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नयी दिल्ली, 20 फरवरी उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि वह चंडीगढ़ के महापौर पद के लिए हुए विवादास्पद चुनाव में पड़े मतों की दोबारा गिनती करने और आठ "विरूपित" मतपत्रों पर विचार करने के बाद परिणाम घोषित करने का निर्देश देगा। निर्वाचन अधिकारी ने उन आठ "विरूपित" मतपत्रों को अवैध करार दिया था।
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला एवं न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने चुनाव में पराजित उम्मीदवार कुलदीप कुमार (आम आदमी पार्टी) की याचिका पर सुनवाई शुरू कर दी है। कुमार ने निर्वाचन अधिकारी अनिल मसीह पर चुनाव में कदाचार का आरोप लगाया है।
सर्वोच्च अदालत मतपत्रों की जांच कर रही है और वीडियो रिकॉर्डिंग को देख रही है जिसे पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल द्वारा नियुक्त एक न्यायिक अधिकारी ने पेश किया है।
प्रधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने शुरुआत में कहा, "हम उन मतपत्रों को देखना चाहेंगे जिन्हें अमान्य घोषित किया गया था।’’
सुनवाई अभी जारी है।
न्यायालय ने ‘‘खरीद-फरोख्त होने’’ का जिक्र करते हुए सोमवार को कहा था कि वह चंडीगढ़ महापौर चुनाव के मतपत्रों और मतगणना के दिन की पूरी वीडियो-रिकॉर्डिंग का अवलोकन करेगा।
न्यायालय ने कहा कि नए सिरे से मतदान का आदेश देने के बजाय, वह पहले ही डाले गए मतों के आधार पर नतीजे घोषित करने पर विचार कर सकता है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 30 जनवरी को चंडीगढ़ महापौर चुनाव में कांग्रेस-आप गठबंधन के खिलाफ जीत हासिल की। महापौर पद के लिए भाजपा के मनोज सोनकर ने आप के कुलदीप कुमार को हराया। सोनकर को अपने प्रतिद्वंद्वी के 12 मतों के मुकाबले 16 मत मिले। आठ मत अवैध घोषित कर दिए गए। (भाषा)