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क्या होती है पैसिव इनकम और इसमें कितनी लगती है मेहनत
20-Nov-2023 8:54 PM
क्या होती है पैसिव इनकम और इसमें कितनी लगती है मेहनत

ब्रिटेन के लिश्टरशायर में रहने वाले 38 साल के साजन देवशी कहते हैं कि उन्होंने पैसिव इनकम के बारे में पहली बार 2020 के कोरोना लॉकडाउन के समय सुना था।

उस वक्त लगभग हर व्यक्ति अपने घर में बैठा था, तभी देवशी ने नोटिस किया कि बहुत सारे लोग फ़ेसबुक और टिकटॉक पेज पर पोस्ट लिखकर बता रहे थे कि कैसे बहुत कम या मामूली मेहनत में ही वो लोग पैसे कमा रहे हैं।

देवशी कहते हैं, ‘मुझे भी यह आइडिया बहुत पसंद आया कि बहुत कम मेहनत और पूंजी लगाकर कुछ बिजनेस शुरू किया जाए और फिर उसे अपने-आप चलने दिया जाए। इसका मतलब यह था कि मैं अपने वो सारे काम कर सकता था जो मेरे लिए ज़्यादा महत्वपूर्ण हैं और साथ ही साथ मैं अपने गुजारे के लिए पैसे भी कमा सकता था।’

इसी सोच के साथ देवशी ने ऑफि़स से लौटने के बाद जब उनके बच्चे सो जाते थे तो उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में काम करना शुरू किया। विशेषज्ञों ने इसका नाम दिया पैसिव इंकम यानी बहुत कम मेहनत में कमाई करना।

रांची स्थित पूर्व बैंकर और अब फाइनांशियल एडवाइजर मनीष विनोद इसको और समझाते हुए कहते हैं, ‘शुरुआत में आपको थोड़ा सक्रिय होकर कोई काम या बिजऩेस शुरू करना होता है लेकिन कुछ दिनों के बाद आपको उससे पैसे आने लगते हैं और तब आपको हर दिन उसके लिए मेहनत नहीं करनी पड़ती है आपका काम ऑटो मोड में आ जाता है।’

विनोद ने इसे सेकंड लाइन ऑफ डिफेंस करार देते हैं। वो कहते हैं, ‘अपने और अपने परिवार के भविष्य की सुरक्षा के लिए आप जो दूसरी पंक्ति तैयार करते हैं उसे ही पैसिव इनकम कहा जाता है।’

कोरोना लॉकडाउन
पहले यह सिर्फ अमीर लोग ही कर सकते थे क्योंकि उनके पास संपत्ति होती थी जिससे वो रियल स्टेट में लगाकर उसके किराए से आमदनी करते थे या फिर कहीं और इन्वेस्ट कर देते थे। लेकिन कोरोना लॉकडाउन के बाद पैसिव इंकम की पूरी परिभाषा ही बदल गई। क्योंकि अब नौजवान और खासकर जेड जेनेरेशन कहे जाने वाले नौजवानों ने पैसिव इनकम कमाने का नया-नया तरीक़ा खोज निकाला है।

जानकारों का कहना है कि नौकरियों की चुनौती और सोशल मीडिया के प्रभाव के कारण पैसिव इंकम में लोगों का रुझान बढ़ रहा है।

अमेरिकी सेंसस ब्यूरो के अनुसार अमेरिका में कऱीब 20 फीसद घरों में लोग पैसिव इनकम कमाते हैं और उनकी औसत आमदनी करीब 4200 डालर सालाना होती है। और 35 फीसद मिलेनियल्स भी पैसिव इनकम कमाते हैं। भारत में भी इसका चलन बढ़ रहा है।

मनीष विनोद के अनुसार भारत में पैसिव इनकम कमाने वालों की सही तादाद बता पाना मुश्किल है क्योंकि कई लोग इसे छिपाते हैं।

डेलॉइट ग्लोबल 2022 के जेनेरेशन जेड़ एंड मिलेनियल सर्वे के अनुसार भारत के 62 फीसद जेनेरेशन ज़ेड और 51 फ़ीसद मिलेनियल कोई ना कोई साइड जॉब करते हैं और पैसिव इनकम कमाते हैं।

मुंबई स्थित पर्सनल फाइनेंस एक्सपर्ट कौस्तुभ जोशी भी मानते हैं कि भारत में इसका चलन बढ़ रहा है, हालांकि उनके पास भी इसका कोई आधिकारिक डेटा मौजूद नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘पर्सनल फाइनेंस के लिए जो नई पीढ़ी के युवा आते हैं, तो पैसा कैसे इन्वेस्ट किया जाए? यह तो पूछते ही हैं, उसके अलावा कोई पैसिव इनकम कमाने का जरिया हो तो वह जानने में भी उनकी रुचि रहती है, यह मैंने देखा है।’

