विचार / लेख

किसान आंदोलन: सोशल मीडिया अकाउंट हुए ब्लॉक, इंटरनेट पर पाबंदी
23-Feb-2024 4:09 PM
किसान आंदोलन: सोशल मीडिया अकाउंट हुए ब्लॉक, इंटरनेट पर पाबंदी

 दिलनवाज पाशा

फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य और अन्य मांगों को लेकर चल रहे किसानों के आंदोलन के मद्देनजऱ पंजाब और हरियाणा के कई इलाक़ों में इंटरनेट बंदी को करीब दस दिन हो गए हैं।

हजारों की संख्या में किसान हरियाणा-पंजाब के बीच शंभू बॉर्डर पर 13 फरवरी से जमा हैं और दिल्ली कूच की तैयारी कर रहे हैं। 21 फरवरी को खनौरी बॉर्डर पर एक किसान की कथित गोलीबारी में मौत के बाद किसान नेताओं ने दिल्ली कूच को दो दिन के लिए स्थगित कर दिया है।

इसे देखते हुए हरियाणा के सात जि़लों में 23 फऱवरी तक इंटरनेट पर प्रतिबंध को बढ़ा दिया है। ये प्रतिबंध राज्य सरकार ने लगाया है। इसमें अंबाला, कुरुक्षेत्र, कैथल, जींद, हिसार, फतेहाबाद और सिरसा शामिल है।

सरकार ने इंटरनेट पर प्रतिबंध के अपने आदेश में कहा है कि तनावपूर्ण हालात को देखते हुए और शांति बनाए रखने के लिए इंटरनेट पर पाबंदी लगाई गई है।

हरियाणा में इससे पहले 13, 15, 17 और 19 फऱवरी को इंटरनेट प्रतिबंध को आगे बढ़ाया गया था।

इसके अलावा केंद्र सरकार ने 16 फरवरी को एक आदेश जारी कर सात जिलों के 20 पुलिस थाना क्षेत्रों में इंटरनेट पर पाबंदी लगाई थी। यह पाबंदी पंजाब सरकार की तरफ से नहीं लगाई गई है।

सरकार ने कहा है कि ये क़दम अफ़वाहों को फैलने से रोकने और क़ानून व्यवस्था को क़ायम रखने के लिए उठाया गया है।

केंद्र और राज्य सरकार ने ये यह आदेश भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 की धारा 5 और दूरसंचार सेवाओं के अस्थायी निलंबन (सार्वजनिक आपातकालीन या सार्वजनिक सुरक्षा) नियम 2017 के नियम 2 के तहत जारी किया गया है।

समाचार एजेंसी पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ ये गृह मंत्रालय के आदेश पर अस्थायी रूप से 177 सोशल मीडिया अकाउंट और वेब लिंक पर भी रोक लगाई है।

रिपोर्टों के मुताबिक़ किसान आंदोलन समाप्त होने के बाद ये अकाउंट फिर से चालू कर दिए जाएंगे।

भारत में कब-कब बंद हुआ इंटरनेट?

भारत में इंटरनेट बंद होने पर नजऱ रखने वाली वेबसाइट ‘इंटरनेट शटडाउन’ के मुताबिक़ 2024 में अब तक 17 बार इंटरनेट बंद किया जा चुका है।

इंटरनेट शटडाउन पर 2012 के बाद से इंटरनेट बंद किए जाने की घटनाओं का रिकॉर्ड है। डाटा के मुताबिक़ अब तक कुल 805 बार भारत में अलग-अलग जगहों पर इंटरनेट बंद किया जा चुका है।

सर्वाधिक 433 बार जम्मू-कश्मीर में, इसके बाद 100 बार राजस्थान और फिर 45 बार मणिपुर में इंटरनेट बंदी हुई है। हरियाणा में 37 और उत्तर प्रदेश में 33 बार इंटरनेट बंद किया गया है जबकि बिहार में कुल 21 बार इंटरनेट बंद हुआ।

दक्षिण भारतीय राज्य केरल में कभी इंटरनेट बंद नहीं किया गया है जबकि तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में एक-एक बार इंटरनेट बंद हुआ।

