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ज्योति यर्राजी: सिक्योरिटी गार्ड की बेटी ने कैसे विवाद के बीच चीन से छीना एशियन गेम्स का सिल्वर
02-Oct-2023 1:26 PM
ज्योति यर्राजी: सिक्योरिटी गार्ड की बेटी ने कैसे विवाद के बीच चीन से छीना एशियन गेम्स का सिल्वर

चीन के हांगज़ो शहर में चल रहे एशियन गेम्स में अब तक भारत का प्रदर्शन अच्छा रहा है.

हालाँकि पदक तालिका में भारत चौथे स्थान पर है. भारत मेज़बान चीन और जापान से काफ़ी पीछे है.

रविवार को एक दिन में 15 पदक जीतकर भारत ने ये उम्मीद जताई है कि शायद ये एशियन गेम्स उसके अब तक के सबसे बेहतर प्रदर्शन वाले गेम्स रहें.

रविवार को ट्रैक एंड फ़ील्ड मुक़ाबलों में भारत ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया.
इन मुक़ाबलों में भारत को गोल्ड भी मिले, सिल्वर भी मिले और ब्रॉन्ज़ भी.

लेकिन इन सबके बीच महिलाओं की 100 मीटर बाधा दौड़ में एक विवाद खड़ा हो गया.

विवाद चीन की खिलाड़ी यानी वू को लेकर था, लेकिन इसमें भारत की खिलाड़ी ज्योति यर्राजी भी फँस गईं.

पहले अधिकारियों को ये लगा कि चीन की यानी वू और भारत की ज्योति दोनों ने ग़लत शुरुआत की और एक बार ऐसा लगा कि दोनों को अयोग्य करार दे दिया जाएगा.

लेकिन दोनों खिलाड़ियों ने अपना विरोध जताया और भारतीय अधिकारियों ने भी इस मामले में अपना विरोध दर्ज कराया.

दौड़ में ज्योति तीसरे नंबर पर आईं, लेकिन बाद में चीन की खिलाड़ी को अयोग्य करार दिया गया और ज्योति को सिल्वर मेडल मिल गया.

'मानसिक परेशानी'
हालाँकि ज्योति ने मुक़ाबले के बाद कहा कि विवाद के कारण उन्हें मानसिक तौर पर परेशानी हुई और इसका असर उनके प्रदर्शन पर भी पड़ा.

ज्योति से इस मुक़ाबले में गोल्ड मेडल की उम्मीद की जा रही थी.

समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में ज्योति ने कहा, ''ये बहुत बुरा अनुभव था. मैं सिर्फ़ इतना कहना चाहती हूँ कि किसी भी खेल में धोखेबाज़ी की जगह नहीं होनी चाहिए. उन्होंने ग़लत शुरुआत की थी. इसे स्वीकार करना चाहिए. बहुत ड्रामे के बाद आख़िरकार मुझे सिल्वर मिला. ये मेरा पहला एशियन गेम्स था और मैंने सिल्वर मेडल जीता.''

कई लोगों ने ज्योति के सिल्वर मेडल जीतने की तारीफ़ की है और उनका उत्साह बढ़ाया है, तो कई लोगों ने विवाद पर भी अपनी टिप्पणी की है.

लोगों का ये भी कहना है कि अगर ये विवाद न होता, तो शायद ज्योति गोल्ड जीत सकती थीं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा है कि उनके धैर्य, अनुशासन और कठिन प्रशिक्षण का फल उन्हें मिला है. पीएम नोदी ने उन्हें भविष्य के लिए शुभकामनाएँ भी दी हैं.

गृह मंत्री अमित शाह ने भी लिखा है कि ज्योति ने अपने प्रदर्शन से देश का मान बढ़ाया है.

खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने ज्योति की जमकर सराहना की है. उन्होंने कहा कि आसपास चल रहे घटनाक्रम के बीच ज्योति का ये प्रदर्शन सराहनीय है.

उन्होंने एक्स पर लिखा, "ज्योति ने बाधा पार करते हुए सिल्वर जीता. उन्होंने अपने आसपास चल रहे घटनाक्रम के बीच फ़ोकस बनाए रखा, जो एक सच्चे चैम्पियन की निशानी होती है. देश को आप पर गर्व है."

पूर्व खेल मंत्री किरेन रिजिजू ने भी ज्योति के प्रदर्शन की तारीफ़ की है.

