संपादकीय

‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : भूत, वर्तमान, और भविष्य की लोगों की समझ कमजोर
14-Jan-2024 4:49 PM
‘छत्तीसगढ़’ का  संपादकीय :   भूत, वर्तमान, और भविष्य की लोगों की समझ कमजोर

अभी कुछ दिन पहले हमने एक कामयाब कारोबारी महिला के बारे में इसी जगह लिखा था जिसने अपने चार बरस के बच्चे का कत्ल कर दिया था। अब पुलिस पूछताछ में जब और बातें सामने आई हैं तो पता लग रहा है कि पति के साथ उसकी तनातनी चल रही थी, और अदालत में बच्चे को पाने के लिए दोनों के बीच मामला चल रहा था, इस बीच पति को अदालत ने हर कुछ दिनों के बाद बेटे से मिलने की इजाजत दी थी लेकिन पत्नी उसे मिलने नहीं दे रही थी कि बाप का बच्चे पर बुरा असर पड़ रहा है। इस महिला का लिखा हुआ एक नोट भी बरामद हुआ है जिसमें उसने पति को हिंसक बताते हुए कहा है कि वह बेटे का इस्तेमाल कर रहा है, और वह (पत्नी) अब और बर्दाश्त नहीं कर सकती। उसने पति पर बेटे को बुरे संस्कार सिखाने की तोहमत भी लगाई। 

तलाक और बच्चों का हक पाने के मुकदमे बहुत बुरी नौबत पर पहुंचते हैं। तलाक देने के लिए, या न देने के लिए पति-पत्नी की तरफ से सच्चे और झूठे, कई किस्म के ओछे आरोप लगाए जाते हैं, और बहुत से मामलों में तो सार्वजनिक बदनामी से बचने के लिए दो में से कोई एक साथी हथियार डाल देते हैं, और नाजायज समझौता भी मंजूर कर लेते हैं। इसके अलावा बहुत से मामलों में यह भी देखने आता है कि भूतपूर्व पति, या भूतपूर्व पत्नी तलाक की कार्रवाई पूरी हो जाने के बाद भी एक-दूसरे के पीछे लगे रहते हैं, और मानो उनकी जिंदगी का मकसद भूतपूर्व साथी का जीना हराम करना ही हो जाता है। ऐसे में अगर किसी एक साथी को सत्ता या पैसों की ताकत भी हासिल रहती है, तो वे इस हिंसक प्रताडऩा को करते हुए एक मजा भी लेने लगते हैं। इस बात को भी लोग भूल जाते हैं कि ऐसी तमाम गंदी हिंसा का बच्चों पर क्या असर पड़ेगा। 

अब शादीशुदा जोड़ों से परे अगर देखें, तो इंसान का मिजाज ही अपने भूतकाल के साथ जीते हुए, अपने को नापसंद लोगों के वर्तमान और भविष्य को तबाह करने का रहता है। कई लोगों के पास इसके लिए वक्त रहता है, कई लोगों के पास वक्त के साथ-साथ ताकत भी रहती है, और कई लोग बेबस और कमजोर रहते हैं जो कि चाहकर भी अपने भूतकाल के संबंधों का कुछ नहीं बिगाड़ सकते। लोग अपने भूतपूर्व प्रेमी, या प्रेमिका, भूतपूर्व मालिक, या नौकर, भूतपूर्व भागीदार, या दोस्त, किसी भी भूतपूर्व के साथ सामान्य नहीं रह पाते। बहुत से भूतपूर्व मालिक इस बात में लगे रहते हैं कि उनकी नौकरी छोड़े हुए लोगों को कहीं और काम न मिले। कई भूतपूर्व कर्मचारी पिछले मालिक के राज खोलते हुए उसे बदनाम करने, और मुमकिन हो तो बर्बाद करने, को ही अपना मकसद बना लेते हैं। आज सोशल मीडिया के जमाने में इस तरह का हिसाब चुकता करना बहुत आम बात है। किसी एक वक्त अच्छे दोस्त रहे लोग भी अगर आज साथ नहीं रह गए, तो वे एक-दूसरे की बर्बादी चाहते हैं, और अच्छे वक्त में साझा की गई जानकारी का जमकर बेजा इस्तेमाल करने पर उतारू रहते हैं। 

