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उच्च न्यायालय ने भारतपे के खिलाफ पोस्ट के लिए अशनीर ग्रोवर पर दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया
28-Nov-2023 9:57 PM
उच्च न्यायालय ने भारतपे के खिलाफ पोस्ट के लिए अशनीर ग्रोवर पर दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया

नयी दिल्ली, 28 नवंबर। दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को फिनटेक कंपनी के खिलाफ कथित अपमानजनक सोशल मीडिया पोस्ट से संबंधित मामले में माफी मांगने के बावजूद भारतपे के सह-संस्थापक अशनीर ग्रोवर पर दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया।

न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने ग्रोवर की माफी और शपथपत्र को रिकॉर्ड में ले लिया, लेकिन यह कहते हुए उन पर जुर्माना लगाया कि ‘‘अदालत को हल्के में नहीं लिया जा सकता।’’

अपने पूर्व प्रबंध निदेशक (एमडी) के खिलाफ भारतपे का स्वामित्व रखने वाली रेजिलिएंट इनोवेशन प्राइवेट लिमिटेड की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश ने कहा कि अदालत पहले के आदेशों और ग्रोवर द्वारा इस संबंध में दिए गए आश्वासनों के ‘‘लगातार’’ और ‘‘स्पष्ट’’ उल्लंघन को देखकर ‘‘हैरान’’ है।

यह याचिका पूर्व प्रबंध निदेशक ग्रोवर और अन्य के खिलाफ रेजिलिएंट इनोवेशन के मुकदमे का हिस्सा है।

अदालत ने कहा कि इस बात को ध्यान में रखते हुए कि प्रतिवादी नंबर 2 अब एक हलफनामा दायर कर रहा है, जिसमें विशेष रूप से भविष्य में ऐसी कोई अपमानजनक पोस्ट न करने का वचन दिया गया है और अपने पिछले व्यवहार के लिए माफी भी मांगी है, यह अदालत इस स्तर पर मामले को बंद करने की इच्छुक है।

अदालत ने कहा कि हालांकि दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाता है। अदालत ने निर्देश दिया कि यह राशि उच्च न्यायालय के क्लर्क एसोसिएशन को भुगतान की जाएगी।

वादी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अखिल सिब्बल ने दलील दी कि अदालत द्वारा पक्षों को अपमानजनक बयान नहीं देने के आदेश और ग्रोवर के इस आशय के वचन के बावजूद, वह सोशल मीडिया पर फिनटेक कंपनी के खिलाफ अपमानजनक सामग्री पोस्ट कर रहे थे।

वरिष्ठ वकील ने कहा कि वादी की पहले की अर्जी को भी ग्रोवर द्वारा आश्वासन दिए जाने के बाद बंद कर दिया गया था। उन्होंने अदालत से ग्रोवर को ऐसी कोई भी सामग्री पोस्ट करने से रोकने के लिए व्यादेश (इनजंक्शन) जारी करने का आग्रह किया।

ग्रोवर के वकील ने कहा कि वह माफी मांग रहे हैं और भविष्य में कोई आपत्तिजनक पोस्ट नहीं करने का वचन दे रहे हैं तथा वर्तमान याचिका का निपटारा किया जा सकता है। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि मामले को मध्यस्थता के लिए रखा जा सकता है।

पिछले साल, रेजिलिएंट इनोवेशन ने अपने पूर्व एमडी अशनीर ग्रोवर और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक बयान देने से उन्हें रोकने के लिए मुकदमा दायर किया था।

अदालत ने मुकदमे में अशनीर ग्रोवर, उनकी पत्नी और अन्य प्रतिवादियों को समन जारी किया था, जिसमें दंपति पर धन के दुरुपयोग का आरोप लगाया गया था। ग्रोवर ने मार्च 2022 में कंपनी से इस्तीफा दे दिया और उनकी पत्नी को उनके पद से हटा दिया गया।

मुकदमे में, प्रतिवादियों को अपमानजनक बयान देने से रोकने की मांग करने के अलावा, कंपनी ने कथित दुरुपयोग किए गए धन की वसूली और कंपनी की प्रतिष्ठा को हुए नुकसान के लिए ब्याज सहित 88.67 करोड़ रुपये से अधिक के भुगतान के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया है।

कंपनी ने पूर्व में अदालत के समक्ष दावा किया था कि ग्रोवर, उनकी पत्नी और अन्य रिश्तेदार उस कंपनी के खिलाफ विद्वेषपूर्ण अभियान चला रहे थे, जिसमें बड़ी संख्या में विदेशी निवेशक हैं।

ग्रोवर और उनकी पत्नी के अलावा, कंपनी ने दीपक गुप्ता, सुरेश जैन और श्वेतांक जैन को प्रतिवादी बनाया है-ये सभी दंपति के रिश्तेदार हैं, जिन्हें कंपनी में विभिन्न पदों पर नियुक्त किया गया था।

अंतरिम राहत के रूप में, कंपनी ने प्रतिवादियों को कंपनी के खिलाफ दिए गए सभी बयानों, ट्वीट्स, सोशल मीडिया पोस्ट, किताबें, री-ट्वीट, हैशटैग, वीडियो, प्रेस कॉन्फ्रेंस, साक्षात्कार और टिप्पणियों को पांच दिनों के भीतर हटाने या हटाने का निर्देश देने का अनुरोध किया है।

उच्च न्यायालय ने 16 मई को सभी पक्षों से एक-दूसरे के खिलाफ असंसदीय और अपमानजनक प्रकाशनों का सहारा लेने से बचने को कहा। मामले में अगली सुनवाई 13 दिसंबर को होगी। (भाषा)

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