हांगज़ो में मौजूद भारतीय एथलेटिक्स फ़ेडरेशन की उपाध्यक्ष अंजू बॉबी जॉर्ज ने पत्रकारों को बताया कि कैसे भारतीय अधिकारियों ने इसे लेकर विरोध दर्ज कराया था.

उन्होंने भी ये स्वीकार किया कि ज्योति परेशान हो गईं थी और ये विवाद नहीं हुआ रहता, तो वो और बेहतर प्रदर्शन कर सकती थी.

कौन हैं ज्योति यर्राजी, जिनसे भारत को गोल्ड की उम्मीद थी
विशाखापट्टनम की रहने वाली ज्योति यर्राजी से भारत को 100 मीटर बाधा दौड़ में गोल्ड की उम्मीद थी.

इसकी वजह थी उनका हाल का प्रदर्शन.

इस साल जुलाई में उन्होंने बैंकॉक में हुए 25वें एशियन एथलेटिक्स चैम्पियनशिप्स में महिलाओं की 100 मीटर बाधा दौड़ में गोल्ड जीता था.

एशियन एथलेटिक्स चैम्पियनशिप्स के 50 साल के इतिहास में ज्योति पहली भारतीय एथलीट बनीं थी, जिन्होंने 100 मीटर बाधा दौड़ में गोल्ड जीता.

राष्ट्रीय स्तर पर भी महिलाओं की 100 मीटर बाधा दौड़ में ज्योति ने रिकॉर्ड बनाया है.

उन्होंने ये बाधा दौड़ 12.82 सेकेंड में पूरी की थी.

28 अगस्त 1999 को जन्मीं ज्योति के पिता एक सिक्योरिटी एजेंसी में गार्ड हैं.

ज्योति ने एशियन चैम्पियनशिप में गोल्ड जीतने के बाद बीबीसी तेलुगू को बताया था कि उनके पीटी टीचर श्रीनिवास रेड्डी ने खेलों में उनकी रुचि पर ध्यान दिया और उन्हें काफ़ी प्रोत्साहित किया था.

कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय रिकॉर्ड अपने नाम कर चुकीं ज्योति इंग्लिश कोच जेम्स हिलर की निगरानी में तैयारी करती हैं.

ओडिशा के भुवनेश्वर में रिलायंस एथलेटिक्स हाई परफ़ॉर्मेंस सेंटर में वो ट्रेनिंग करती हैं.

आसान नहीं रहा है सफ़र
2015 में ज्योति ने आंध्र प्रदेश इंटर डिस्ट्रिक्ट मीट में गोल्ड जीता था. इसके बाद उन्हें हैदराबाद के साई सेंटर में बेहतर प्रशिक्षण के लिए भेजा गया.

ज्योति का कहना था कि विशाखापट्टन में कोई बड़ा ट्रेनिंग सेंटर नहीं था और वित्तीय समस्याएँ भी थी.

लेकिन 2019 में उन्हें भुवनेश्वर के ट्रेनिंग सेंटर का बुलावा आया और फिर उनकी ज़िंदगी बदल गई.

भुवनेश्वर में मिली ट्रेनिंग के बाद ज्योति ने प्रतियोगिताओं में अपनी उपस्थिति दर्ज करानी शुरू कर दी थी.

ज्योति ने ऑल इंडिया इंटर यूनिवर्सिटी एथलेटिक्स मीट में 100 मीटर बाधा दौड़ में 13.03 सेकेंड के साथ गोल्ड मेडल जीता.

फरवरी 2020 में ज्योति ने खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स में गोल्ड जीता.

इसके बाद ज्योति ने अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं के लिए तैयारी शुरू की. कोविड के कारण 2021 में वो कुछ ख़ास नहीं कर पाईं.

लेकिन वर्ष 2022 में उन्होंने नेशनल्स में 12.79 सेकेंड का समय निकालकर एक रिकॉर्ड बनाया.

अब एशियन चैम्पियनशिप्स के बाद एशियन गेम्स में मेडल जीतकर ज्योति ने उम्मीद जताई है कि वो आगे अंतरराष्ट्रीय मुक़ाबलों में भी भारत का मान बढ़ाया है.

ज्योति का भी कहना है कि उनका सपना है पेरिस ओलंपिक के लिए क्वालिफ़ाई करना. (bbc.com/hindi)

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