संपादकीय

‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : चुनावी वर्ष का लुभावना बजट, हर गरीब तबके के लिए इसमें कुछ न कुछ
10-Feb-2024 3:41 PM
‘छत्तीसगढ़’ का  संपादकीय : चुनावी वर्ष का लुभावना बजट, हर गरीब तबके के लिए इसमें कुछ न कुछ

छत्तीसगढ़ की विष्णु देव साय की भाजपा सरकार का पहला बजट आबादी के अधिक से अधिक हिस्से को किसी न किसी किस्म का फायदा देने वाला है। कुछ महीने पहले ही विधानसभा चुनाव के घोषणापत्र में भाजपा ने कई किस्म के वायदे किए थे, और फिर उन वायदों को देश भर के अलग-अलग राज्यों में मोदी की गारंटी के नाम से प्रचारित भी किया गया था। अब चूंकि कुछ महीने के भीतर लोकसभा का चुनाव है, और प्रधानमंत्री मोदी का चेहरा ही पूरे देश में भाजपा के कमल निशान से ज्यादा दिखेगा, इसलिए भाजपा की ताजा-ताजा बनी राज्य सरकारों के लिए भी यह जरूरी था कि वे मोदी की गारंटी को अधिक से अधिक पूरा करें। इसी के मुताबिक छत्तीसगढ़ के नौजवान वित्तमंत्री ओ.पी. चौधरी ने कुछ महीनों की मेहनत से ही राज्य के बजट का यह दस्तावेज तैयार किया है जो कि अधिक से अधिक आबादी को खुश करेगा। ऐसा माना जाना चाहिए कि ऐसा करते हुए राज्य के ढांचागत विकास के मद में कुछ कटौती हुई होगी, और सामने खड़े लोकसभा चुनाव के पहले मतदाताओं को खुश करने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर विकास को कुछ महीने टाला गया है। इसमें कोई अटपटी बात नहीं है, और चुनावी लोकतंत्र में कोई भी पार्टी चुनाव के साल में बजट को लुभावना और लोकप्रिय बनाने की कोशिश करती ही है। 

पिछले बरसों में प्रदेश में यह चलन था कि मुख्यमंत्री ही वित्तमंत्री भी होते थे, और वे ही बजट पेश करते थे। दस से अधिक बरस तक डॉ.रमन सिंह ने, और पांच बरस भूपेश बघेल ने यही किया। लेकिन विष्णु देव साय का यह फैसला सही था कि प्रदेश को एक पूर्णकालिक वित्तमंत्री मिलना ही चाहिए, क्योंकि बजट से परे भी साल भर वित्तमंत्री से हर विभाग का काम पड़ता है, और वित्तमंत्री के पास समय की कमी रहने पर पूरे प्रदेश का विकास धीमा हो जाता है। ऐसे में नौजवान, और मेहनती होने की साख वाले, कुछ बरस पहले ही आईएएस छोडक़र राजनीति में आए ओ.पी.चौधरी वित्त मंत्रालय की रोजाना की जरूरतों के साथ इंसाफ कर सकते हैं। फिलहाल कल उनके पेश किए हुए बजट की अगर बात करें, तो वह एक लोकप्रिय साबित होने वाला, और गरीब मतदाताओं को अधिक से अधिक फायदा देने वाला लुभावना बजट है। 

