विचार / लेख

-शोभा अक्षर
जि़न्दगी से पूछेंगे तो कहेगी हर पहलू अधूरा रह गया, मैं कहती हूँ पूरा होना कुछ नहीं होता। प्रेम पाना, पाने की मुसलसल ख़्वाहिश ही तो जिन्दगी में रूमानियत बरकरार रखती है, जिन्दा रखती है, वैसे भी मुर्दा दिल क्या खाक जिया करते हैं! अपने पूर्व प्रेमियों को याद करती हूँ तो उनके लिए मेरा हृदय सम्मान से भर जाता है, उन्होंने मुझे अथाह प्रेम दिया, प्रेम करना सिखाया, प्रेम को जीना सिखाया।
हम जब-जब अलग हुए, हर बार एक संवाद के बाद ही अलग हुए। जहाँ कोई कुछ त्याग नहीं रहा था, किसी को समझौता नहीं करना था। अलग होने को चुनने में भी जो ‘साथ’ था। यही ‘साथ होना’ ही तो प्रेम है। अपने एक प्रेमी से ही मैंने जो सीखा उसे कुछ वर्ष पहले एक वाक्य में समेट सकी, यहाँ उसका उल्लेख करना वाजिब लग रहा है। मैंने लिखा था,
‘एक दिन पुरुषार्थ ही उन सभी स्त्रियों को जन्म देगा जो दफऩ हैं मर्दों के मस्तिष्क में।’
अब जब मुझे लिखना आ गया है, मैं अपने प्रेमियों के नाम अनगिनत चिट्ठियाँ लिखना चाहती हूँ। पते पर लिखूँगी, अपनी किताब की उस सेल्फ का पता जहाँ मैंने अपने प्रिय कवियों की किताबें सजाई हैं।
मुझे इस वक्त एक प्रेमी की याद आ रही है, कॉलेज के दिनों में उस लडक़े से मिली थी, उसने मुझे बेइंतहा मोहब्बत दी जबकि मैं उस वक्त एक रिलेशनशिप में थी। उसे मेरी ओर से एक लम्बे समय के बाद रिस्पांस तब मिला जब मेरा रिलेशनशिप पार्टनर शादी करने अपने गाँव चला गया। मुझे कुछ वक्त लगा लेकिन वह प्रेम ही तो था जिसने मुझमें फिर से ऊर्जा भर दी थी, मैंने उस साल टॉप किया था। और वो जो पढऩे में एकदम फुद्दु था, उसे पढ़ा-पढ़ा कर मैंने उसे किसी तरह पास करा दिया था।
उसका रोना, बाप रे! चुप होने में घंटों लगाता था। जैसे कोई बच्चा माख लगने पर अपनी माँ की गोद से लिपटकर खूब रोता है, उसी तरह वो भी मेरी कमर में अपने दोनों हाथ डाल कर चिपट जाता था। खूब रोता था।
जब हम अलग हुए तो उसे मूव ऑन होने में बहुत मुश्किलें आईं थी। इधर मैं भी उस वक्त अपने बेहद बुरे दौर से गुजरी।
सोचती हूँ अलग होना, प्रेमी-प्रेमियों में क्या वाकई अलग होना होता है।
इतनी खूबसूरत यादें, प्रेम की दुनिया में बनाया अपना एक प्यारा-सा अदृश्य घर जिसमें अनगिनत खिड़कियाँ होती हैं, हर खिडक़ी से झाँकते ख़ुशबूदार फूलों के गुच्छे। ओह!
मेरे प्रेमियों ने ही बताया कि दुनिया में तथाकथित मर्दों से अधिक कोमल पुरुषों की अधिकता है, और उन्होंने ही प्रेम को आबाद रखा है। शुक्रिया! मुझे ख़ुद से प्रेम करने के लिए तुमने ही तो प्रोत्साहित किया।
मैं इंतजार करती हूँ कि तुम भी लिखो मुझे एक खत। तुमने मुझसे जो साहस पाया है, उसकी स्याही से।