का एलान कर दिया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ब्राजील के औपचारिक रूप से जी-20 देशों की अध्यक्षता लेने से पहले भारत के पास ढाई महीने का समय है और इसमें इन सुझावों पर विचार किया जा सकता है।
उन्होंने ‘वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर’ के रोडमैप के सुखद होने की कामना के साथ सम्मेलन में हिस्सा ले रहे देशों को धन्यवाद दिया। इस दौरान उन्होंने संस्कृत का एक श्लोक भी कहा, जिसका संबंध दुनिया में शांति और खुशी की कामना से है।
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन समेत दुनिया भर से जुटे कई नेताओं ने भारत की अध्यक्षता की सराहना की। सम्मेलन में कुल तीन सत्र हुए। दो सत्र (वन अर्थ और वन फैमिली) शनिवार को और एक सत्र (वन फ्यूचर) का आयोजन रविवार को हुआ।
सम्मेलन में जी-20 लीडर्स डिक्लेरेशन (घोषणा पत्र) पर पहले ही दिन (शनिवार) को सहमति बन गई और पीएम मोदी ने इसके ‘एडॉप्ट’ होने का एलान किया। ये सम्मेलन अफ्रीकन यूनियन को स्थायी सदस्यता दिए जाने के लिए भी याद किया जाएगा।
सम्मेलन में हिस्सा लेने आए अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन और तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने द्विपक्षीय वार्ता के दौरान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता की दावेदारी का समर्थन किया।
‘वन फ्यूचर’ सेशन में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता का सवाल
जी20 शिखर सम्मेलन के ‘वन फ्यूचर’ सत्र में मोदी ने कहा, ‘दुनिया के अच्छे भविष्य के लिए वैश्विक निकायों को आज की वास्तविकताओं को ध्यान में रखन जरूरी होगा।’
उन्होंने कहा कि जब संयुक्त राष्ट्र की स्थापना 51 संस्थापक सदस्यों के साथ हुई थी तब दुनिया बिल्कुल अलग थी क्योंकि लेकिन ये संख्या लगभग 200 हो गई है। ‘इसके बावजूद, यूएनएससी में स्थायी सदस्यों की संख्या वही बनी हुई है।’ ‘तब से दुनिया काफी बदल गई है चाहे परिवहन हो, संचार हो, स्वास्थ्य हो, शिक्षा हो, हर क्षेत्र में परिवर्तन हुआ है।’
पीएम मोदी ने साइबर सुरक्षा और क्रिप्टो करेंसी को दुनिया के वर्तमान और भविष्य को प्रभावित करने वाले ज्वलंत मुद्दों में से एक बताया।
उन्होंने एक उदाहरण के रूप में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का हवाला दिया और कहा कि जी20 देशों को 2019 में ब्लॉक की ओर से अपनाए गए ‘एआई सिद्धांतों’ से आगे जाने की जरूरत है।
रूस-यूक्रेन युद्ध और सम्मेलन का घोषणापत्र
जी-20 सम्मेलन के घोषणापत्र पर आम सहमति को भारत और पीएम नरेंद्र मोदी की सफलता के तौर पर देखा जा रहा है।
समाचार एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से जानकारी दी है कि रूस- यूक्रेन मुद्दे पर सदस्य देशों के बीच तालमेल बिठाना आसान नहीं था। घोषणापत्र पर सहमति कायम करने में ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका और इंडोनेशिया जैसे उभरती अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों की इसमें अहम भूमिका रही।
समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया है कि जी-20 सम्मेलन ने भारत और उसके नेतृत्व को ‘लोकतांत्रिक मूल्यों के मिलन बिंदु’ के तौर पर पेश किया।
घोषणापत्र में यूक्रेन के मुद्दे पर रूस का नाम न लेना और जी-20 देशों के नरम रुख को लेकर काफी चर्चा है।
इस सम्मेलन को कवर करने आए ‘द ट्रिब्यून’ के एसोसिएट एडिटर संदीप दीक्षित ने बीबीसी संवाददाता जुबैर अहमद को बताया कि ये पहली बार था जब जी20 सम्मेलन में पश्चिमी देशों का दबदबा नहीं दिखा।
उनके मुताबिक अमूमन जी-20 में जी-7 यानी अमीर पश्चिमी देश हावी रहते हैं। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। भारत और विकासशील देशों ने ये पहले ही जता दिया था कि रूस-यूक्रेन के मुद्दे को इस पर हावी नहीं होने दिया जाएगा। जबकि इंडोनेशिया में हुए पिछले जी-20 सम्मेलन में अमेरिका और यूरोप जैसे देशों के दबदबे की वजह से यूक्रेन के खिलाफ युद्ध छेडऩे के लिए रूस की निंदा की गई थी।
उन्होंने कहा, ‘बड़ी बात ये थी कि अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा जैसे देशों ने इस यथार्थ को मंजूर किया और उन्होंने इस पर बहुत जोर नहीं दिया। ये उभरती अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों की उपलब्धि कही जाएगी।’
यूक्रेन की नाराजगी पर भारत ने क्या कहा?
