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![भारत के समीर से शादी करने आईं पाकिस्तान की जावेरिया ख़ानम, क्या बताया भारत के समीर से शादी करने आईं पाकिस्तान की जावेरिया ख़ानम, क्या बताया](https://dailychhattisgarh.com/uploads/article/1701860381ownload_(4).jpg)
एक पाकिस्तानी महिला मंगलवार को वाघा-अटारी बॉर्डर के रास्ते भारत अपने मंगेतर से शादी करने पहुंची हैं.
अंग्रेज़ी अख़बार द हिंदुस्तान टाइम्स की ख़बर के अनुसार, ये महिला कराची की रहने वाली है और उनके मंगेतर कोलकाता में रहते हैं.
जावेरिया ख़ानम को भारत में रहने के लिए 45 दिनों का वीज़ा मिला है.
जावेरिया की शादी अगले साल जनवरी में समीर ख़ान से होने जा रही है. जब वह अटारी बॉर्डर पर पहुंचीं तो समीर और उनके परिवार ने जावेरिया का ढोल बजाकर स्वागत किया.
मीडिया से बातचीत में जावेरिया ने बताया कि कोरोना महामारी ने करीब पांच साल तक उनकी योजनाओं पर रोक लगा दी. उनका वीज़ा दो बार रिजेक्ट हुआ.
जावेरिया ने कहा, "मुझे 45 दिनों का वीज़ा मिला है. मैं यहां आकर बहुत ख़ुश हूं. जनवरी के पहले सप्ताह में शादी विधिपूर्वक होगी."
उन्होंने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा, "मेरे लिए ये सुखद अंत और सुखद शुरुआत जैसा है. मेरे घर में सब खुश हैं. मुझे यकीन नहीं आ रहा कि पांच साल के इंतज़ार के बाद आख़िरकार मुझे वीज़ा मिल गया."
वहीं, समीर ख़ान बताते हैं कि उन्होंने अपनी मां के फ़ोन पर जावेरिया की तस्वीर देखने के बाद ही उनसे शादी करने का फ़ैसला कर लिया था.
उन्होंने कहा, "इसकी शुरुआत साल 2018 में हुई थी....मैं जर्मनी से पढ़ाई पूरी करने के बाद घर लौटा था. मैंने उनकी (जावेरिया) तस्वीर अपनी मां के फ़ोन में देखी और रुचि ज़ाहिर की. मैंने अपनी मां से कहा कि मैं जावेरिया से शादी करना चाहता हूं."
पिछले कुछ समय में प्यार में सरहद पार करने वाले ऐसे कई जोड़े चर्चा में रह चुके हैं. इसकी शुरुआत तब हुई जब सीमा हैदर नाम की पाकिस्तानी महिला नेपाल से होते हुए भारत आईं ताकि वह नोएडा में रहने वाले सचिन मीणा से शादी कर सकें. इन दोनों का रिश्ता एक बड़ी बहस की वजह बना.
दोनों फिलहाल नोएडा में ही रह रहे हैं. सीमा अपने बच्चों को भी साथ लाई हैं.
इसके बाद इसी साल जुलाई महीने में अंजू नाम की भारतीय महिला फ़ेसबुक के ज़रिए बने अपने दोस्त नसरुल्लाह से शादी करने के लिए पाकिस्तान चली गईं. हालांकि, अंजू हाल ही में वाघा बॉर्डर होते हुए भारत लौट आई हैं.
तीन नेताओं के पीछे हटने के बाद 'इंडिया' गठबंधन की बैठक टली
विपक्षी दलों के गठबंधन 'इंडिया' की आज यानी छह दिसंबर को होने वाली बैठक इस महीने के आख़िर में होगी.
अंग्रेज़ी अख़बार टाइम्स ऑफ़ इंडिया की ख़बर के अनुसार इस गठबंधन के तीन नेताओं ने बैठक में आने में असमर्थता दिखाई थी, जिसके बाद इसकी तारीख को आगे बढ़ा दिया गया है.
ख़बर में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बीमार हैं, टीएमसी चीफ़ ममता बनर्जी ने कहा है कि वह परिवार की एक शादी में व्यस्त हैं और तमिलनाडु सीएम एमके स्टालिन ने भी राज्य में बाढ़ की स्थिति को देखते हुए बैठक में शामिल होने में असमर्थता दिखाई है.
हालांकि, समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव की सख्त टिप्पणियां और बैठक में शामिल न होने का फ़ैसला और इस बैठक के टलने को लेकर कई तरह के कयास भी लगाए जा रहे हैं. अख़बार ने लिखा है कि बैठक के टलने को गठबंधन के अन्य सदस्यों की ओर से कांग्रेस को उसके एकतरफ़ा फ़ैसले से पीछे हटाने की कवायद के तौर पर भी देखा जा सकता है.
गठबंधन के दो सदस्यों के करीबी सूत्रों के हवाले से अख़बार ने लिखा है कि कमलनाथ की अखिलेश यादव को लेकर की गई टिप्पणियों को लेकर सवाल उठ रहे हैं.
कांग्रेस चीफ़ मल्लिकार्जुन खड़गे के कार्यालय की ओर से दी जानकारी के अनुसार इंडिया गठबंधन के संसदीय पार्टी नेताओं की समन्वय बैठक छह दिसंबर को कांग्रेस चीफ़ के आवास पर होगी और सहयोगी दलों के प्रमुख नेताओं की बैठक दिसंबर के तीसरे सप्ताह में किसी ऐसी तारीख पर होगी, जो सबके लिए सुलभ हो.
राम मंदिर के उद्घाटन में बुलाए गए साधुओं के ये सामान लाने पर पाबंदी
अयोध्या में बने राम मंदिर के उद्घाटन कार्यक्रम में बुलाए गए साधुओं से कहा गया है कि वे अपने साथ डंडी, छत्र और पादुका जैसे सामान न लाएं, क्योंकि सुरक्षा कारणों की वजह से ऐसा हो सकता है कि ये सामान अंदर न ले जा पाएं.
अंग्रेज़ी अख़बार द टेलीग्राफ़ की ख़बर के अनुसार देशभर से करीब 7 हज़ार लोगों को बुलाया गया है. इनमें चार हज़ार साधु-संत हैं. ये कार्यक्रम 16 जनवरी से शुरू हो जाएंगे क्योंकि उद्घाटन से पहले भी कई तरह की रीतियां पूरी करनी हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी 22 जनवरी को होने वाली प्राण-प्रतिष्ठा में जा सकते हैं.
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा, "भारत के सभी बड़े मंदिरों के प्रतिनिधि इस कार्यक्रम में आएंगे. हमने मेहमानों को ठहराने के लिए प्रबंध कर लिए हैं. उन्हें सुरक्षा कारणों से अपने साथ कोई सामान न लाने को कहा गया है. इनमें डंडी, छत्र और पादुका शामिल हैं."
उन्होंने कहा कि पूरा इलाका स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) की कड़ी निगरानी में होगा.
अतीत में कई मौकों पर साधुओं ने इस तरह के सामान पर पाबंदी का विरोध किया है.
राम जन्मभूमि ट्रस्ट ने उन मेहमानों से भी उद्घाटन समारोह में न आने को कहा है जिन्हें किसी तरह की बीमारी है क्योंकि कार्यक्रम स्थल तक पहुंचने के लिए कम से कम एक या दो किलोमीटर पैदल चलना पड़ेगा. इसके बाद 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा के वक्त तीन से चार घंटे तक मेहमानों को बैठना भी पड़ेगा.
गहलोत के ओएसडी का दावा- सचिन पायलट के फ़ोन और गतिविधियों पर रखी जा रही थी नज़र
राजस्थान विधानसभा चुनाव में हार के बाद अशोक गहलोत के ओएसडी (ऑफ़िसर ऑन स्पेशल ड्यूटी) लोकेश शर्मा ने मंगलवार को ये दावा किया है कि गहोत ने सचिन पायलट के फ़ोन टैप कराए थे.
टाइम्स ऑफ़ इंडिया की ख़बर के अनुसार, उन्होंने कहा कि 2020 में सचिन पायलट के बागी रुख अपनाने से पहले ही गहलोत उनकी हर गतिविधि पर नज़र रख रहे थे, क्योंकि उन्हें इसकी भनक पहले ही लग गई थी.
राजस्थान विधानसभा चुनाव में टिकट न मिलने के बाद से ही लोकेश शर्मा पार्टी की राज्य में हार को लेकर गहलोत की आलोचना कर रहे हैं.
हालांकि, अभी तक इन आरोपों को लेकर गहलोत या सचिन पायलट की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.
लोकेश शर्मा ने कहा, "कांग्रेस नेतृत्व राजस्थान में नेता बदलकर पायलट को मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे."
उन्होंने ये भी कहा कि गहलोत और पायलट के बीच की दुश्मनी ने पार्टी को नुकसान पहुंचाया. शर्मा ने कहा कि अगर टिकटों का बंटवारा सही से हुआ रहता तो कांग्रेस राजस्थान में आसानी से चुनाव जीत जाती.
शर्मा ने दावा किया, "सरकार के ख़िलाफ़ कोई लहर नहीं नहीं लेकिन जनता कई विधायकों को अपने प्रतिनिधि के तौर पर नहीं देखना चाहती थी. ये रिपोर्ट मुख्यमंत्री को भी दे दी गई थी. ये सिर्फ़ मेरी रिपोर्ट नहीं थी बल्कि कांग्रेस का सर्वे भी था कि मौजूदा विधायकों के टिकट काटने चाहिए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ." (bbc.com)