सोशल मीडिया का प्रभाव
टिक टॉक और इंस्टा पर ऐसे हजारों वीडियो मिल जाएंगे जो आपको बताएंगे कि आप कैसे पैसे कमा सकते हैं।

ब्रिटेन के लीड्स यूनिवर्सिटी बिजनेस स्कूल में पढ़ाने वाले प्रोफेसर शंखा बासु कहते हैं कि इसी तरह के वीडियो की वजह से नौजवानों में पैसिव इंकम कमाने का शौक बढ़ रहा है।

वो कहते हैं कि लोग इन्फ्लूएंसर्स को अपनी सफलता की कहानी सुनाते हुए देखते हैं और उससे प्रभावित होकर वो भी वही करने लगते हैं। फिर उनमें से कुछ लोग जो कामयाब हो जाते हैं फिर वो अपनी कहानी सुनाते हैं और इस तरह से यह चक्र चलता रहता है।

जेनेरेशन मनी के संस्थापक और पर्सलनल फ़ाइनांस के एक्सपर्ट ऐलेक्स किंग भी मानते हैं कि सोशल मीडिया के कारण लोगों को यकीन होने लगता है कि पैसिव इनकम कमाना ना केवल संभव है बल्कि अपनी वित्तीय आज़ादी हासिल करने का एक सामान्य जरिया है।

किंग कहते हैं कि आर्थिक स्थिति के कारण भी लोग पैसिव इनकम कमाने के बारे में ज़्यादा सोचने लगे हैं।

वो कहते हैं, ‘पिछले एक दशक में लोगों की आमदनी में कोई इजाफा नहीं हुआ। बहुत सारे नौजवान बहुत ही खराब स्थिति में नौकरी करते हैं और कई कंपनी में ओवरटाइम को लेकर भी कड़े नियम हैं, आप केवल कुछ ही घंटे ओवरटाइम कर सकते हैं।’

बासु के अनुसार, बढ़ती मंहगाई और रोज़मर्रा के बढ़ते खर्चे के कारण कई नौजवान अब पैसिव इंकम की तरफ झुक रहे हैं क्योंकि उनके अनुसार, वो मेनस्ट्रीम नौकरी में घंटों काम करते हैं लेकिन उनकी आमदनी उस हिसाब से बहुत कम है।

कोविड लॉकडाउन के कारण कई लोगों को लगा कि उन्हें अपनी नौकरी में और आजादी चाहिए और इस दौरान लोगों को समय और मौका दोनों मिल गया पैसिव इनकम के लिए नई नई तकनीक और हुनर हासिल करने का।

किंग के अनुसार नई पीढ़ी में यह आम राय बन गई है कि मौजूदा आर्थिक स्थिति में यह बहुत जरूरी है कि आपकी आमदनी का एक से ज़्यादा जरिया होना चाहिए।

भारत में पैसिव इनकम
मनीष विनोद के अनुसार भारत में कुछ लोग खानेपीने का बिजनेस कर रहे हैं तो कुछ ब्लॉगर बन गए हैं। कुछ लोग शेयर के खरीद-फरोख्त में जुट गए हैं तो कुछ ड्रॉप शिपिंग स्टोर की देखभाल कर रहे हैं।

अपनी संपत्ति को किराए पर देना पैसे कमाने का सबसे आसान जरिया है। कोरोना के दौरान ऑनलाइन क्लासेज का चलन बहुत तेज हुआ था।

उस दौरान बहुत से लोग जो नौकरी तो कुछ और करते थे लेकिन उन्हें पढ़ाने का शौक था। ऐसे लोगों ने इसका फायदा उठाते हुए ना केवल अपना शौक पूरा किया बल्कि आमदनी का एक दूसरा ज़रिया भी पैदा कर लिया।

कई लोगों ने तो इस दौरान किताबें लिख दीं और फिर उनको छापकर पैसे कमा लिए। मनीष विनोद के अनुसार यू-ट्यूब चैनल पर कूकरी क्लासेज से भी बहुत लोगों ने और खासकर महिलाओं ने अपने शौक के साथ-साथ ख़ूब पैसे कमाए। मनीष विनोद कहते हैं कि कोरोना के दौरान ड्रॉपशीपिंग के ज़रिए भी लोगों ने ख़ूब कमाई की और अब यह बहुत ही पॉपुलर हो गया है।

ड्रॉपशीपिंग आधुनिक ऑनलाइन बिजनेस मॉडल है, जिसमें बहुत ही कम निवेश की जरूरत होती है। इसमें ना तो आपको ढेर सारा सामान खरीद कर गोदाम में रखने की जरूरत है और ना ही इस बात से घबराने की कि आपका उत्पाद बिकेगा या नहीं। इसमें आप सप्लायर से सामान लेकर सीधे जरूरतमंद को दे देते हैं।

