संपादकीय

‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : थोड़ा सा शमी के बारे में, और बाकी उस बहाने से
16-Nov-2023 4:15 PM
‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : थोड़ा सा शमी के बारे में, और बाकी उस बहाने से

फोटो : सोशल मीडिया

कल का दिन हिन्दुस्तान में चुनाव से अधिक क्रिकेट का था। विराट कोहली ने सचिन तेंदुलकर का रिकॉर्ड तोड़ दिया, और 50वीं सेंचुरी बना ली। लेकिन जिस एक व्यक्ति की वजह से इस पूरे मैच की चर्चा हो रही है वह मोहम्मद शमी है। उसने 9.5 ओवर में 57 रन देकर 7 विकेट लिए। इसके पहले के मैचों में भी शमी का इसी तरह का शानदार प्रदर्शन था, और हम क्रिकेट की बारीकियों में गए बिना सोशल मीडिया पर फैलती हुई इन भावनाओं को लिखना चाहते हैं कि उसके पहले के कई मैचों में शमी को टीम में न रखकर उसके साथ बेइंसाफी की गई थी, जिसका नुकसान भारतीय क्रिकेट टीम को हुआ। अब क्रिकेट की इतनी बारीकियां हम नहीं जानते कि टीम के सेलेक्शन या किसी एक खिलाड़ी के प्रदर्शन को लेकर अधिक कुछ लिखें, लेकिन सोशल मीडिया पर लोगों की लिखी जा रही इस बात को भी देखना चाहिए कि किस तरह मोहम्मद शमी नाम का एक खिलाड़ी देश को जीतने में इतना काम आता है कि लोग इस मैच को सेमीफाइनल की जगह शमीफाइनल कहने लगे हैं। इसके साथ-साथ लोग यह भी याद करने लगे हैं कि किस तरह मोहम्मद शमी पत्नी से तलाक का मुकदमा जूझ रहे थे, व्यक्तिगत परेशानियों को झेल रहे थे, और टीम में सेलेक्शन में भी उपेक्षा झेल रहे थे। इन तमाम बातों को एक साथ देखें, तो लगता है कि किस तरह एक विपरीत, निराशा का, और खराब दौर झेलते हुए भी कोई देश और दुनिया के सबसे अच्छे खिलाडिय़ों में अपना नाम जोड़ सकता है। 

हिन्दुस्तान की हवा किसी भी मुस्लिम का कलेजा तोडक़र रख देती है। जहां देश और कई प्रदेशों की सरकारें मुस्लिमविरोधी रवैया अपनाए हुए हैं, वहां पर जाहिर तौर पर किसी भी मुस्लिम का हौसला पस्त रहता होगा। उन्हें लगातार शक की नजरों से देखा जाता है, लगातार सोशल मीडिया पर उन्हें गद्दारी की तोहमतें झेलनी पड़ती हैं, और उन्हें पाकिस्तान भेजने के फतवे तो आते ही रहते हैं। ऐसे में एक मुस्लिम खिलाड़ी टूटे हुए मनोबल के साथ भी देश के लिए कैसा शानदार खेल सकता है, मोहम्मद शमी उसकी एक मिसाल है। यह बात याद रखनी चाहिए कि शमी के दिमाग में भी यह बात तैर रही होगी कि उसकी पोशाक से उसके जात-धरम की शिनाख्त की जा रही है। और उसके दिमाग पर यह भी तनाव रहा होगा कि अगर कोई विकेट लिए बिना उससे सिर्फ कैच छूट जाएगा, तो उसे गद्दार करार देने में अधिक वक्त नहीं लगेगा। ऐसे तनाव के बीच खेलना, और दुनिया का सबसे शानदार प्रदर्शन करना, यह याद रखते हुए कि कई मैचों में उसे नहीं लिया गया, और लिया गया होता तो वह दुनिया का रिकॉर्ड कब का तोड़ चुका होता, ऐसे तनाव में खेलना मामूली बात नहीं रहती। देश के लोगों को भी टीवी दिन भर इस मैच को देखते हुए यह सोचना चाहिए था कि क्या शमी की पोशाक से उसके जात-धरम की शिनाख्त होती है? या हिन्दुस्तानी वर्दी पहनकर हर खिलाड़ी महज हिन्दुस्तानी रहते हैं, और उन्हें महज हिन्दुस्तानी ही देखा जाना चाहिए, फिर चाहे वे मैदान में हों, चाहे सडक़ों पर, और चाहे स्कूल-कॉलेज में। 