संदीप दीक्षित ने कहा, ‘इससे यूक्रेन नाराज हुआ और उसका ऐसा होना लाजिमी था। यूक्रेन पूरा जोर लगा रहा था कि इस सम्मेलन में रूस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव लाया जाए या फिर उसके राष्ट्रपति वोलोदोमीर जेलेंस्की को इसे वीडियो लिंक के जरिये संबोधित करने का मौका मिल जाए। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यूक्रेन का मुद्दा नहीं चला।’
इस मामले का जिक्र करते हुए भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि इंडोनेशिया के बाली में यूक्रेन मुद्दे पर प्रस्ताव से इसकी तुलना नहीं की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा,‘बाली सम्मेलन एक साल पहले हुआ था। तब हालात अलग थे। तब से अब तक बहुत कुछ हो चुका है।’
विशेषज्ञों का कहना कि भारत ने जी-20 सम्मेलन में रूस-यूक्रेन का मुद्दा हावी नहीं होने दिया।
इसके बजाय इसमें कोविड के बाद की दुनिया में डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर, क्रिप्टोकरेंसी पर रेगुलेशन और वैश्विक फाइनेंशियल फ्रेमवर्क जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई, जो आज की आर्थिक चुनौतियों से भरी दुनिया के लिए बिल्कुल मुफीद मुद्दे थे।
किन देशों के साथ हुई द्विपक्षीय बातचीत
सम्मेलन के इतर भारत की 15 देशों के साथ द्विपक्षीय बातचीत हुई। अमेरिका ने बातचीत के दौरान 31 ड्रोन खरीदने के लिए भारत की ओर से अनुरोध पत्र जारी करने का स्वागत किया।
मोदी और बाइडन ने कहा कि दोनों सरकारें स्ट्रैटजिक पार्टनरशिप पर काम करती रहेंगी और सेमी कंडक्टर सप्लाई चेन के लिए काम करेंगे।
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और पीएम मोदी के साथ बातचीत में मुक्त व्यापार समझौते के साथ ही दोनों देशों के बीच आपसी व्यापार और निवेश में तेजी लाने की प्रतिबद्धता जताई गई। वहीं बांग्लादेश से सुरक्षा सहयोग, सीमा प्रबंधन, व्यापार और कनेक्टिविटी, जल संसाधन, बिजली और ऊर्जा सहयोग पर चर्चा हुई।
पीएम मोदी ने शुक्रवार को बाइडेन, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना और मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद जुगनौथ के साथ द्विपक्षीय बैठक की।
शनिवार को ब्रिटेन, जापान, जर्मनी, इटली से द्विपक्षीय वार्ता हुई। 10 सितंबर यानी रविवार को पीएम मोदी ने कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो से बात की और वहां खालिस्तानी अलगाववादियों को लेकर भारत की चिंता से अवगत कराया।
पीएम मोदी तुर्की के राष्ट्रपति से भी मिले।
जबकि सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान 11 सितंबर को नरेंद्र मोदी से बातचीत करेंगे।
बाइडन ने कहा, जी-20 ने उम्मीदें बढ़ाईं
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन भी जी-सम्मेलन में चर्चा के दौरान शामिल किए गए मुद्दों पर सहमति जताई।
उन्होंने कहा कि इस साल के जी-20 सम्मेलन ने ये साबित कर दिया कि ये संगठन दुनिया की बड़ी समस्याओं के हल की दिशा में काम कर सकता है।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (पहले ट्विटर) पर लिखा, ‘ऐसे वक्त में जब दुनिया जलवायु परिवर्तन, अपनी कमजोरियों और संघर्षों से जूझ रही है तो ऐसे समय में इस साल के जी-20 सम्मेलन ने साबित किया है कि इसके पास दुनिया की बड़ी समस्याओं का हल है।’
शनिवार को भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से 50 मिनट की बातचीत में बाइडन ने अमेरिका और भारत के बीच रिश्तों को और मजबूत और बहुआयामी करने की प्रतिबद्धता जताई।
पीएम नरेंद्र मोदी ने सम्मेलन के समापन के दौरान ब्राजील के राष्ट्रपति लुईस ईनास्यू लूला डा सिल्वा को जी20 समूह की अध्यक्षता सौंप दी। इसके प्रतीक के तौर पर उन्हें पीएम मोदी ने गैवल (हथौड़ा) पेश किया।
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, ‘भारत ने ब्राजील को गैवल दी। हमें अटूट विश्वास है कि वे समर्पण और दूरदर्शिता के साथ नेतृत्व करेंगे।’’
ब्राजील के राष्ट्रपति लूला ने क्या कहा?