अगर अवधि की बात की जाए तो सर्वाधिक 552 दिनों तक कश्मीर में इंटरनेट बंद रहा जबकि मणिपुर में 200 दिनों तक इंटरनेट बंद रहा है।

साल 2012 में सिफऱ् 3 बार इंटरनेट पर रोक लगी थी, 2013 में 5 बार, 2014 में 6 बार और 2015 में 14 बार इंटरनेट बंद किया गया। अब तक सर्वाधिक 136 बार 2018 में, 132 बार 2020 में और 109 बार 2019 में भारत में इंटरनेट बंद हुआ।

दुनिया में इंटरनेट बंद करने के मामले में भारत कहां हैं?

केंद्र सरकार ने आदेश जारी कर पंजाब में इंटरनेट पर पाबंदी लगाई है।

दुनियाभर में इंटरनेट पर प्रतिबंधों पर नजऱ रखने वाली संस्था एक्सेस नाऊ के मुताबिक़ साल 2022 में भारत में इंटरनेट बंद करने की 84 घटनाएं हुईं। ये विश्व में सबसे ज़्यादा थीं।

एक्सेस नाउ के मुताबिक़ दुनिया के 35 देशों में सरकारों ने कुल 187 बार इंटरनेट बंद किया। सर्वाधिक बार भारत में इंटरनेट बंद किया गया।

28 फऱवरी 2023 को जारी एक रिपोर्ट के मुताबिक़ 2016 के बाद से दुनियाभर में इंटरनेट बंद करने की 58 प्रतिशत घटनाएं भारत में हुई हैं।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रदर्शन, संघर्ष, स्कूल परीक्षाओं और चुनावों जैसी घटनाओं के दौरान भारत में सर्वाधिक इंटरनेट बंद किया गया।

इसे सेंसरशिप में ‘अप्रत्याशित बढ़ोतरी’ कहा गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में सरकार ने इंटरनेट पर रोक का सामान्यीकरण किया है और केंद्रीय सरकार ने पारदर्शिता और जि़म्मेदारी तय करने का कोई रास्ता नहीं निकाला है।

क्या कहती है सरकार?

भारत के सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2020 में अनुराधा भसीन बनाम भारत सरकार मामले में कहा था सीआरपीसी 144 के तहत दी गई शक्तियों का इस्तेमाल अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता या किसी लोकतांत्रिक अधिकार के हनन के लिए नहीं किया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से इंटरनेट पर रोक के सभी आदेशों की फिर से समीक्षा करने के लिए भी कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फ़ैसले में ये भी कहा था कि जो आदेश क़ानून के तहत नहीं है उन्हें तुरंत निष्प्रभावी किया जाए।

वहीं संचार और सूचना प्रौद्योगिकी पर संसद की स्टैंडिंग समिति के समक्ष भारत के गृह मंत्रालय और संचार विभाग ने कहा था कि ‘सार्वजनिक आपातकाल’ और ‘जनता की सुरक्षा’ ऐसे दो आधार है जिन पर इंटरनेट बंद करने का आदेश दिया जा सकता है।

समिति ने सरकार से पूछा था कि ‘पब्लिक इमरजेंसी’ और ‘पब्लिक सेफ़्टी’ के अलावा किन और कारणों से इंटरनेट कब-कब बंद किया गया। इसके जवाब में सरकार ने कहा था कि इंटरनेट शटडाउन को लेकर सरकार रिकॉर्ड नहीं रखती है।

भारतीय टेलीग्राफ़ एक्ट 1885 की धारा 5(2) के तहत पब्लिक सेफ़्टी और पब्लिक इमरजेंसी को लेकर पैमाने परिभाषित हैं।

हालांकि गृह मंत्रालय ने इनकी परिभाषा के बारे में पूछे गए सवाल पर समिति में कहा था, ‘ये शब्द टेलीग्राफ़ एक्ट में हैं जिसे संचार विभाग देखता है। इसलिए क़ानून की परिभाषा में उन्हें देखना होगा कि इसकी व्याख्या है या नहीं।’

