संपादकीय

‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : इंसानियत नाम के मुखौटे पर अधिक भरोसा न करें
24-Feb-2024 4:51 PM
‘छत्तीसगढ़’ का  संपादकीय :   इंसानियत नाम के मुखौटे पर अधिक भरोसा न करें

फोटो : सोशल मीडिया

लोग बात-बात में इंसानियत का तकाजा देते हैं। ऐसा, मानो कि इंसानियत कोई बहुत बड़ी चीज हो। और हकीकत यह है कि इंसान जैसी हरकतें करते हैं, वैसी तो जानवरों में सबसे बुरे ठहराए जाने वाले, सांप, बिच्छू, और कुत्ते भी नहीं करते। इन प्राणियों को लेकर गालियां बहुत बनती हैं, लेकिन सच तो यह है कि वे अपने प्राकृतिक तौर-तरीकों के खिलाफ जाकर कुछ भी नहीं करते। कई प्राणी तो ऐसे भी हैं जिनमें नर-मादा के जोड़े बन जाते हैं, और वे जिंदगी भर एक-दूसरे के वफादार बने रहते हैं, यह बात इंसानों में तो बिल्कुल ही नहीं दिखती है। ऐसे इंसानों को लेकर आए दिन यह खबर आती है कि किस तरह परिवार के भीतर ही एक-दूसरे को मार डाला गया, बलात्कार किया गया, या धोखा दिया गया। ऐसे हर मौके पर हमको यही लगता है कि इंसान ऐसी हरकतों के लिए जिस एक काल्पनिक हैवान पर तोहमत धर देते हैं, वे असल जिंदगी में तो होते नहीं हैं, इंसान अपने भीतर के बुरे काम करने वाली सोच को ही हैवान नाम दे देते हैं, ताकि उसकी अपनी तथाकथित इंसानियत की साख बनी रहे। 

अब इतनी भूमिका बांधने के बाद आज की खबर यह है कि छत्तीसगढ़ आदिवासी इलाके बस्तर में एक नाती ने अपनी 70 साल की नानी की उम्र बहुत कम बताते हुए उसका फर्जी आयु प्रमाणपत्र बनवाया, और उसे मटन शॉप की मालकिन बताते हुए उसका एक करोड़ रूपए का बीमा करवा दिया। इस फर्जीवाड़े में एलआईसी का एजेंट भी शामिल हो गया। इसके बाद नाती नानी को संपेरों के डेरे में लेकर गया, और एक संपेरे से सौदा करके 30 हजार रूपए में नानी को डंसवा दिया। फिर घर लाकर सांप के काटने से जहर फैलने की बात कहते हुए उसने हल्ला मचाया, अस्पताल में डॉक्टर ने जहर का असर देखकर सांप के काटने से हुई मौत वजह लिखी, और कुछ वक्त में बीमा दावा किया गया तो एलआईसी से एक करोड़ रूपए मिल गए। इसके बाद यह नौजवान जिस अंधाधुंध तरीके से खर्च करने लगा, उससे पुलिस को शक हुआ, पुलिस को कोई शिकायत भी मिली, और अब इस कत्ल का भांडाफोड़ करके सबको गिरफ्तार किया गया है। 

मां, नानी, और मौसी को लेकर जाने कितने तरह की कहानियां चलती हैं। लोग यह भी मानते हैं कि मां-बाप अपने बच्चों को जितना प्यार करते हैं, उससे कई गुना ज्यादा प्यार दादा-दादी, या नाना-नानी करते हैं। ऐसे में महज मोटी रकम कमाने की नीयत से अपनी नानी को ऐसी साजिश के तहत ऐसे भयानक तरीके से मारकर कोई बीमा दावा ले ले, ऐसा अभी तक सुना नहीं गया था। दूसरी तरफ आज ही की एक खबर है कि जयपुर में एक बैंक में लूट हुई तो वहां कैशियर ने एक लुटेरे को पकड़ लिया। दूसरा लुटेरा अपने साथी को छुड़ाने लगा, तो कैशियर ने दोनों को जकड़ लिया, इस पर एक लुटेरे ने कैशियर के पेट में तीन गोलियां दाग दीं, इसके बावजूद कैशियर ने एक लुटेरे को नहीं छोड़ा, और गोली की आवाज से आसपास से आए लोगों ने इस लुटेरे को पकड़ लिया। एक ही दिन की ये दो खबरों बताती हैं कि किस तरह कोई अपनी जिंदगी को खतरे में डालकर अपने बैंक को बचा रहा है, और किस तरह कोई दूसरा अपनी नानी का ऐसा भयानक कत्ल करके उसका झूठा बीमा दावा पा रहा है। इंसानों की गलत हरकतों के लिए जानवरों की मिसाल देने वाले लोगों को ऐसा एक भी जानवर ढूंढकर बताना चाहिए जो कमाई करने के लिए अपनी नानी या दादी का ऐसा कत्ल करते हों। 