हिन्दुस्तान के लोगों को, खासकर उन लोगों को जो अपनी जात, और अपने धरम की वजह से आज दूसरों पर हमलावर हो सकते हैं, होते हैं, उन लोगों को यह सोचना चाहिए कि अल्पसंख्यक, आदिवासी, और दूसरी नीची समझी जाने वाली जातियों के लोगों के साथ हिकारत अगर उन्हें टीम से बाहर ही कर दे, तो फिर देश में जो धरम और जाति हमलावर हैं, वे अपने बूते पर कितने मैडल ले आएंगे, और कितने मैच जीत लेंगे? वे कितने अंतरिक्षयान जात-धरम के आधार पर चांद पर पहुंचा देंगे, और फौज की कितनी वर्दियां भर पाएंगे? इस देश में जो लोग जात और धरम के नाम पर नफरत फैला रहे हैं, उन्हें इन चीजों को याद रखना चाहिए कि जिस हिन्दुस्तानी टीम पर वे फख्र करते हैं, उसमें कई जातियों और धर्मों के लोग शामिल हैं। देश को गौरव दिलाने में कोई किसी दूसरे से कम नहीं हैं, और जब किसी जात और धरम के लोगों को प्रताडि़त किया जाता है, तो यह मानकर चलना चाहिए कि उन तबकों के होनहार और हुनरमंद लोग अपनी पूरी संभावनाओं को नहीं छू पाते हैं, क्योंकि पल-पल उनके दिमाग में समाज के एक सत्तारूढ़, ताकतवर, और हमलावर तबके की नफरती जुबान गूंजती रहती है। 

मोहम्मद शमी की बचपन से लेकर अब तक की कहानी को देखें, तो गरीब बाप को अपने पांच बेटों को क्रिकेटर बनाने का शौक था, और जमीन बेचकर उनमें से सबसे होनहार शमी को एक क्रिकेट एकेडमी में दाखिल करने की कोशिश की। शमी का हाल यह था कि ईद के दिन भी नमाज के तुरंत बाद वे गेंदबाजी के लिए पहुंच जाते थे। लेकिन होनहार ऐसे निकले कि सिखाने वाले हक्का-बक्का रह गए। आगे की शादीशुदा जिंदगी में कई किस्म की तोहमत, मुकदमे झेलते हुए टीम से निकाले गए, बीसीसीआई ने बाहर कर दिया, और वैसे विपरीत माहौल से गुजरते हुए भी उनके बीच वह हुनर कायम रहा जिसने उन्हें आज ऐसी शोहरत तक पहुंचाया है कि जिस पर मुल्क फख्र कर रहा है। 

हम महज क्रिकेट को लेकर आज की इस बात को नहीं लिख रहे हैं। हमारा मानना है कि इससे देश के नफरती लोगों को भी सबक लेने की जरूरत है। जिस अमरीकी कामयाबी से हिन्दुस्तानी बावले हो जाते हैं, उसे भी समझने की जरूरत है कि वह वहां के गोरे लोगों की कामयाबी नहीं है, बल्कि अलग-अलग धर्म और रंग के, राष्ट्रीयता और संस्कृति के लोगों की मिलीजुली कामयाबी है। अमरीका को तमाम धातुओं को पिघलाकर एक कर देने वाला मेल्टिंग पॉट कहा जाता है। हिन्दुस्तानियों को अमरीकी कामयाबी बहुत सुहाती है, लेकिन वे अपने हिन्दुस्तानी पॉट (बर्तन) को धर्म और जाति के मामले में एकदम खालिस और शुद्ध रखना चाहते हैं, शुद्धता की अपनी परिभाषा के मुताबिक। यह सिलसिला इस देश को आगे बढऩे से रोकने वाला है। इस देश को बचाने में जो शहीद सबसे बड़ा था, उसका नाम कैप्टन अब्दुल हमीद था। जो इस देश में साम्प्रदायिकता का सबसे बड़ा विरोधी नौजवान था, वह शहीद-ए-आजम भगत सिंह था। इस तरह हिन्दुस्तान की जमीन यहां के तमाम धर्मों और जातियों के लोगों के खून-पसीने से भीगी हुई है। मोहम्मद शमी की वजह से हिन्दुस्तान को आज जो गर्व हासिल है, उसे लेकर यह भी सोचने की जरूरत है कि क्या उसकी पोशाक से भी उसके धर्म का अंदाज लगाना है, क्या उसके मकान को भी बुलडोजर से गिराना है, क्या उसके कुनबे की भी भीड़त्या करनी है? देश के लोगों के बीच नफरत की ऐसी ऊंची दीवारों को खड़ा करने से न तो यह सरहद पर महफूज रहेगा, न किसी स्टेडियम के भीतर। इसलिए नफरती लोग अपनी सोच पर एक बार गौर करें।

(क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक)

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news