विचार / लेख

प्रधानमंत्रीजी दसवां संकल्प भी बहुत जरूरी है!
09-Feb-2024 8:52 PM
प्रधानमंत्रीजी दसवां संकल्प भी बहुत जरूरी है!

-डॉ. आर.के. पालीवाल

(प्रधानमंत्री के नाम खुले पत्र के रुप में )

आदरणीय प्रधानमंत्री, भारत सरकार नरेंद्र मोदी जी आप अक्सर अपने नौ संकल्पों का जिक्र करते हैं जिनमें आप देश के तमाम नागरिकों का भी सहयोग चाहते हैं। आपके यह नौ संकल्प निसंदेह बहुत सुंदर हैं। इनके लिए पूरा देश आपका साथ देने के लिए तन मन धन से सहर्ष सहयोग के लिए तैयार भी हो सकता है क्योंकि इन सबका उद्देश्य पवित्र है और राष्ट्रहित में है। 

यहां उन नौ संकल्पों का संक्षिप्त विवरण भी समीचीन होगा जिनका जिक्र अक्सर प्रधानमंत्री करते हैं, वे हैं 1. पानी की बूंद बूंद बचाकर जल सरंक्षण के प्रति जागरूकता लाना 2. सभी गांवों में डिजिटल लेनदेन की जागरूकता पैदा करना 3. स्वच्छता अभियान को हर जगह अधिकाधिक व्यापक बनाना 4. लोकल और मेड इन इंडिया वस्तुओं का ही उपयोग करने का प्रयास करना 5. प्राकृतिक खेती के प्रति जागरूकता बढ़ाना 6. भोजन में मिलेट्स का अधिक से अधिक उपयोग कर स्वस्थ रहना 7. फिटनेस के लिए योग और खेलकूद अपनाना 8. देश में ही पर्यटन कर भारत की विविध संस्कृति के दर्शन करना और 9. कम से कम एक गरीब परिवार को सहारा देने का प्रयास करना। क्योंकि उपरोक्त सभी नौ बिंदु नागरिकों के स्वास्थ, हमारे परिवेश के सौंदर्य, प्रकृति और पर्यावरण के संरक्षण और राष्ट्र के तेजी से आर्थिक विकास से संबंधित हैं इसलिए इनसे किसी व्यक्ति या किसी राजनीतिक दल का भी कोई विरोध नहीं हो सकता। हालांकि इन संकल्पों की पूर्ण आहुति तभी संभव है जब आप इसमें एक और अर्थात दसवां संकल्प और जोड़ देंगे। वह है सांप्रदायिक सौहार्द्र का संकल्प। 

जब देश में कश्मीर से कन्याकुमारी और गुजरात से मणिपुर तक सांप्रदायिक सद्भाव का सरस वातावरण होगा, जब न किसी समुदाय विशेष के मन में श्रेष्ठता का अहंकार होगा और न किसी सम्प्रदाय के दिलोदिमाग में दूसरे संप्रदाय से भय की भावना होगी तभी सही अर्थ में सबका साथ सबका विकास का आपका खूबसूरत सपना और चुनावी सभाओं में गूंजने वाला बहुप्रचारित पूरा हो पाएगा। इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता कि विगत कुछ वर्षों से देश में साम्प्रदायिक और सामाजिक सौहार्द्र कमजोर होता जा रहा है। यह राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर खतरे के निशान को छू रहा है। इसके लिए सबसे पहले आपको अपने विश्वसनीय वोट बैंक,हिंदुत्व वादी संगठनों के नेताओं और युवा कार्यकर्ताओं का विशेष रुप से आव्हान करना होगा जो जब तब अल्प संख्यक समुदाय को आतंकित करने में अपनी उर्जा जाया करते रहते हैं।

कोई माने या न माने लेकिन संविधान के अनुसार आप सब देशवासियों के प्रधानमंत्री हैं इसलिए आपकी जिमेदारी बनती है कि आप विशेष रूप से विपक्षी दलों और अपने विरोधियों का विश्वास जीतने के लिए ऐसे कदम उठाएं जिस तरह के प्रयास आपके अपने दल के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने उठाए थे और सबका दिल जीतने की हर संभव कोशिश की थी। वे इस प्रयास में काफी हद तक सफ़ल भी हुए थे। यही कारण है कि उन्हें पूरा देश उनके उदार और समावेशी दृष्टि के लिए शिद्दत से याद करता है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, जिनका जिक्र विशेष रूप से आप अक्सर अपने अंतरराष्ट्रीय संबोधनों में करते हैं वे भी सामाजिक और सांप्रदायिक सौहार्द के लिए अत्यंत चिंतित रहते थे और इसे उन्होंने अपने अठारह रचनात्मक कार्यों की सूची में काफी ऊपर रखा था।

अल्प संख्यक समुदाय और निचले पायदान पर बैठे नागरिकों को साथ लिए बगैर हम स्वस्थ, शिक्षित और समृद्ध भारत की कल्पना नहीं कर सकते। विश्व गुरु बनने के लिए हमें पहले अपने घर का हाल ठीक करना जरूरी है। आशा है आप अपने संकल्पों में सांप्रदायिक सौहार्द का संकल्प अवश्य जोड़ेंगे। ऐसा करने से निश्चित रूप से भारत तेजी से आर्थिक और सांस्कृतिक समृद्धि प्राप्त कर सकता है।

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