संपादकीय

‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : आज फिलीस्तीन, कल किसी और मुल्क के अस्पतालों पर भी बरसेंगे इस किस्म के बम
18-Oct-2023 3:35 PM
‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : आज फिलीस्तीन, कल किसी और मुल्क के अस्पतालों पर भी बरसेंगे इस किस्म के बम

फिलीस्तीन के गाजा में बीती रात जनसंहार का जो मंजर पेश हुआ, उससे दुनिया के सबसे हिंसक दिल भी शायद हिल जाएंगे। पांच सौ से अधिक मरीजों और जख्मियों वाले इस अस्पताल में हजारों ऐसे नागरिकों ने भी शरण ले रखी थी जो अपाहिज थे, घायल या बूढ़े थे जो बिना मदद गाजा छोडक़र नहीं जा सकते। यह अस्पताल एक बाहरी ईसाई चर्च चला रहा था, जिसका फिलीस्तीन के किसी भी गुट से कोई लेना-देना नहीं था। इस अस्पताल के बारे में इजराइल की फौज को भी खबर थी। इसके बावजूद कल वहां जो हवाई हमला हुआ है उसमें पांच सौ से अधिक लोगों के मारे जाने की खबर है, और इतने ही लोगों के जख्मी होने की। मरीजों का ऑपरेशन चल रहा था, और अस्पताल की इमारत के कई हिस्से बमबारी में गिर गए। एक ब्रिटिश मूल के प्रोफेसर हमले के वक्त अस्पताल के करीब थे, और उन्होंने बताया कि फाइटर विमानों से दो रॉकेट नीचे गिरे, और उन्होंने अस्पताल को तबाह किया। उन्होंने आंखों देखा हाल बताया कि धमाके के बाद आग लगी, और मदद करने पहुंचे लोगों के पास आग बुझाने को कुछ नहीं था। इजराइल ने इस हमले से हाथ झाड़ लिए हैं, और कहा है कि यह उसका काम नहीं है। दूसरी तरफ संयुक्त राष्ट्र में फिलीस्तीन के राजदूत ने कहा है कि इजराइल और वहां के प्रधानमंत्री झूठ बोल रहे हैं। राजदूत ने कहा कि इजराइली प्रधानमंत्री के डिजिटल प्रवक्ता ने ट्वीट किया था कि इजराइल ने ये हमला यह सोचते हुए किया कि अस्पताल के आसपास हमास का बेस है। और इसके बाद वो ट्वीट डिलीट कर दिया गया। फिलीस्तीनी अधिकारी ने कहा कि उनके पास उस ट्वीट की कॉपी मौजूद है, और बाद में इजराइल फिलीस्तीनियों पर आरोप लगाने के लिए कह रहा है कि यह हमला इस्लामी संगठनों की मिसाइल बैकफायर होने से हुआ है। उल्लेखनीय है कि इजराइली सेना के प्रवक्ता ने एक बयान दिया था कि फिलीस्तीन के इस अस्पताल को खाली करने के लिए कहा जा चुका है। इस माहौल के बीच जब पूरी दुनिया में इजराइल को इस हमले के लिए धिक्कारा जा रहा है, हमास के हमले से जख्मी हुए इजराइल के साथ एकजुटता दिखाने के लिए अमरीकी राष्ट्रपति जो बाइडन इजराइल रवाना हो चुके हैं, और इन शब्दों के छपने तक वे वहां पहुंच चुके रहेंगे। इस बीच पड़ोसी देश जॉर्डन में अमरीकी राष्ट्रपति, फिलीस्तीनी राष्ट्रपति, और मिस्र की राष्ट्रपति की होने वाली बैठक को जॉर्डन ने रद्द कर दिया है। फिलीस्तीनी अस्पताल पर इस भयानक हमले ने किसी भी तरह की शांति की संभावनाओं को पूरी तरह खत्म कर दिया है। अब दुनिया भर के देशों में फिलीस्तीनियों के समर्थन में, और इजराइल के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं, और मुस्लिमों और अरब लोगों को सडक़ों पर उतरने के लिए कहा जा रहा है। 