इसके कुछ चुनिंदा मुद्दों पर बात करें, तो हमें सबसे अधिक असरदार फैसला लोगों को दो सौ यूनिट तक बिजली मुफ्त देने का है, चार सौ यूनिट तक की बिजली खपत पर आधी रकम माफ कर दी जाएगी। एक मोटा अंदाज यह है कि प्रदेश में घरेलू बिजली उपभोक्ताओं का आधे से अधिक हिस्सा दो सौ यूनिट से कम बिजली खपत वाला है, और इसके लिए यह एक बड़ी रियायत रहेगी। प्रदेश की तकरीबन तमाम आबादी के घरों तक बिजली पहुंची हुई है, इसलिए पूरे दो करोड़ वोटरों को यह फायदा मिलेगा। दिलचस्प बात यह भी है कि यह भाजपा के घोषणापत्र में नहीं था, और उससे बाहर जाकर पार्टी ने यह बड़ा फैसला किया है, हम इसे पार्टी का फैसला इसलिए लिख रहे हैं कि दूसरे राज्यों में भी भाजपा इस मद में रियायत दे रही है। इससे परे जो बड़े फायदे आम जनता तक पहुंचने वाले हैं, उनमें पिछले विधानसभा चुनाव की तस्वीर को बदलने वाली महतारी वंदन योजना है, जिसमें 21 बरस से ऊपर की हर गरीब और विवाहित महिला को एक हजार रूपए महीने मिलेंगे। इसके लिए बजट में तीन हजार करोड़ रूपए रखे गए हैं। प्रदेश में पिछली कांग्रेस सरकार ने भूमिहीन कृषि मजदूर योजना शुरू की थी, उसे जारी रखते हुए इस सरकार ने उन्हें मिलने वाली रकम सात हजार रूपए साल से बढ़ाकर 10 हजार रूपए सालाना किया है। इसमें आठ लाख लोगों को फायदा होने का अनुमान है। तेंदूपत्ता संग्राहकों को अब तक चार हजार प्रति बोरा मिलता था, इसे बढ़ाकर पचपन सौ रूपए किया गया है, और इससे तेरह लाख लोगों को फायदा मिलने की उम्मीद है। इनमें से अधिकतर लोग आदिवासी इलाकों में हैं, जहां से विधानसभा चुनाव में भाजपा को बम्पर वोट मिले हैं, और अधिक से अधिक आदिवासी सीटें भाजपा के खाते में गई हैं। प्रदेश के बेघर लोगों के लिए 18 लाख प्रधानमंत्री आवास बनाने के लिए 8 हजार करोड़ से ज्यादा इस बजट में रखा गया है। लोगों को याद होगा कि भूपेश सरकार के समय उस समय के पंचायत मंत्री टी.एस.सिंहदेव ने राज्य सरकार द्वारा पीएम आवास के लिए राज्य का हिस्सा जारी न करने का लिखित विरोध करते हुए एक लंबी सार्वजनिक चिट्ठी के बाद यह मंत्रालय छोड़ दिया था। उस वक्त भी यह माना जा रहा था कि 18 लाख परिवारों को हुई निराशा चुनाव में कांग्रेस को नुकसान पहुंचाएगी, और कांग्रेस को हुए कई तरह के नुकसान में से यह भी एक रहा। 

वित्तमंत्री ओ.पी. चौधरी ने इसे ज्ञान का बजट कहा है, ज्ञान के अंग्रेजी अक्षरों को देखें, तो गरीब, युवा, अन्नदाता, और नारी, इन चार तबकों को फायदा पहुंचाने की प्राथमिकता इस बजट में दिखती है। चौधरी ने कलेक्टर रहते हुए रायपुर में नालंदा परिसर नाम से बहुत बड़ी लाइब्रेरी, और वाचनालय को बनाने का काम किया था, अब इस बजट में उन्होंने प्रदेश में 22 ऐसे नालंदा परिसर बनाने की घोषणा की है। इससे नौजवानों की जिंदगी पर पहले दिन से असर नहीं पड़ता, लेकिन आगे की पढ़ाई या नौकरी के मुकाबले की तैयारी में ऐसी लाइब्रेरी बहुत काम की रहती है, और नौजवान पीढ़ी के ज्ञान और समझ को बढ़ाने में इससे बड़ी मदद मिलेगी। एक जगह इतने नौजवानों के साथ उठने-बैठने से ही एक प्रतियोगी-वातावरण बनता है, और नौजवान आगे मुकाबलों के लिए तैयार होते हैं। 

बजट की बहुत सी बातें खबरों में आ चुकी हैं, और उनमें से एक-एक पर हम यहां लिखना नहीं चाहते, मुमकिन भी नहीं है, लेकिन किसी पार्टी या सरकार में नया खून आने का जो फायदा मिलता है, वह छत्तीसगढ़ के वित्त विभाग को अभी मिल रहा है, और सरकार पांच बरस में बदल जाने से भी एक नई कल्पना की गुंजाइश निकलती है। बजट की बहुत सी कामयाबी इस पर भी रहेगी कि इस पर अमल करने वाले विभागों में कितनी ईमानदारी से काम होता है, और पैसों का कितना बेहतर इस्तेमाल होता है। पिछले बरसों में हमने देखा है कि राज्य के अफसर किस हद तक संगठित भ्रष्ट हो सकते हैं, सरकारी मशीनरी तो वैसी ही है, भाजपा सरकार को इसे ईमानदार बनाने, और बनाए रखने के लिए खासी मेहनत करनी पड़ेगी। ऐसा होने पर ही अलग-अलग कामों के लिए रखा गया पैसा किसी काम आएगा, वरना पांच बरस बाद फिर दसियों हजार करोड़ के घोटालों की जांच की नौबत आ खड़ी होगी। प्रदेश की पिछली सरकार आज की विष्णु देव साय सरकार के सामने एक अच्छा सबक है, एक अच्छी मिसाल है कि काम कैसे-कैसे नहीं करना चाहिए। देखते हैं यह सरकार इस बजट के साथ कितनी ईमानदारी निभा पाती है। 
(क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक) 

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news