विचार / लेख
-दीपक मंडल
एक फरवरी को पेश किए गए मोदी सरकार के अंतरिम बजट में मालदीव को दी जाने वाली मदद में कटौती कर दी गई है।
साल 2023 के बजट में सरकार ने मालदीव के लिए 400 करोड़ रुपये आवंटित किए थे लेकिन बाद में ये मदद बढ़ाकर 770 करोड़ रुपये कर दी गई थी।
लेकिन इस साल पेश किए गए अंतरिम बजट में ये मदद घटा कर 600 करोड़ रुपये कर दी गई है। इसका मतलब ये कि भारत की ओर से मालदीव को जारी की जाने वाली विकास सहायता राशि को 22 फीसदी घटा दिया गया है।
भारत मालदीव में इन्फ्रास्ट्रक्चर और विकास परियोजना में मदद करता रहा है। लेकिन मौजूदा राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्ज़ू के सत्ता में आते ही मालदीव के भारत से रिश्ते बिगडऩे लगे।
माना जाता है कि राष्ट्रपति मुइज्ज़़ू की पार्टी का झुकाव चीन की ओर रहा है। राष्ट्रपति चुनाव अभियान के दौरान उनकी पार्टी ने ‘इंडिया आउट’ का नारा दिया था। इसके बाद पीएम मोदी के लक्षद्वीप जाने और फिर इसके बाद हुए विवाद से भारत और मालदीव के रिश्तों में आया तनाव औ गहरा गया। इसी तनाव के बीच मुइज्ज़़ू ने चीन का दौरा किया था। वहां से लौटने के बाद उन्होंने कहा था उनका देश छोटा है लेकिन इससे किसी को इस पर धौंस जमाने का अधिकार नहीं मिल जाता। उनका इशारा भारत की ओर था।
मालदीव में भारतीय सेना की मौजूदगी को लेकर दोनों देशों के बीच पहले ही विवाद चल रहा है। मुइज्ज़ू ने सत्ता संभालते ही अपना पहला आदेश भारतीय सैनिकों की वापसी का दिया था। उन्होंने कहा था कि 15 मार्च तक भारतीय सैनिकों को वापस भेज दिया जाएगा। मालदीव शुक्रवार को भारत के साथ इस मुद्दे पर बातचीत के लिए दूसरी कोर ग्रुप की बैठक करने वाला है।
इस समय 77 भारतीय सैनिक मालदीव में मौजूद हैं। यहां भारतीय सेना के दो हेलीकॉप्टर और एक विमान है, जिन्हें प्राकृतिक आपदा के दौरान लोगों की मदद पहुंचाने में कई बार इस्तेमाल किया गया है। लेकिन मालदीव की मुइज्ज़़ू सरकार इसे देश की संप्रभुता के लिए खतरा मानती है।
क्या है मामला?
मालदीव को मिलने वाले 600 करोड़ रुपये भारत की ओर से किसी देश को दी जाने वाली तीसरी सबसे बड़ी मदद है। भारत ने साल 2023-24 के लिए मालदीव के लिए 770 करोड़ आवंटित करने का फै़सला किया था।
ये 2022-23 के लिए की गई 183।16 करोड़ रुपये की मदद से 300 फीसदी ज्यादा है। लेकिन अंतरिम बजट में भारत ने मालदीव की मदद घटाकर श्रीलंका, मॉरीशस, सेशेल्स और अफ्रीकी देशों की मदद बढ़ा दी है।
इंडियन काउंसिल ऑफ वल्र्ड अफेयर्स में सीनियर रिसर्च फेलो डॉ. फ़ज़्ज़ुर रहमान सिद्दीकी कहते हैं, ‘मुइज्ज़़ू सरकार ने जिस तरह से भारत का विरोध किया है, उसने भारत को चौंकाया है। भारत को इतने कड़े तेवर की उम्मीद नहीं थी। मुइज़्ज़ू ने न सिर्फ भारत के खिलाफ कड़े कदम उठाए बल्कि राष्र्टपति बनने के बाद ही तुर्की और चीन की यात्रा कर उन्होंने भारत विरोधी भावनाओं को और भडक़ाया।’
‘मुइज्ज़़ू सिर्फ देश के अंदर अपने समर्थकों को खुश करने के लिए ऐसा कर रहे थे। लिहाज़ा भारत के लिए प्रतिक्रिया करना स्वाभाविक है। भारत ने मदद में कटौती कर इसका संकेत दे दिया है।’
मालदीव में भारत विरोधी भावनाओं का उभार किस कदर बढ़ा है वो इस साल की शुरुआत में उस वक्त दिखा जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के छोटे से द्वीपसमूह लक्षद्वीप की तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की।
इसके बाद कुछ भारतीयों ने लक्षद्वीप की तस्वीरें शेयर कर पर्यटकों से मालदीव छोडक़र यहां की यात्रा करने की अपील की। लेकिन इसकी प्रतिक्रिया में मालदीव के कुछ लोगों ने पीएम मोदी के खिलाफ कथित तौर पर दुर्भावनापूर्ण टिप्पणी की और लक्षद्वीप को घटिया जगह बताया। इसमें मालदीव सरकार के तीन जूनियर मंत्री भी शामिल थे। हालांकि उन्हें बाद में हटा दिया गया। लेकिन इस घटना से जाहिर हो गया है कि मुइज्ज़़ू की पार्टी के भारत विरोधी अभियान का वहां व्यापक असर है।
भारत विरोध का नुकसान क्या है?
मुइज्ज़़ू सरकार ने सत्ता संभालते ही भारत से वहां मौजूद भारतीय सैनिकों को वापस बुलाने के लिए कहा था। इसके बाद इस मुद्दे को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने के लिए भारत और मालदीव के बीच कोर ग्रुप की एक बैठक हो चुकी है। दूसरी बैठक शुक्रवार को होने वाली है। कोर ग्रुप की बैठक के ज़रिये भारत क्या संदेश देना चाहता है?
नई दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में चीनी अध्ययन केंद्र में एसोसिएट प्रोफेसर अरविंद येलेरी कहते हैं, ‘भारत सरकार का रुख़ एकदम नहीं बदला है। भारत ये संकेत नहीं देना चाहता कि उसने मालदीव के साथ संबंधों को लेकर कोई विपरीत कदम उठाए। मोदी सरकार थोड़ा रुककर कदम उठाना चाहती है। इसलिए हो सकता है कि अंतरिम बजट में मालदीव की सहायता में कटौती की गई है लेकिन पूर्ण बजट में इसमें बढ़ोतरी हो सकती है। तब तक संबंधों में थोड़े सुधार हुए तो मदद बढ़ाई जा सकती है।’
लेकिन वो ये भी कहते हैं, ‘मालदीव के रुख को देखते हुए भारत की ओर से इस तरह के संकेत देना जरूरी है। भारत ये बताना चाहता है कि मालदीव भारत का विरोध भी करे और उससे आर्थिक मदद की भी उम्मीद रखे, ये नहीं चलेगा।’
‘इसलिए उसने श्रीलंका, सेशेल्स और मॉरीशस जैसे देशों की मदद बढ़ाई है। ये बताने के लिए मालदीव को भारत विरोध का नुक़सान झेलना ही होगा।’
क्या है भारत का मौजूदा रूख?
चीन दौरे से लौटने के बाद मुइज़्ज़ू का रवैया भारत पर नरम नहीं दिखा। उन्होंने कहा था कि छोटा देश होने की वजह से किसी देश को मालदीव पर धौंस जमाने का अधिकार नहीं है।
इस पर भारत के विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा था, ‘चीन भारत के पड़ोसियों को प्रभावित करेगा, लेकिन भारत को ऐसी प्रतिस्पर्धी राजनीति से डरना नहीं चाहिए। सब पड़ोसियों के बीच दिक़्क़तें आती हैं लेकिन आखिरकार पड़ोसियों को पड़ोसियों की ज़रूरत होती है।’
जयशंकर ने कहा था कि चीन के प्रभाव को लेकर प्रतिद्वंद्विता बढ़ी है लेकिन इसे भारतीय कूटनीति का फेल होना कहना ग़लत है।
जयशंकर ने कहा था, ‘हमें समझना होगा कि चीन भी हमारा पड़ोसी है और कई मायनों में प्रतिस्पर्धी राजनीति के रूप में इन देशों को प्रभावित करेगा। मुझे नहीं लगता कि हमें चीन से डरना चाहिए। मुझे लगता है कि हमें कहना चाहिए- ठीक है, वैश्विक राजनीति एक प्रतिस्पर्धी खेल है। आप अपनी सर्वश्रेष्ठ कोशिश करें, हम अपनी सर्वश्रेष्ठ कोशिश करेंगे।’
‘आज के समय में हमें प्रतिस्पर्धा से घबराना नहीं चाहिए। हमें इसका स्वागत करना चाहिए और कहना चाहिए कि हमारे पास प्रतिस्पर्धा करने की क्षमता है।’
जयशंकर जहां अपने बयान में चीन की ओर निशाना साध रहे थे, वहीं चीन को लेकर ऐसी ही आक्रामकता मालदीव के अंदर भी सुनाई दे रही थी।
मालदीव में भारत के पक्ष में विपक्ष
मालदीव के विपक्षी दल जम्हूरी पार्टी के नेता गासिम इब्राहिम ने राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज़्ज़ू से अपील की है कि वो औपचारिक तौर पर भारत और पीएम मोदी से माफ़ी मांगें।
इब्राहिम ने द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर करने के लिए राजनयिक सुलह करने के लिए भी मुइज़्ज़ू से अपील की है। इब्राहिम के बयान को मुइज़्ज़ू की उस प्रतिक्रिया से जोडक़र देखा जा रहा है, जिसमें उन्होंने भारत को निशाने पर लिया था।
पीएम मोदी से माफी मांगने की ये मांग तब उठी है, जब मोहम्मद मुइज़्ज़ू को देश की संसद में विरोध का सामना करना पड़ा है।
इब्राहिम ने कहा, ‘पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने इंडिया आउट अभियान की शुरुआत की थी, जिसके कारण भारत और मालदीव के बीच तनाव बढ़ा। पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह ने भी इस अभियान का विरोध करने में देर की।’
चीन से लौटने के बाद मुइज़्ज़ू ने दवाओं के मामले में भारत पर निर्भरता कम करने की बात कही।
भारत मालदीव को दवाओं की सप्लाई करता रहा है। कोरोना महामारी के दौर में भारत ने मालदीव को वैक्सीन पहुंचाई थीं। (bbc.com/hindi)