इजराइल पर हुए हमास के आतंकी हमले के तुरंत बाद से फिलीस्तीन के गाजा के आम लोगों पर जिस तरह अंधाधुंध हवाई हमले हो रहे हैं, उसमें इजराइल अब तक हजारों बेकसूरों को मार चुका है। इसी शहर में जगह-जगह हमास के लोगों और दफ्तरों, हथियारबंद ठिकानों का आरोप लगाते हुए इजराइल वहां अंधाधुंध हवाई हमले कर रहा है, और उसे इस शहर में बसे 20-25 लाख फिलीस्तीनियों को शहर छोडक़र चले जाने की चेतावनी दी है। आज फिलीस्तीन के हजारों बेकसूर मुस्लिमों के इस तरह मारे जाने, और दसियों लाख के बेघर होने से उन पर दशकों से चले आ रही इजराइली गुंडागर्दी, और फौजी ज्यादतियों का मुद्दा एक बार फिर उठ खड़ा हुआ है, और अब मुस्लिम और इस्लामिक देश एक अभूतपूर्व तनाव में हैं कि क्या वे फिलीस्तीन के दसियों लाख मुस्लिमों को इस तरह इजराइल के हमलों से मरने के लिए छोड़ सकते हैं, और उसके बाद भी इस्लामिक दुनिया के नेता बने रह सकते हैं? यह दुविधा आज बहुत से देशों को परेशान कर रही है। हिन्दुस्तान के कांग्रेसशासित राज्य कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू की खबर है कि वहां पर एक प्रमुख बस्ती में फिलीस्तीन के पक्ष में बहुत्व कर्नाटक संगठन के कार्यकर्ता प्रदर्शन कर रहे थे, पुलिस ने उनके खिलाफ जुर्म दर्ज किया है कि वे बिना इजाजत प्रदर्शन कर रहे थे। लोगों ने इस पर कहा है कि कांग्रेस एक तरफ तो फिलीस्तीनियों के साथ का दावा करती है, दूसरी तरफ उसकी सरकार फिलीस्तीनियों के हक के लिए शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लोगों पर जुर्म दर्ज कर रही है।

आज संयुक्त राष्ट्र से लेकर रेडक्रॉस तक तमाम अंतरराष्ट्रीय संगठन बहुत तकलीफ के साथ प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे हैं, और इसे एक भयानक जनसंहार बतला रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस बात का भी विरोध कर रहा है कि इजराइल ने जिस तरह गाजा की फौजी नाकाबंदी करके वहां पानी, बिजली, खाना, दवा कुछ भी जाना बंद कर दिया है, वह अपने आपमें एक युद्ध अपराध है। जहां पर दसियों लाख आम नागरिक बसे हुए हैं, वहां पर इस तरह की फौजी नाकाबंदी मानवता के खिलाफ अपराध है। लेकिन मानवता के खिलाफ अपराध का यह इजराइली और अमरीकी जुर्म नया नहीं है। वे दशकों से यही करते आ रहे हैं, और इजराइली फौजों के किए गए जनसंहार को बचाने के लिए संयुक्त राष्ट्र में अमरीका वीटो का इस्तेमाल करके इजराइल को हर कार्रवाई से बचाते रहा है। इस तरह हिटलर के बाद दुनिया के इस एक सबसे बड़े जुर्म में अमरीका इजराइल का भागीदार है। 

बीती रात के इस अस्पताल पर हमले पर भी अगर दुनिया नहीं जागती है, तो यह कई मुस्लिम देशों में अमरीका के किए हुए हमलों का इजराइली विस्तार होगा। और यह मुस्लिम और अरब देशों के लिए डूब मरने की बात  भी होगी कि वे अपने पड़ोस के फिलीस्तीनी, मुस्लिमों को बचाने के लिए कुछ भी नहीं कर रहे हैं, और महज तेल की कमाई खाते हुए अय्याशी में डूबे हुए हैं। इतिहास उन तमाम मुल्कों को याद रखेगा जिन्होंने इस दौर में बेकसूर और गरीब, बेबस और कमजोर फिलीस्तीनियों को उनके हाल पर छोड़ दिया था। 

(क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक) 

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