इंसान की फितरत मालिकाना हक की अधिक रहती है, जिस तरह लोग जर, जोरू, और जमीन के मालिकाना हक का दावा करते हैं, उसी तरह का दावा लोग किसी भी तरह के संबंधों में करने लगते हैं कि साथ नहीं रह गए, तो दूसरे को रहने ही नहीं देना है। खासकर शादीशुदा रिश्तों में ऐसे स्थाई तनाव का सबसे बुरा असर बच्चों पर पड़ता है जिनके सामने अलग-अलग रह रहे मां-बाप अमूमन एक-दूसरे को खराब मिसाल बताते रहते हैं। किसी वक्त भागीदार रहे लोग भी अलग हो जाने पर एक-दूसरे के धंधे के खिलाफ पुराने राज निकालकर बांटने लगते हैं। जिन लोगों के बीच किसी वक्त मोहब्बत रहती है, उसके खत्म होने पर वे लोग एक-दूसरे का चेहरा भी देखना नहीं चाहते, और ऐसे लोगों के अंतरंग पलों की तस्वीरें, और वैसे वक्त बनाए गए वीडियो इन दिनों रिवेंज-पोर्न, बदला निकालने के लिए फैलाए गए निजी पोर्न की शक्ल में आए दिन फैलते रहते हैं। अब न रह गए भूतपूर्व संबंधों को ऐसी हिंसा और जुर्म तक ले जाना आम बात सरीखी हो गई है। भूतपूर्व के लिए इस्तेमाल होने वाले एक्स शब्द की जगह लोग कुल्हाड़े के लिए इस्तेमाल होने वाले एक्स शब्द में बदल डालते हैं, और किसी भी किस्म के भूतपूर्व संबंधों, और संबंधियों पर कुल्हाड़ा चलाने लगते हैं। 

इसके पीछे लोगों की यह खुशफहमी भी जिम्मेदार रहती है कि जिंदगी में सब कुछ स्थाई रहता है। प्रेम, शादी, नौकरी, भागीदारी, या किसी पार्टी से वफादारी, जो लोग इनको जिंदगी भर के लिए स्थाई मानकर चलते हैं, उनमें से बहुत से लोगों को कई बार निराशा हाथ लगती है क्योंकि लगातार बदलने वाली जिंदगी, स्थितियों, और लोगों के बीच किसी भी तरह के संबंध स्थाई या हमेशा के लिए नहीं हो पाते। यही वजह है कि शादी का वायदा करके सेक्स-संबंध बनाने, और फिर मुकर जाने की पुलिस रपट आए दिन होती रहती है। जबकि लोगों का यह मानना बुनियादी तौर पर गलत रहता है कि प्रेमसंबंध अनिवार्य रूप से शादी तक पहुंच ही जाने चाहिए। जिस तरह दोस्तियां टूटती हैं, उसी तरह प्रेमसंबंध भी, टूट सकते हैं, टूटते हैं। ऐसे में बालिगों को देहसंबंध के पहले इतनी समझदारी दिखानी चाहिए कि रिश्ते आगे न बढऩे के खतरे को देखते हुए ही वे देहसंबंध बनाएं। लेकिन होता यह है कि लोग मोहब्बत को शादी मान बैठते हैं, और वायदे, या बिना वायदे, जैसा भी सच्चा-झूठा हो, देह को दांव पर लगा देते हैं। इसके बाद कुछ लोग पुलिस में रपट लिखाते बैठते हैं, तो कुछ लोग रिवेंज-पोर्न पोस्ट करते हुए। 

आज यहां इस मुद्दे पर लिखने का मकसद यही है कि लोगों को भविष्य की अपनी कल्पना को गारंटी मानकर अपने वर्तमान को दांव पर नहीं लगाना चाहिए, वरना वे बाकी जिंदगी भूतकाल के मलाल में गुजारने के लायक रह जाते हैं, और यह मलाल बहुत से मामलों में इस हद तक हिंसक हो जाता है, कि एक कामयाब कारोबारी महिला अपने अलग हो रहे पति से चार बरस के बेटे को न मिलने देने के लिए उसका कत्ल ही कर देती है। इससे अधिक तकलीफदेह और क्या हो सकता है? 

(क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक) 

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