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भाजपा के एक और वरिष्ठ मंत्री पर गंभीर आरोप
'छत्तीसगढ़' संवाददाता
रायपुर, 18 सितंबर। छत्तीसगढ़ प्रदेश भाजपा सांसद संतोष पाण्डेय ने महादेव एप से जुड़े सट्टेबाजों के यहां ईडी के छापे में 417 करोड़ रुपए की संपत्ति उजागर होने पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से सीधा सवाल किया है कि महादेव एप के सट्टेबाजों से कांग्रेस के नेताओं का क्या संबंध है? कांग्रेस के कौन-कौन से नेता और उनके परिजन सट्टेबाज सौरभ चंद्राकर की शादी में शामिल हुए थे? मुख्यमंत्री के राजनीतिक सलाहकार विनोद वर्मा ईडी की जांच पड़ताल के दायरे में हैं। इसका क्या अर्थ है? क्या मुख्यमंत्री इन सबसे अनजान हैं कि उनके करीबियों के तार कहां-कहां जुड़े हुए हैं?
उन्होंने कहा कि किसी भी मुख्यमंत्री से यह सामान्य उम्मीद की जाती है कि उसके इर्द-गिर्द के लोग अपराध अथवा आर्थिक अपराध की गतिविधियों से संलिप्त न हों। लेकिन छत्तीसगढ़ में तो मुख्यमंत्री से जुड़े हुए अफसर, नेता, कारोबारी सबके सब एक के बाद एक बेनकाब होते जा रहे हैं। ढेरों घोटाले सामने आ जाने के बाद अब आखिरकार महादेव एप सट्टेबाजी की पूरी पटकथा भी ईडी ने पढ़ ली है। जिससे वह छत्तीसगढ़ की जनता को भी अवगत करा चुकी है। ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस बात का जवाब दें कि उन्होंने अब तक इन गतिविधियों में संदिग्ध लोगों को संरक्षण क्यों दे रखा है? उन्होंने अपने करीबी अधिकारियों, सहयोगियों और कांग्रेस के नेताओं पर इस मामले में कार्यवाही क्यों नहीं की?
सांसद संतोष पाण्डेय ने कहा कि मुख्यमंत्री को यह बताना चाहिए कि वह बिना किसी जांच पड़ताल के ऐसे लोगों को क्लीन चिट कैसे दे रहे थे। अगर छत्तीसगढ़ में महादेव एप का संचालन नहीं हो रहा होता तो फिर ईडी की जांच पड़ताल में जो तथ्य सामने आए हैं, क्या वे मनगढ़ंत हैं?
उन्होंने कहा- हर मामले में दोहरी मानसिकता दिखाने वाले भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचारियों के पैरोकार बनकर पहले भी सामने आते रहे हैं। चाहे मामला कोल परिवहन दलाली का हो या फिर किसी और घोटाले का, यहां तक कि शराब घोटाले में भी कांग्रेस के नेताओं को उनके संरक्षण का आशीर्वाद प्राप्त होता रहा है।
सांसद संतोष पाण्डेय ने कहा कि 165 करोड रुपए का हवाला छत्तीसगढ़ में ट्रांसफर हुआ था। इसके बाद भी राज्य के स्तर पर कोई जांच क्यों नहीं की गई? जिनके खाते में रकम आई वे हितेश चौबे और अनिमेष सिंह कौन हैं, और कहां हैं? इनके खाते से जो महंगी गाड़ियां खरीदी गई उनका उपयोग कौन कर रहा है। ऐसी चर्चा है कि एक वरिष्ठ मंत्री के इशारे पर रकम हस्तांतरित की गई है। क्या यह जरूरत नहीं है कि इतने बड़े आर्थिक अपराध की जांच के लिए मुख्यमंत्री को केंद्रीय एजेंसियों से जांच करने के लिए अनुरोध करना चाहिए था, जो कि नहीं किया गया।