संपादकीय
योगी आदित्यनाथ के उत्तरप्रदेश में अभी बजरंग दल (एक दूसरे समाचार में इसे विश्व हिन्दू परिषद बताया गया है) के कुछ कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया जो अपने इलाके के पुलिस थाना प्रभारी को हटवाने के लिए इलाके में तनाव खड़ा करके माहौल बनाना चाह रहे थे। यहां तक तो मामला ठीक था, लेकिन इसके लिए बजरंग दल के मुरादाबाद जिला प्रमुख और इस संगठन के कुछ और पदाधिकारियों ने एक गाय कटवाई, और उसके बदन के हिस्से इस थाने के इलाके में जगह-जगह रखवाए ताकि तनाव खड़ा हो, और थाना प्रभारी को हटाया जाए। इसके साथ-साथ इन लोगों ने एक ऐसे मुस्लिम का नाम बताकर उसे गिरफ्तार करने की मांग की जिसका इस मामले से कुछ लेना-देना नहीं था, और बजरंग दल के लोगों ने अपने साथ जिस मुस्लिम को रखा हुआ था, उसने पुलिस को बयान और सुबूत सब दे दिए। इस खबर की संवेदनशीलता को देखते हुए इसके नामों पर गौर करने की जरूरत है। साम्प्रदायिकता के मामले में अत्यंत संवेदनशील यूपी के मुरादाबाद जिले में बजरंग दल और वीएचपी से जुड़े हुए सुमीत बिश्नोई ने स्थानीय थानेदार पर दबाव बनाने के लिए यह साजिश रची थी क्योंकि बिश्नोई बहुत से गैरकानूनी काम करता था, और पुलिस उसमें कभी-कभी आड़े आती थी। उसने दूसरे दो हिन्दू दोस्तों के साथ मिलकर एक मुस्लिम के साथ यह साजिश रची, एक गाय काटकर फेंकी गई, और इलाके के थानेदार को हटाने के लिए एक अभियान छेड़ा गया ताकि जुर्म में बाधा बनने वाले पुलिस अफसर राह से हटा दिए जाएं। इसके बाद साजिश में शामिल मुस्लिम नौजवान, शाहबुद्दीन ने अपने एक निजी रंजिश वाले महमूद नाम के आदमी का नाम, उसकी फोटो ऐसी अगली गाय की लाश के साथ प्लांट कर दी ताकि गोहत्या में वह फंस जाए। सुमीत बिश्नोई थानेदार को हटाने और इस महमूद को गिरफ्तार करने की मांग करते हुए प्रदर्शनों में भी शामिल रहा। एक गाय की लाश कांवर पथ पर डाली गई जो कि धार्मिक यात्राओं वाला रास्ता है। अब वहां के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक हेमराज मीणा ने इस पूरी साजिश का भांडाफोड़ करते हुए बताया कि इसी थाने के एक सबइंस्पेक्टर नरेन्द्र कुमार को इन अभियुक्तों के साथ मिलीभगत के लिए निलंबित किया गया है। चूंकि यूपी में योगीराज है, और इस मामले की जांच करने वाले सारे अफसर हिन्दू हैं, इसलिए कोई यह आरोप भी नहीं लगा सकते कि किसी दूसरे धर्म के लोगों ने हिन्दू संगठनों के लोगों को फंसा दिया है।
देश में और भी कुछ जगहों पर ऐसा हुआ है कि किसी मुस्लिम या गैरहिन्दू को फंसाने के लिए कुछ हिन्दुओं ने ही गाय कटवाई, और दूसरों के नाम उलझाए। यह मामला खतरनाक इसलिए है कि हिन्दुस्तान आज हिन्दू-गैरहिन्दू धर्मों के बीच बहुत बुरी तरह बंटा हुआ है, और लोगों की साम्प्रदायिक भावनाओं की लपटें आसमान छू रही हैं। ऐसे में जहां कहीं किसी तरह का साम्प्रदायिक तनाव खड़ा करने की साजिश होती है, वहां पर हमारे हिसाब से अनिवार्य रूप से राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम लागू करना चाहिए क्योंकि देश में आज साम्प्रदायिक तनाव खड़ा करने की साजिश राष्ट्रीय सुरक्षा पर खतरे से कम नहीं है। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का हिन्दूवादी रूख कोई छुपा हुआ नहीं है। इसके पहले कि भारत एक हिन्दू राष्ट्र बन सके, यूपी को वे एक हिन्दू प्रदेश बनाने पर आमादा हैं, और हज-हाऊस को भी वे भगवा-केसरिया रंग से पुतवा चुके हैं। वीएचपी और बजरंग दल जैसे हिन्दू संगठनों को अपने नेताओं और कार्यकर्ताओं के बारे में भी सोचना चाहिए कि वे किस तरह के धंधों में लगे हुए हैं। मुरादाबाद पुलिस ने बताया है कि इस साजिश के मुखिया सुमीत बिश्नोई के खिलाफ पहले से अवैध धंधों के कई मामले दर्ज हैं, कई मामलों में उसे कैद हो चुकी है, जिनमें हत्या, दंगे भडक़ाना जैसे जुर्म शामिल हैं। और इस मामले में पुलिस ने मोबाइल टेलीफोन के कॉल डिटेल्स सहित यह पूरी तरह से स्थापित कर दिया है कि किस तरह वीएचपी-बजरंग दल के ये पदाधिकारी शाहबुद्दीन नाम के मुस्लिम के साथ मिलकर गौहत्या करने, और उसकी तोहमत किसी और पर थोपने, और तनाव खड़ा करके इलाके के पुलिस अफसर को हटाने की साजिश कर चुके थे, उस पर अमल कर चुके थे।
यह नौबत इसलिए भयानक है कि आज देश में जगह-जगह धर्म के नाम पर लोगों को आपस में लड़वाना बड़ा आसान हो गया है। गाय देश में एक सबसे संवेदनशील मुद्दा है, और इसे लेकर किसी भी मुस्लिम या ईसाई पर तोहमत धरी जा सकती है, उसकी भीड़त्या की जा सकती है। आज बहुसंख्यक हिन्दू तबका जिस तरह के धार्मिक उन्माद में झोंका जा रहा है, उसका सबसे बड़ा नुकसान उसे खुद को हो रहा है। ऐसा करने वाले नेताओं के परिवारों के बारे में तो हम नहीं जानते, लेकिन ऐसा कर रही भीड़ के बारे में यह साफ दिखता है कि वह बेरोजगार भीड़ है जिसे धार्मिक भावनाओं के नाम पर शहादत के अंदाज में झोंक दिया जा रहा है, और उसकी पूरी जवानी झंडे-डंडे के साथ खत्म हुई जा रही है। चूंकि यह मामला एक हिन्दू प्रदेश यूपी के हिन्दू मुख्यमंत्री योगी की पुलिस के हिन्दू अफसरों द्वारा उजागर किया गया है, इसलिए इसे आंख खोलने लायक मामला मानना चाहिए। अगर पुलिस ने ईमानदारी के साथ जांच करके बारीकी से सुबूत पेश न किए होते, तो यह भी हो सकता था कि इसमें वह बेकसूर मुस्लिम फंस गया रहता जिसका नाम गाय की लाश के साथ जोड़ा गया था। अब सवाल यह उठता है कि कितने प्रदेशों में कहां-कहां की पुलिस कड़ाई और ईमानदारी के साथ काम कर सकेगी जब थाने से अफसरों को हटाने के लिए हिन्दू नेता ही थाना-इलाके में गाय कटवाकर उसके टुकड़े फैलाते रहें? हमारा ख्याल है कि ऐसा जुर्म करने वालों के लिए जो सजा कानून में तय की गई है, उससे कई गुना अधिक सजा इस तरह की झूठी साजिश के लिए होनी चाहिए जिसमें किसी बेकसूर को फंसाने के लिए वह जुर्म किया जा रहा है।
इस बात को इसका सुबूत भी मानना चाहिए कि हर जगह साम्प्रदायिक तनाव की घटनाएं जरूरी नहीं हैं कि वैसी हों जैसी कि दिखती हों। इसलिए लोगों को भडक़ने के लिए कुछ सब्र रखना चाहिए, और आग में घी डालने का काम नहीं करना चाहिए। (क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक)