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चंडीगढ़ मेयर चुनाव को सुप्रीम कोर्ट ने क्यों बताया-लोकतंत्र का मजाक
06-Feb-2024 3:32 PM
चंडीगढ़ मेयर चुनाव को सुप्रीम कोर्ट ने क्यों बताया-लोकतंत्र का मजाक

30 जनवरी को हुए चंडीगढ़ मेयर चुनाव में बीजेपी की जीत के बाद आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने अदालत का रुख़ किया था।

आम आदमी पार्टी और कांग्रेस का आरोप है कि इस चुनाव में पीठासीन अधिकारी ने धांधली की और संख्या बल ना होने के बावजूद भी बीजेपी की जीत का एलान किया।

यह तथ्य है कि संख्या बल आप और कांग्रेस के पक्ष में था लेकिन उनके आठ वोट अमान्य करार दिए गए थे। अमान्य करार दिए जाने को ही आप और कांग्रेस ने धांधली बताया है।

आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने पहले पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट का रुख़ किया था, जहाँ से राहत ना मिलने पर वो सुप्रीम कोर्ट पहुँचे थे।

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई करते हुए सख़्त टिप्पणी की है।

चीफ़ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड ने कहा, ''यह लोकतंत्र का मज़ाक है। जो हुआ, हम उससे हैरान हैं। हम लोकतंत्र की इस तरह से हत्या नहीं होने दे सकते।''

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव करवाने वाले पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह को भी कड़ी फटकार लगाई।

सुप्रीम कोर्ट ने और कुछ क्या कहा?

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव में धांधली मामले में चंडीगढ़ प्रशासन और नगर निगम को भी नोटिस जारी किया है।

चुनाव के दिन का वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था।

चुनाव प्रक्रिया के दौरान के जो वीडियो सामने आए थे, उनमें देखा जा सकता है कि पीठासीन अधिकारी मतपत्रों पर हस्ताक्षर करते या कुछ लिखते हुए दिख रहे हैं।

विपक्षी दलों का आरोप है कि पीठासीन अधिकारी ने ही मतपत्रों पर निशान बनाए, जिन्हें बाद में आमान्य कऱार दिया गया।

इन मतपत्रों को आमान्य करार दिए जाने की वजह के बारे में चुनाव प्रक्रिया के दौरान कुछ नहीं बताया गया था।

इन वीडियो पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वीडियो रिकॉर्डिंग्स और मतपत्रों को सरंक्षित रखा जाए।

डीवाई चंद्रचूड़ ने वीडियो देखने के बाद पीठासीन अधिकारी के बारे में कहा, ‘ये साफ़ है कि मतपत्रों के साथ छेड़छाड़ हुई है। क्या इस तरह से चुनाव करवाए जाते हैं? इस आदमी पर मुक़दमा चलना चाहिए। ये कैमरे की ओर क्यों देख रहे हैं और फिर किसी भगोड़े की तरह भाग क्यों रहे हैं?’

चंद्रचूड़ ने कहा, ‘पीठासीन अधिकारी मतपत्र में बदलाव करते दिखे हैं। क्या ये एक रिटर्निंग ऑफिसर का बर्ताव होना चाहिए? वो कैमरे की ओर देखते हैं और मतपत्रों के साथ छेड़छाड़ करते हैं। जिस मतपत्र के नीचे क्रॉस का निशान बना हुआ है, उसे ये ट्रे में रख देते हैं। जिस मतपत्र के ऊपर क्रॉस बना हुआ है, उसे ये बिगाड़ देते हैं और फिर कैमरे की ओर देखते हैं। इनसे बताइए कि सुप्रीम कोर्ट इन्हें देख रहा है। हम लोकतंत्र की ऐसे हत्या नहीं होने देंगे। देश में स्थिरता लाने की सबसे अहम शक्ति चुनाव प्रक्रिया की शुचिता है।’

इस मामले की सुनवाई कर रही बेंच में चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस जेबी पर्दीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा हैं।

सुप्रीम कोर्ट में ये याचिका चंडीगढ़ मेयर चुनाव में आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार कुलदीप कुमार की ओर से दाखिल की गई है।

हाईकोर्ट ने नहीं दी थी राहत

सुप्रीम कोर्ट ने पीठासीन अधिकारी से 19 फऱवरी की सुनवाई में पेश होकर अपने बर्ताव के बारे में बताने के लिए कहा है।

पीठासीन अधिकारी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में सोलिस्टर जनरल तुषार मेहता पेश हुए हैं।

कोर्ट ने सात फरवरी को चंडीगढ़ नगर निगम की होने वाली बैठक पर भी रोक लगाई है। इस दिन बजट भी पेश किया जाना है।

30 जनवरी को जब चुनाव नतीजे आए तो आप और कांग्रेस ने हाईकोर्ट का रुख़ किया था।

मगर हाईकोर्ट ने राहत देने से इंकार किया था। हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन समेत संबंधित अधिकारियों से तीन हफ़्ते में जवाब दाखिल करने को कहा था।

हाईकोर्ट ने आप और कांग्रेस के फिर से चुनाव करवाने की मांग को भी ख़ारिज कर दिया था।

सुप्रीम कोर्ट ने मेयर चुनाव की प्रक्रिया से संबंधित दस्तावेज़ों और वीडियो को हाईकोर्ट में जमा करवाने के लिए कहा है।

ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक़, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पहली नजऱ में ये लगता है कि चुनाव प्रक्रिया की शुचिता बनाए रखने के लिए एक अंतरिम आदेश दिया जाना था, जिसे देने में हाई कोर्ट विफल रहा है।

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर राजनीतिक बयानबाज़ी

कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने चंडीगढ़ मेयर चुनाव पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के बाद बीजेपी को निशाने पर लिया।

प्रियंका गांधी ने लिखा, ‘यह टिप्पणी दिखाती है कि चंडीगढ़ मेयर चुनाव में किस तरह लोकतंत्र की हत्या की गई। बीजेपी जनता की आवाज़ दबाने के लिए लोकतंत्र को कुचल रही है, यह अब देश की जनता के सामने है। जनता ही इसका उचित जवाब देगी।’

चंडीगढ़ मेयर चुनाव में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी साथ मिलकर लड़ी थीं। इसके तहत मेयर पद पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार और डिप्टी मेयर के दो पदों पर कांग्रेस के उम्मीदवार मैदान में थे।

चुनाव से पहले ही ये दोनों दल इसे इंडिया गठबंधन का पहला चुनावी मुक़ाबला बता रहे थे।

चुनाव नतीजे बीजेपी के पक्ष में आने के बाद दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, पंजाब के सीएम भगवंत मान समेत कई कांग्रेस नेताओं ने चुनाव में धांधली का आरोप लगाया था।

राहुल गांधी ने 30 जनवरी को ट्वीट किया था, ''जो बीजेपी मेयर चुनाव में पूरी दुनिया के सामने लोकतंत्र की हत्या कर सकती है, वो दिल्ली की सत्ता में बने रहने के लिए क्या करेगी यह कल्पना से परे है। वर्षों पहले आज ही के दिन गोडसे ने गांधी जी की हत्या की थी और आज ही गोडसेवादियों ने उनके आदर्शों और संवैधानिक मूल्यों की बलि चढ़ा दी।’

बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने इन चुनाव के नतीजों के बाद सोशल मीडिया पर पार्टी को बधाई देते हुए लिखा था, ‘बीजेपी की चंडीगढ़ यूनिट को मेयरल चुनाव जीतने के लिए बधाई। पीएम मोदी के नेतृत्व में चंडीगढ़ में रिकॉर्ड विकास हुआ है। इंडिया गठबंधन ने अपनी लड़ाई लड़ी और फिर भी बीजेपी से हार गई। ये दिखाता है कि उनकी अंकगणित और कैमेस्ट्री काम नहीं कर रही है।’

चंडीगढ़ मेयर चुनाव का अंक गणित

चंडीगढ़ नगर निगम में बीजेपी के पास 14 पार्षद हैं।

सदन में अकाली दल का सिर्फ एक पार्षद है। इसके अलावा इस चुनाव में चंडीगढ़ के सांसद को भी वोट करने का अधिकार होता है। ये सांसद बीजेपी की किरण खेर हैं।

यानी बीजेपी के 14 पार्षद, एक सांसद और शिरोमणि अकाली दल के एक पार्षद को मिलाकर 16 वोट होते हैं।

आम आदमी पार्टी के पास 13 पार्षद और कांग्रेस के पास सात पार्षद हैं।

यानी इंडिया गठबंधन के पास कुल 20 वोट थे।

लेकिन जब पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह ने चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव के चुनाव नतीजे का एलान किया, तब बीजेपी के मनोज सोनकर की जीत हुई। मनोज को 16 वोट मिले। कांग्रेस-आप के उम्मीदवार कुलदीप टीटा को 12 वोट मिले।

इस चुनाव में आठ वोटों को आमान्य कऱार दिया गया। हालांकि ये आठ वोट क्यों कऱार दिए गए, इसके बारे में चुनाव प्रक्रिया के दौरान कुछ नहीं कहा गया।

चंडीगढ़ नगर निगम में कुल 35 सीटें हैं।

पीठासीन अधिकारी ने वीडियो वायरल होने के बाद क्या कहा था?

इस विवाद के केंद्र में आए पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह ने समाचार एजेंसी एएनआई से बात की थी।

अनिल मसीह ने कहा था, ''जो मेयर चुनाव हुआ, वो प्रक्रिया बहुत शांतिपूर्वक चल रहा था। सांसद के वोट मिलाकर कुछ 36 वोट डाले गए। जब हम मतपत्र जारी कर रहे थे, तब आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के पार्षदों की चिंताएं थीं कि मतपत्रों पर कहीं निशान हैं तो कऱीब 11 मतपत्र बदलने के लिए उन्होंने कहा। मैंने उनकी गुज़ारिश का सम्मान किया। उनके 11 मतपत्र मैंने साइड में रखकर उनको नए 11 मतपत्र जारी किए। वोट जब पड़ गए तो वोटों की गिनती शुरू हुई।’

अनिल मसीह बोले, ‘मैंने प्रक्रिया के तहत नतीजों का एलान किया कि बीजेपी को 16, आम आदमी पार्टी को 12 और आठ वोट अवैध हैं। एलान करते ही मैंने बीजेपी के पोलिंग एजेंट सौरभ जोशी और आम आदमी पार्टी-कांग्रेस के पोलिंग एजेंट योगेश ढींगरा जी से गुजारिश की कि आप आगे आकर ये सारे मतपत्र चेक कर लें। मगर कांग्रेस- आम आदमी पार्टी के ये लोग पेपर चेक करने की बजाय कूद पड़े। उन्होंने आकर बैलेट पेपर पर कब्ज़ा कर लिया, उसे फाड़ा।’

आठ मतपत्र अवैध क्यों कऱार दिए गए?

पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह ने जवाब दिया था, ''मतपत्र में कुछ टिकमार्क या निशान नहीं होने चाहिए। वोटिंग के बाद वो निशान जिन आठ मतपत्रों में पाए गए, उनको हमने आमान्य कऱार दिया।’

मेयर चुनाव पहले भी चर्चा में रहा

चंडीगढ़ मेयर चुनाव इस महीने की शुरुआत से चर्चा में रहे हैं।

ये चुनाव 18 जनवरी को होने थे। मगर पीठासीन अधिकारी को बीमार बताकर ये चुनाव टाल दिए गए थे।

चंडीगढ़ के डिप्टी कमीशनर ने चुनाव की अगली तारीख़ छह फरवरी तय की थी।

आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने कहा कि बीजेपी हार से डर गई है और इस लिए चुनाव टालना चाह रही है।

आप इस मामले को लेकर अदालत गई। अदालत ने 30 जनवरी को चुनाव करवाने का आदेश दिया था।

चुनाव को टालने से इंकार करते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा था- ऐसा करने की कोई वजह नहीं है और ये अनुचित और मनमानी होगी। (bbc.com/hindi)

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