आज ऐसा लगता है कि तथाकथित इंसानियत एक ऐसी फर्जी धारणा के अलावा और कुछ नहीं है जिसे कि इंसानों ने एक नाजायज इज्जत पाने के मकसद से गढ़ा है। हर इंसान के भीतर तथाकथित इंसानियत, और काल्पनिक हैवानियत, दोनों बराबरी से कायम रहते हैं, और अलग-अलग वक्त पर ये दोनों उस पर हावी होते हैं, कभी-कभी इंसानियत, और अधिक वक्त हैवानियत। यह भी समझने की जरूरत है कि अगर परिवार और समाज का दबाव नहीं रहता, देश का कानून नहीं रहता, पुलिस और अदालतें नहीं रहतीं, तो लोग जाने और क्या-क्या नहीं करते? हर दिन कहीं न कहीं से ऐसी खबर आती है कि परिवार के भीतर ही बाप ने बेटी से, या भाई ने बहन से बलात्कार किया। यह तब हो रहा है जब हर किसी को मालूम है कि ऐसे मामलों के पुलिस तक पहुंचने पर गिरफ्तारी और सजा की गारंटी सरीखी रहती है, फिर भी कुछ देर के मजे के लिए लोग परिवार के भीतर वर्जित संबंधों में भी ऐसे जुर्म करते हैं। आज की ही एक खबर हरियाणा से आई है, जहां पर एक महिला का पति से तलाक हो गया, और उनके दो बच्चे महिला के पास ही रहते थे। महिला का किसी और से प्रेमसंबंध था, और वह उससे शादी करना चाहती थी। इस महिला ने अपने दोनों बच्चों का कत्ल करने के बाद इनकी लाशें खेतों में डाल दी, और पुलिस में शिकायत की कि उसके भूतपूर्व पति ने दोनों बच्चों को मार डाला है। जांच पर पता लगा कि कातिल वही मां थी। अब मां की महानता की कहानियां खत्म होने का भी नाम नहीं लेती हैं। ऐसे में महज प्रेमी से शादी करने के लिए मां अपने दोनों बच्चों को काटकर फेंक दे, इसकी तोहमत उसके भीतर की इंसानियत पर लगाई जाए, या किसी और की हैवानियत पर? 

इस मुद्दे पर हम इसलिए लिख रहे हैं कि इंसानियत का तकाजा और हवाला दे-देकर लोग जिस तरह और जिस कदर दूसरों का भरोसा जीतते हैं, और फिर उसी भरोसे को हथियार बनाकर लोगों को धोखा देते हैं, उससे सावधान रहने की जरूरत है। हालांकि यह बात कहते हुए हमें खुद ही यह लगता है कि कोई महिला अपने नाती से भला कैसे यह आशंका रख सकती है कि वह उसे मार डालेगा, लेकिन असल जिंदगी को देखें तो ऐसी बहुत सी घटनाएं हो रही हैं जिनमें लोग मां-बाप को भी मार डाल रहे हैं। इसलिए समाज को रिश्तों की बुनियाद पर बने हुए भरोसे का बहुत अधिक भरोसा नहीं करना चाहिए। लोगों को इंसानी फितरत के खतरों को भी याद रखना चाहिए कि अपने आपको बड़ा शुभचिंतक बताने वाले लोग भी कैसे खतरनाक साबित हो सकते हैं। परिवार के बीच भी लोगों को वर्जित संबंधों को लेकर, संपत्ति को लेकर, विरासत को लेकर सावधान रहना चाहिए, क्योंकि परिवार का ढांचा दिखने में मजबूत लगता है, लेकिन वह उतना ही कमजोर होता है जितने कमजोर उसके सदस्य होते हैं। निराशा की ऐसी तस्वीर के बीच चलते-चलते हम जयपुर के उस बैंक कैशियर को भी याद करना चाहते हैं बैंक को लुटेरों से बचाने के लिए पेट में गोलियां खा लीं, फिर भी लुटेरे को नहीं छोड़ा। लेकिन भले इंसानों से न खतरा रहता, न बचने की जरूरत रहती, दूसरी तरफ गलत काम करने वाले बुरे इंसान भी अच्छा सा मुखौटा लगाकर ही रहते हैं, और यह मुखौटा उनके किसी बड़े जुर्म के बाद ही उतरता है। इसलिए हर किसी से सावधान रहने में ही समझदारी है।  

(क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक) 

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