क्या कहती है टेलीग्राफ़ एक्ट 1885 की धारा 5

इस धारा के तहत केंद्र या राज्य सरकार ‘लोक आपात’ या ‘लोक सुरक्षा’ यानी पब्लिक इमरजेंसी या ‘पब्लिक सेफ़्टी’ की स्थिति में संचार के माध्यमों को क़ब्ज़े में ले सकती है। यानी इंटरनेट जैसे संचार के साधनों पर रोक लगाई जा सकती है।

हालांकि, ये छूट भी दी गई है कि केंद्र या राज्य सरकार से मान्यता प्राप्त संवाददाताओं के संदेशों को तब तक नहीं रोका जा सकता जब तक ये सिद्ध ना हो कि ये संदेश इस क़ानून के तहत प्रतिबंधित हैं।

भारत में प्रदर्शनों के दौरान इंटरनेट पर रोक लगाना सरकार का एक चलन बनता जा रहा है। उपलब्ध डाटा ये दर्शाता है कि भारत इंटरनेट पर रोक लगाने के मामले में सबसे आगे है।

सोशल मीडिया के दौर में इंटरनेट संवाददाताओं के लिए भी सूचनाएं भेजने के लिए ज़रूरी है। इंटरनेट पर पूर्ण प्रतिबंध की वजह से प्रेस रिपोर्टरों का काम भी बाधित हुआ है।

पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं के अकाऊंट पर रोक

किसान आंदोलन के दौरान कई पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के सोशल मीडिया प्रोफ़ाइल पर रोक लगा दी गई है। पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ कम से कम 177 अकाउंट और वेब लिंक अस्थायी रूप से प्रतिबंधित किए गए हैं।

सामाजिक कार्यकर्ता हंसराज मीणा का अकाउंट भी प्रतिबंधित किया गया है। बीबीसी से बातचीत करते हुए हंसराज मीणा इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन बताते हैं।

हंसराज मीणा के मुताबिक़, ‘उनके व्यक्तिगत और संगठन ट्राइबल आर्मी के एक्स प्रोफ़ाइल को सरकार ने भारत में प्रतिबंधित करवा दिया है।’

सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स की तरफ़ से हंसराज मीणा को बताया गया है कि ऐसा भारत सरकार के आदेश पर किया गया है।

मीणा कहते हैं, ‘मेरे जिन पोस्ट का हवाला दिया गया है वो किसी भी तरह से क़ानून का उल्लंघन नहीं करते हैं। मैंने बस अपने विचार रखे हैं। सरकार विचारों से भी डरने लगी है। सरकार नहीं चाहती कि हमारी आवाज़ लोगों तक पहुंचे, इसलिए हमारे अकाउंट बिना किसी ठोस कारण के बंद कर दिए गए हैं।’

हंसराज मीणा का संगठन ट्राइबल आर्मी भारत में आदिवासियों, दलितों और पिछड़े समुदायों के मुद्दे उठाता है। मीणा कहते हैं, ‘हमारी आवाज़ पहले से ही कमज़ोर है, मुख्यधारा की मीडिया में हमारे मुद्दों पर चर्चा नहीं होती है। हम सोशल मीडिया के ज़रिए आवाज़ उठा रहे थे, अब वहां से भी हमें रोक दिया गया है।’

किसानों के मुद्दों पर लिखते रहे पत्रकार मनदीप पुनिया के व्यक्तिगत खाते और उनके ऑनलाइन समाचार प्लेटफॉर्म गांव सवेरा के अकाउंट भी प्रतिबंधित कर दिए गए हैं।

मनदीप पुनिया कहते हैं, ‘अकाउंट बंद करने से पहले मुझे किसी भी तरह की जानकारी नहीं दी गई है ना ही किसी तरह का कोई नोटिस दिया गया या ना ये बताया गया कि हमारा अकाउंट क्यों बंद किया जा रहा है। हम किसानों के बीच से रिपोर्ट कर रहे थे, हमारी आवाज़ दबाने के लिए हमारे अकाउंट बंद कर दिए गए।’

