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टोरंटो, 12 सितंबर । मौजूदा टोरंटो इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल (टीआईएफएफ) में प्रीमियर के लिए बेस्ट इंडियन फिल्म में युवा मराठी निर्देशक जयंत दिगंबर सोमलकर की मराठी में पहली फीचर फिल्म 'ए मैच' को चुना गया। यह फिल्म भारतीय पितृसत्ता के चेहरे पर एक तमाचा है।
इस नारीवादी फिल्म का अंत संभावित दूल्हों में से एक के चेहरे पर नायक द्वारा थप्पड़ के साथ होता है, जिसे दहेज की मांग को पूरा करने के लिए बहुत अधिक सांवली, बहुत अधिक लंबी और अमीर नहीं होने के बहाने बार-बार उसे अस्वीकार कर दिया जाता है।
यह लोगों में जागरुकता बढ़ाने वाली फिल्म है जिसमें कोई कलाकार नहीं है। इसके सभी कलाकार वास्तविक जीवन के पात्र हैं जो अपने जीवन में पहली बार कैमरे का सामना कर रहे हैं। इसकी शूटिंग निर्देशक ने अपने गांव महाराष्ट्र के डोंगरगांव और उनके पारिवारिक घर में बेहद कम बजट में की है।
यह फिल्म युवा लड़की सविता (नंदिनी चिकटे द्वारा अभिनीत) की कहानी है, जो कॉलेज से ग्रेजुएशन कर रही है और अपना भविष्य बनाने के सपने देख रही है।
लेकिन दमनकारी पितृसत्ता सपनों के आड़े आती है। उसे शादी के लिए देखने आए लड़कों के परिवार वालों से अपमानजनक व अजीबों-गरीब सवालों का सामना करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। एक बार उसे लड़के वालों के सामने पेश होने के लिए अपनी परीक्षा छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा था।
हालांकि फिल्म का मुख्य फोकस दमघोंटू पितृसत्ता पर है, लेकिन यह सविता के एक प्रेमी, जो कॉलेज में उसका शिक्षक भी है, के माध्यम से भारतीय समाज में व्यापक पाखंड को भी उजागर करता है। हालांकि वह अपनी कक्षा में छात्रों को महिला सशक्तिकरण पर व्याख्यान देता है, लेकिन वास्तविक जीवन में वह सविता के पिता से दहेज की मांग करता है।
सविता के हताश पिता उसके दहेज के लिए पैसे उधार लेने की कोशिश करते हैं। यह फिल्म भारत में किसानों के सामने आने वाले संकट को भी उजागर करती है।
फिल्म टोरंटो महोत्सव के शीर्ष सम्मान पीपुल्स च्वाइस अवार्ड के लिए प्रतिस्पर्धा कर रही है। (आईएएनएस)।