संपादकीय
एक नई खबर से एक पुराना पूर्वाग्रह फिर जिंदा हो रहा है कि क्या उत्तर भारत और हिन्दीभाषी इलाकों में मर्दों, और खासकर नेताओं की सोच बहुत ही दकियानूसी और महिलाविरोधी है? बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अभी विधानसभा में जनसंख्या नियंत्रण पर बहुत हॅंसते हुए एक इतना घटिया बयान दिया जो कि संसद या विधानसभाओं के इतिहास में कम ही रहा होगा। उसका जो वीडियो सामने है, उसको देखना भी मुश्किल पड़ता है, लेकिन अखबारनवीसी के इस धंधे में हमारी मजबूरी है कि समाचार बनाने और विचार लिखने के लिए हमें बहुत सी बुरी बातों को देखना, सुनना, और पढऩा पड़ता है, ठीक उसी तरह जिस तरह कि पुलिस को अनचाहे भी जुर्म और मुजरिमों से जूझना पड़ता है, उनसे वास्ता पड़ता ही है। इसी तरह घटिया जुबान बोलने वाले लोगों की बातों को कुछ या पूरी हद तक सामने रखना हमारी मजबूरी रहती है, लेकिन ऐसे मुश्किल पेशे के बावजूद नीतीश कुमार की न सिर्फ महिलाविरोधी, बल्कि अश्लील और फूहड़ बातों का वीडियो देखना बड़ा भारी पड़ रहा है। उन्होंने शादीशुदा लडक़ी के साथ पति के सेक्स करने के दौरान उस लडक़ी के पढ़े-लिखे होने से पडऩे वाले फर्क का जिक्र करते हुए बहुत ही गंदी जुबान में किसी वयस्क किस्से-कहानी की तरह महिला का जिक्र किया। हालत यह है कि मोदी सरकार की बनाई हुई राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा से लेकर कट्टर मोदीविरोधी लोक गायिका नेहा सिंह राठौर तक ने नीतीश कुमार को धिक्कारा है। नेहा ने लिखा है- मुझे याद है दो साल पहले मैंने बिहार सरकार से भोजपुरी फिल्मों और गीतों से अश्लीलता मिटाने की गुहार लगाई थी, सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंगी थी, आज वजह पता चल गई है। बाकी इनके इस घटिया लहजे की एक बड़ी वजह विधानसभाओं में महिलाओं का अल्पसंख्यक होना भी है। मुझे जानना है कि पूरे बिहार की महिलाओं को सार्वजनिक रूप से शर्मिंदा करने पर इनके विरुद्ध क्या एक्शन लिया जा रहा है।
अपने बयान पर बवाल खड़ा होने पर नीतीश ने विधानसभा में माफी मांगी है, और कहा है कि वे उस पर दुख व्यक्त करते हुए उसे वापिस लेते हैं। उन्होंने कहा कि इस पर मेरी निंदा की जा रही है, और मैं निंदा करने वालों का अभिनंदन करता हूं। उन्होंने लडक़े-लडक़ी के सेक्स के बयान पर माफी मांगी है। उन्होंने जनसंख्या पर काबू करने के आंकड़े गिनाते हुए उस बारे में कहा था कि लड़कियों के पढ़े-लिखे होने से प्रजनन दर घटती हैं, क्योंकि पढ़ी-लिखी लड़कियां अपने पति को समय पर रोक पाती हैं। इसी सिलसिले में उन्होंने बहुत ही गंदी जुबान से और हाथों से गंदी हरकत करते हुए कई बातें कही थी जिस पर सदन हॅंस भी रहा था। उन्होंने माफी मांगते हुए विपक्षी सदस्यों को कहा कि आप लोग कल मुझसे सहमत थे, लेकिन आज ऊपर से आदेश आया होगा कि मेरी निंदा की जाए तो निंदा कर रहे हैं।
हमने ऐसे कई बयानों पर देखा है कि जब किसी विधानसभा या संसद में कोई फूहड़ या अश्लील बात की जाती है, तो बहुत से लोग हॅंसते हैं। यह लोगों का अपना चरित्र और मिजाज रहता है जो उन्हें सरोकारमुक्त रखता है, और लोग पूरी गैरजिम्मेदारी और हिंसा से महिलाविरोधी या अश्लील बातों पर हॅंसते हैं। उत्तर भारत और हिन्दीभाषी राज्यों में चूंकि शिक्षा में कमी है, इसलिए जागरूकता में भी कमी है, और सरोकारों में भी कमी है। इसलिए गंदी बातों पर लोग हॅंसते हैं। लोगों को याद होगा कि इन्हीं नीतीश कुमार के साथी रहे एक दूसरे तथाकथित नेता शरद यादव भी अपनी तमाम अच्छी सोच के साथ-साथ महिलाओं के खिलाफ ओछी और घटिया बातें कहते रहते थे। उन्होंने राजस्थान के चुनाव में वसुंधरा राजे पर कहा था कि उन्हें अब आराम देना चाहिए, वे बहुत थक गई हैं, बहुत मोटी हो गई हैं, पहले पतली थीं। शरद यादव ने ही एक दूसरे मौके पर कहा था कि वोट की कीमत बेटी की इज्जत से बढक़र है, बेटी की इज्जत जाएगी तो गांव-मोहल्ले की इज्जत जाएगी, और अगर वोट बिक गया तो देश की इज्जत जाएगी। राज्यसभा में एक बार शरद यादव ने कहा था कि दक्षिण भारत की महिलाओं का शरीर सुंदर होता है। उनके इस बयान पर भी सदन के कई पुरूष सदस्य हॅंस पड़े थे, बाद में महिलाओं ने उनके ऐसे बयान पर आपत्ति दर्ज कराई थी। लोगों को याद होगा कि एक वक्त उन्होंने पढ़ी-लिखी महिलाओं के लिए परकटी महिला कहा था।
नीतीश का यह ताजा घटिया बयान विधानसभा के भीतर का है, इसलिए उस पर बाहर कोई कार्रवाई नहीं हो सकती। और उनके बयान पर हॅंसने वाले विपक्षी सदस्य भी अब देश भर से निंदा होने पर नीतीश के खिलाफ जाने का कोई नैतिक अधिकार नहीं रखते। लेकिन महिलाओं सहित पुरूषों की भी जो प्रतिक्रिया नीतीश के खिलाफ आई है, उसे देखते हुए मर्दानगी पर फख्र करने वाले नेताओं, और महिलाओं के खिलाफ ओछी सोच रखने वाले नेताओं या दूसरे लोगों को अपने तौर-तरीके सुधार लेने चाहिए। भाजपा के एक चर्चित और ताकतवर सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने उन पर बलात्कार के आरोप लगाने वाली, और सुबूत देने वाली लड़कियों के खिलाफ जैसी ओछी बातें कही थीं, उस बारे में भी भाजपा की स्थाई चुप्पी उनसे यह नैतिक हक छीन लेती है कि वह नीतीश के खिलाफ कुछ बोल सके।
लेकिन हम राजनीतिक दलों पर अलग-अलग चर्चा के बजाय यह बात साफ करना चाहते हैं कि लोगों को ऐसे महिलाविरोधी नेताओं के खिलाफ अदालत जाना चाहिए। लोग व्यक्तिगत रूप से कई बार अदालत तक जाने की ताकत या हौसला नहीं रखते, लेकिन जनसंगठनों को इस किस्म की बेइंसाफ सोच के खिलाफ लड़ाई लडऩी चाहिए।