शंभू बॉर्डर पर मौजूद मनदीप पुनिया कहते हैं, ‘मैं एक पत्रकार हूं और आंदोलन की कवरेज कर रहा था लेकिन सरकार ने हमारे प्लेटफार्म बंद कर दिए हैं। अब हम सिफऱ् वीडियो बना रहे हैं, उन्हें कहीं पोस्ट नहीं कर पा रहे हैं। हम घटनाओं की लाइव रिपोर्टिंग नहीं कर पा रहे हैं। सरकार ने हमारा काम छीन लिया है।’

ऐसा ही कहना पंजाब के स्वतंत्र पत्रकार संदीप सिंह का भी है। बीबीसी से बातचीत में वे कहते हैं, ‘ट्विटर पर मेरा अकाउंट क्कहृङ्घ्र्रक्च नाम से है। 14 फरवरी को वैलेंटाइन वाले दिन पीएम मोदी ने मेरा अकाउंट बंद करवाकर मुझे गिफ्ट दिया है। अकाउंट बंद होने कारण मैं ग्राउंड से रिपोर्ट नहीं कर पा रहा हूं।’

यह पहली बार नहीं है जब संदीप सिंह के अकाउंट पर एक्स ने रोक लगाई है। इससे पहले पंजाब में अमृतपाल सिंह की गिरफ्तारी के वक्त भी ट्विटर अकाउंट को बंद कर दिया गया था।

वे कहते हैं, ‘साल 2021 में मेरे ट्विटर अकाउंट पर एक महीने के इंप्रेशन 4 करोड़ से ज्यादा थे, जो अब कुछ हजारों में रह गए हैं। अकाउंट पर रोक लगाने से पहले ट्विटर की तरफ से शैडो बैन लगाया गया। इसका मतलब ये है कि सर्च करने पर भी मेरा अकाउंट लोगों को नहीं मिलता था।’

संदीप कहते हैं, ‘सोशल मीडिया कंपनियां सरकार का भोंपू बन गई हैं। इन कंपनियों ने फ्री स्पीच का दावा किया था, लेकिन अब सब ध्वस्त हो गया है। जो लोग ट्विटर पर किसानों को लेकर फर्जी खबरें चला रहे हैं, उनके अकाउंट धडल्ले से चल रहे हैं, क्योंकि वे सरकार का एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं।’

अकाउंट्स को ब्लॉक करने पर एक्स ने क्या कहा

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स ने भारत सरकार के उस आदेश पर असहमति जताई है, जिसमें कहा गया कि ‘किसान प्रदर्शनों से जुड़ी पोस्ट करने वाले एक्स अकाउंट या पोस्ट को ब्लॉक किया जाए।’

एक्स के वैश्विक मामलों को देखने वाले अकाउंट ने भारत सरकार के इस आदेश को लेकर बयान जारी किया है।

उन्होंने अपने बयान में कहा, ‘भारत सरकार ने आदेश जारी किया है, जिसमें एक्स के कुछ अकाउंट और पोस्टों पर कार्रवाई करने को कहा गया है। कहा गया है कि उन अकाउंट और पोस्ट को ब्लॉक किया जाए क्योंकि ये भारत के क़ानून के मुताबिक़ दंडनीय है।’

‘आदेश का पालन करते हुए हम इन अकाउंट और पोस्टों को केवल भारत में ही ब्लॉक करेंगे। हालांकि, हम इससे असहमत हैं और मानते हैं कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी जानी चाहिए। ’

‘भारत सरकार के आदेश के ख़िलाफ़ हमारे रुख़ वाली एक रिट अपील अब भी पेंडिंग है। हमारी नीति के अनुसार, हमने इन अकाउंट्स के यूज़र्स को सूचना दे दी है। क़ानूनी वजहों से हम भारत सरकार का आदेश शेयर नहीं कर सकते, लेकिन हमारा मानना है कि इस आदेश को सार्वजनिक करना पारदर्शिता के लिहाज से सही है।’ (bbc.com/hindi)

अन्य पोस्ट

Comments

chhattisgarh news

cg news

english newspaper in raipur

hindi newspaper in raipur
hindi news