ब्राजील के राष्ट्रपति लुईस ईनास्यू लूला डा सिल्वा ने इस मौके पर उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं के हितों से जुड़े मुद्दों को आवाज देने के लिए भारत की तारीफ की। जी-20 शिखर सम्मेलन के समापन सत्र में पीएम मोदी ने ब्राजील को इस समूह की अध्यक्षता के लिए शुभकामनाएं भी दी।
ब्राजील आधिकारिक रूप से इस साल एक दिसंबर को जी20 समूह के अध्यक्ष का कार्यभार संभालेगा।
लूला डी सिल्वा ने कहा कि जी-20 सामाजिक समावेश, भूख के ख़िलाफ़ लड़ाई, जलवायु परिवर्तन और सतत विकास जैसे मुद्दों को प्राथमिकता देगा। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को अपनी राजनीतिक ताकत बरकरार रखने के लिए स्थायी और गैर-स्थायी सदस्यों के रूप में नए विकासशील देशों की जरूरत पड़ेगी।
उन्होंने कहा,‘‘हम विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) में विकासशील देशों के लिए अधिक प्रतिनिधित्व चाहते हैं।’’
ब्रिटेन ने चीन के सामने उठाया जासूसी का मामला
सम्मलेन में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक ने रविवार को जी-20 शिखर सम्मेलन में अपने देश के संसदीय लोकतंत्र में कथित चीनी हस्तक्षेप से पैदा चिंताओं का जिक्र किया।
ब्रिटेन की एक मीडिया रिपोर्ट में दो व्यक्तियों के खिलाफ जासूसी के आरोपों का खुलासा होने के बाद उन्होंने अपने देश की इस चिंता का जिक्र किया।
‘द संडे टाइम्स’ के मुताबिक ब्रिटेन में एक पार्लियामेंट्री रिसर्चर के दावों के बाद सरकारी गोपनीयता कानून के तहत जासूसी के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया था।
इस ख़बर के आने के बाद सुनक ने जी-20 सम्मेलन में चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग से मुलाकात की। उन्होंने ने इस मुलाकात के दौरान ब्रिटेन की चिंता के बारे में उन्हें जानकारी दी।
10 डाउनिंग स्ट्रीट के प्रवक्ता ने कहा, ‘प्रधानमंत्री ने चीन के प्रधानमंत्री ली कियांग से मुलाकात की और ब्रिटेन के संसदीय लोकतंत्र में चीनी हस्तक्षेप के बारे में अपनी अहम चिंताओं से अवगत कराया।’
महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि
जी-20 सम्मेलन के आखिरी दिन पीएम मोदी और इसमें शामिल होने आए दुनिया भर के नेता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने राजघाट पहुंचे। इस दौरान पृष्ठभूमि में ‘बापू कुटी’ का चित्र दिख रहा था। वर्धा के पास सेवाग्राम आश्रम में स्थित ‘बापू कुटी’ 1936 से लेकर 1948 में महात्मा गांधी के निधन तक उनका निवास स्थान था। प्रधानमंत्री जी20 नेताओं को ‘बापू कुटी’ के महत्व के बारे में समझाते नजर आ रहे थे। महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देने के बाद जी20 नेताओं ने ‘लीडर्स लाउंज’ में ‘शांति दीवार’ पर हस्ताक्षर भी किए। (bbc.com/hindi/)