आपको बस एक ऑनलाइन स्टोर खोलना होता है। उन सप्लायर्स से आपको टाईअप करना होता है।

जैसे ही आपके पास कोई मांग आती है आप सप्लायर से वो चीज लेकर खरीदने वाले को वो चीज़ ऑनलाइन बेच देते हैं। स्टॉक और शेयरों की लेन-देन भी एक ऐसा बिजनेस है जिससे आप घर बैठे पैसे कमा सकते हैं।

कौस्तुभ जोशी कहते हैं, पिछले 5 साल में मैंने यह देखा है ऑनलाइन पोर्टल, इंस्टाग्राम, अकाउंट फेसबुक और यूट्यूब की मदद से पैसे इनकम कमाई जा रही है।

जो चीज आपको आती है उसकी वीडियो या कॉन्टेंट के माध्यम से सोशल मीडिया पर अपलोड करने से आपको पैसा मिल सकता है।

यह बात इतनी ही सही है की यूट्यूब यह बहुत लोगों का आमदनी का पहला सोर्स बनता जा रहा है , लेकिन कई लोगों को वह आज भी पैसिव इनकम का जरिया लगता है।
इंस्टाग्राम ने युवाओं को एक आसान तरीका उपलब्ध करवाया है, जिसमें के आपके इंस्टाग्राम हैंडल को अगर बहुत अच्छी ‘रिच’ मिल रही है तो आप मार्केटिंग कंपनी के साथ टाइप कर पेड़ प्रमोशन भी कर सकते हैं।

राह में मुश्किलें
लेकिन यह भी सच्चाई है कि कुछ लोगों के लिए यह काम करता है लेकिन कई लोगों के लिए इस तरह का सपना सपना ही रह जाता है। सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर्स जितनी आसानी से इस बारे में बताते हैं वास्तव मे चीज़ें उतनी आसान भी नहीं होती हैं।

देवशी ने एडुकेशनल रीसोर्स वेबसाइट लॉन्च किया ताकि छात्रों को अपनी परीक्षा में मदद मिले। उन्होंने पहले जितना आसान सोचा था वो उतना है नहीं।

देवशी कहते हैं कि किसी भी प्रोजेक्ट को जमाने में मेहनत और समय लगता है और फिर बाद में पैसिव इनकम आने लगती है।।।इसलिए सिफऱ् पैसिव इनकम कमाना उतना आसान भी नहीं है जैसे बताया जा रहा है

किंग कहते हैं कि बहुत सारे इन्फलूएंसर्स ग़लत नियत से ऐसा करते हैं। उन्हें लगता है कि इस तरह के कोर्स को बेचकर पैसे कमाया जा सकता है। जिससे इनको तो आमदनी होती है लेकिन देखने वालों को नहीं।

फिर भी एक मौका तो है
जानकार मानते हैं कि कुछ कामयाब मिसालों को उसी तरह लेना चाहिए लेकिन इसके बावजूद इसके कुछ मौके तो हैं।ज्यादा लोग अगर पैसिव इनकम कमाते हैं तो नौजवानों के पैसे कमाने के जरिए में शिफ्ट आएगा। बासु कहते हैं कि डिजीटल बिजनेस को बंद करना ज्यादा नुकसानदेह नहीं है।

माइडसेट बदला है...सिर्फ अमीरों का नहीं है। पैसे से पैसे कमाया जा सकता है यह सोच बदल रही हैं।

सावधानी भी जरूरी है
पैसिव इनकम का चलन बढ़ रहा है और कई लोग इसकी वकालत भी कर रहे हैं। लेकिन कौस्तुभ जोशी इसको लेकर सतर्क रहने की भी सलाह देते हैं। वो कहते हैं, ‘जब लोग पैसिव इनकम को अपना पैसे कमाने का मूल इनकम सोर्स समझने लगे तो यह उचित बात नहीं है।

कई लोग अपने ऑफिस के काम को नजरअंदाज करके अपने पैसिव इनकम पर जोर देने का प्रयास करते हुए मैंने देखा है, यह प्रयास गलत है। इससे आपके दोनों इनकम सोर्स पर इफेक्ट हो सकता है।’

वो एक और अहम बात की तरफ इशारा करते हुए कहते हैं, ‘पैसिव इनकम कमाना आजकल हर एक की ख्वाहिश है, लेकिन इसमें आप अपना ज्यादा वक्त लगा रहे हैं और ख़ुद के लिए और अपने परिवार के लिए समय नहीं निकाल पा रहे हैं तो युवाओं को ध्यान देना चाहिए। पैसा कमाना आपका मुख्य उद्देश्य होना ज़रूरी है, लेकिन वह आपका अंतिम उद्देश्य नहीं होना चाहिए।’ (bbc.com/hindi)

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