विशेष रिपोर्ट
कैट में सुनवाई, विस की समिति ने भी जवाब मांगा
विशेष रिपोर्ट : शशांक तिवारी
रायपुर, 6 मार्च (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। बीस साल पहले आरा मशीन घोटाला केस की फाईल एक बार फिर खुल गई है। बताया गया कि घोटाले के अभियुक्त रहे वी.श्रीनिवास राव को हेड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स के पद पर पदोन्नति के खिलाफ जबलपुर कैट में दायर याचिकाओं पर बहस चल रही है। इनमें एक केस की सुनवाई पूरी हो चुकी है। याचिकाकर्ताओं ने पदोन्नति के खिलाफ यह तर्क दिया है कि राव की इंटीग्रिटी को ही संदिग्ध माना गया था, ऐसे में वो पदोन्नति के पात्र नहीं हो सकते। कैट में विधानसभा की लोकलेखा समिति के दस्तावेज भी पेश किए गए। जिसमें समिति ने भी सरकार से पूछा है कि घोटाले की रकम की वसूली के लिए क्या कार्रवाई की गई है? हाल यह है कि याचिकाओं पर सरकार अब तक जवाब दाखिल नहीं कर पाई है।
भूपेश सरकार ने आधा दर्जन सीनियर अफसरों को नजरअंदाज कर आईएफएस अफसर वी.श्रीनिवास राव को पहले पीसीसीएफ और फिर बाद में हेड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स बना दिया। इसके खिलाफ राव से सीनियर आईएफएस अफसर सुधीर अग्रवाल, संजय ओझा, अनिल राय और अनिल साहू जबलपुर कैट में अलग-अलग याचिका दायर कर चुके हैं, और इस पर सुनवाई भी चल रही है।
याचिका में कई नए खुलासे भी हुए हैं। मसलन, वी.श्रीनिवास राव आरा मिल घोटाले के आरोपी रहे हैं। यह घोटाला रमन सरकार के पहले कार्यकाल में प्रकाश में आया था, और इसमें दो करोड़ 29 लाख रूपए के घोटाले की पुष्टि हुई थी। इस घोटाले में एक दर्जन आईएफएस अफसर भी संलिप्त रहे हैं, लेकिन सभी एक के बाद एक बरी होते चले गए। घोटाले की रकम डीएफओ के हस्ताक्षर से जारी हुई थी, इसलिए उनसे रिकवरी भी होना था। वर्तमान हेड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स वी.श्रीनिवास राव उस वक्त डीएफओ के पद पर थे, और घोटाले में सीधे तौर पर संलिप्त थे।
विभागीय जांच में उनके खिलाफ अनियमितता की पुष्टि भी हुई थी, लेकिन वर्ष 2013 में उन्हें भविष्य के लिए सचेत करते हुए प्रकरण को नस्तीबद्ध करने का आदेश जारी कर समाप्त किया गया। इसके बाद श्रीनिवास राव लगातार पदोन्नति पाते चले गए। पहले सीएफ और फिर सीसीएफ व एपीसीसीएफ के पद पर पदोन्नति दी गई। पिछले साल तत्कालीन वनमंत्री मो.अकबर के हस्तक्षेप के बाद पहले प्रभारी पीसीसीएफ बनाया गया। फिर पीसीसीएफ के पद पर प्रमोट हुए, और चुनाव के कुछ समय पहले हेड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स बन गए। हेड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स का वेतनमान, सीएस और डीजीपी के समकक्ष होता है।
राव की पदोन्नति से प्रभावित अफसरों की तरफ से जबलपुर कैट में दलील दी गई कि वी.श्रीनिवास राव नियमानुसार हेड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स के पद पर पदोन्नति के पात्र नहीं हो सकते क्योंकि उनकी इंटीग्रिटी ही संदिग्ध है। इस सिलसिले में सारे दस्तावेज कैट के समक्ष उपलब्ध कराए गए हैं। यही नहीं, याचिकाकर्ताओं ने लोकलेखा समिति के पत्र को भी उल्लेखित किया है जिसमें यह बताया गया है कि यह प्रकरण अभी तक समिति के समक्ष विचाराधीन है। 12 सितंबर 2023 को छत्तीसगढ़ विधानसभा सचिवालय ने वन विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने बताया है कि आरा मशीन केस में 2 करोड़ 29 लाख का कपटपूर्ण व्यय किया गया है। किन्तु 14 अफसरों के खिलाफ जांच की गई थी लेकिन 29 लाख 66 हजार 340 रूपए की वसूली ही की जा सकी है। शेष राशि की वसूली के लिए क्या प्रयास किए गए जो कि समिति को अवगत कराया जाए। यह भी पूछा गया है कि राव समेत अन्य अफसरों को दोषमुक्त करने के कारण क्या थे। इसके बारे में विस्तृत जानकारी देने के लिए कहा गया है।
जबलपुर कैट ने याचिकाकर्ताओं की दलील पर सरकार से जवाब मांगा है, और एक प्रकरण की सुनवाई पूरी हो चुकी है। फैसला सुरक्षित रखा गया है। बाकी तीन प्रकरणों पर इसी महीने सुनवाई होगी।
ये भी शामिल रहे हैं घोटाले में
जिन अफसरों के खिलाफ घोटाले में संलिप्तता के आरोप लगे थे उनमें डॉ.आर.सी. शर्मा, तत्कालीन हेड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स, धीरेन्द्र शर्मा तत्कालीन पीसीसीएफ, वी.के.सिलेकर, डॉ.अनूप भल्ला, डॉ.जे.के.उपाध्याय, डॉ.एस.के.सिंह, और डॉ.आर.के. सूद हैं। इन सभी को स्पष्टीकरण के बाद प्रकरण को नस्तीबद्ध कर दिया गया।
तत्कालीन सीएफ राकेश चतुर्वेदी, डीएफओ वी.श्रीनिवास राव, एस.एस.डी.बडग़ैय्या, अमरनाथ प्रसाद, और हेमंत पांडेय को आरोप पत्र जारी किया गया था।
राकेश चतुर्वेदी बाद में आरोप से मुक्त हो गए। वो भी हेड ऑफ फॉरेस्ट फोर्स बने। श्रीनिवास राव और अन्य अफसरों से घोटाले की रकम की रिकवरी का मामला प्रक्रियाधीन है। विधानसभा की लोकलेखा समिति प्रकरण को लेकर सरकार से पत्राचार कर रही है।