संपादकीय

‘छत्तीसगढ़’ का संपादकीय : फसल बीमा की तरह बैंक अकाऊंट बीमा की जरूरत
11-Mar-2024 4:17 PM
‘छत्तीसगढ़’ का  संपादकीय : फसल बीमा की तरह बैंक अकाऊंट बीमा की जरूरत

बैंक से लेकर गैस सिलेंडर तक, और दूसरे सौ किस्म के कामों के लिए लोगों के मोबाइल फोन पर ओटीपी आते हैं, उन्हें बैंक या गैस एजेंसी, या किसी और सरकारी दफ्तर का प्रतिनिधि बनकर लोग फोन करते हैं, ओटीपी पूछते हैं, और इसके तुरंत बाद इन लोगों के बैंक खातों से पूरी रकम खाली हो जाती है। यह सिलसिला हर दिन देश में हजारों लोगों के साथ हो रहा है। झारखंड के जामताड़ा जैसे कुछ कस्बों में फोन और इंटरनेट से ऐसी ठगी करने के कुटीर उद्योग चल रहे हैं, वहां के तकरीबन हर नौजवान इसी काम में लगे हैं। यह सब कुछ तब हो रहा है जब देश के हर मोबाइल नंबर और हर बैंक खाते को आधार कार्ड से जोड़ा गया है, और सरकार की हर किस्म की योजना भी आधार कार्ड से जोड़ी गई है। एक कार्ड की जानकारी लोगों को लगने से वे किसी व्यक्ति की हर जानकारी तक पहुंच जा रहे हैं, और बैंक खाते खाली कर देने का काम उनके लिए बड़ा ही आसान हो गया है। 

अब देश भर से रोज आती ऐसी शिकायतों को देखें तो समझ पड़ता है कि भारत सरकार जिस रफ्तार से, और जितने दबाव से देश में डिजिटल लेन-देन बढ़ा रही है, जिस तरह सुप्रीम कोर्ट के साफ-साफ निर्देशों के बावजूद आधार को अनिवार्य किए चली जा रही है, उससे आम तो आम, खासे पढ़े-लिखे लोग भी ठगी का शिकार हो रहे हैं। केन्द्र सरकार अगर देश भर में ऑनलाईन ठगी, और ओटीपी के बेजा इस्तेमाल का अध्ययन कर ले, तो ही उसे समझ आ जाना चाहिए कि डिजिटल लेन-देन की अनिवार्यता, और आधार से बैंक खातों को लिंक किया जाना एक नया खतरा खड़ा कर रहे हैं क्योंकि लोगों का चौकन्नापन अभी ऐसे लेन-देन के लायक तैयार नहीं है। और अभी तो बहुत से बुजुर्ग, कम पढ़े-लिखे, या कम चौकन्ने बैंक उपभोक्ता ऐसे भी हो सकते हैं जिन्हें उनके खाते खाली हो जाने की खबर भी न लगी हो। 

चूंकि देश के लोगों को आर्थिक अपराधों से बचाना भी एक किस्म से केन्द्र और राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है इसलिए जहां कहीं ठगी में आधार कार्ड, बैंक खातों, और मोबाइल नंबरों की जानकारी इस्तेमाल होती है, वहां ठगी के खिलाफ सरकारों को एक बीमे का इंतजाम करना चाहिए। चूंकि सरकार और बैंक जानकारियों को इकट्ठा करती हैं, और इन्हीं में जमा पैसों की ठगी होती है, इसलिए ठगी गई रकम का मुआवजा या तो सरकारें खुद लोगों को दें, या फिर ऐसे बीमे का इंतजाम करें जिससे नुकसान की भरपाई हो सके। बैंकों को भी अपने ग्राहकों से होने वाली ठगी के खिलाफ बीमे और मुआवजे का इंतजाम करना चाहिए। आज जब मौसम की मार से फसल को होने वाले नुकसान का बीमा होता है, तो लोगों की बैंक खातों की जमा रकम ठग लिए जाने के खिलाफ बीमा क्यों नहीं हो सकता?

यहां पर इस बात पर विचार की जरूरत भी है कि लोगों के आधार कार्ड, पेनकार्ड, वोटर आईडी, ड्राइविंग लाइसेंस जैसी बहुत सारी शिनाख्त की जानकारी सरकार ने एक-दूसरे से जुड़वा दी है। इसके बाद तरह-तरह की सरकारी योजनाओं के लिए ऑनलाईन रजिस्ट्रेशन की जरूरत पड़ती है। केन्द्र सरकार की एक-एक योजना में सौ-पचास करोड़ लोगों की जानकारी जमा है। अब आम लोगों से ऐसी जानकारी के साथ जुड़ी रहने वाली हिफाजत की कड़ी जरूरत को पूरा करने की उम्मीद नहीं की जा सकती। आम हिन्दुस्तानी की जिंदगी इतनी डिजिटल जागरूकता वाली नहीं है कि वे पूरी सावधानी बरत सकें। दूसरी तरफ ठगों ने बहुत मामूली से कम्प्यूटरों और मोबाइल फोन से इन जानकारियों को चुरा लेने का तरीका निकाल लिया है, और लोगों को धोखा देना उनके लिए एक आसान काम हो गया। यह नौबत बड़ी खतरनाक है क्योंकि सरकार की इकट्ठा की गई जानकारी इतनी अधिक है कि उसमें जरा सी घुसपैठ भी करोड़ों लोगों की हर जानकारी मुजरिमों के हाथ दे सकती है। बीच-बीच में ऐसी खबरें आती हैं कि मुजरिमों के बीच इस्तेमाल होने वाले डार्क-वेब पर जानकारी बिकने के लिए आती रहती है, हालांकि अभी तक ऐसी सनसनी सही साबित नहीं हुई है। लेकिन बड़े पैमाने पर न सही, इक्का-दुक्का लोगों को ठगने लायक जानकारी कहीं न कहीं से निकलती ही है, चाहे उन लोगों से खुद से ही क्यों न निकले। ऐसे में सरकार के जागरूकता अभियान की जरूरत तो ठीक है, लेकिन इतने व्यापक स्तर पर इतनी जागरूकता नहीं फैल सकती कि लोग ठगी के शिकार न हों। 

फिर एक बात यह भी है कि मोबाइल फोन पर तमाम संदेश सरकार की निगरानी और पहुंच के भीतर रहते हैं। ठगी के कुछ प्रचलित तरीके हैं जो कि पुलिस रिपोर्ट से सामने आ जाते हैं। केन्द्र सरकार को ऐसा एक निगरानीतंत्र बनाना चाहिए जो कि मोबाइल फोन और इंटरनेट से होने वाली ठगी के पहले ही उस पर निगरानी रखे, और समय रहते मुजरिमों को पकड़ा जाए। कुल मिलाकर यह सरकार के हिस्से की कमी और कमजोरी दिख रही है कि लोग ठगे जा रहे हैं। आज सरकार के ही नियम लोगों को नगद लेन-देन से रोकते हैं, घर में नगदी रखने से रोकते हैं, और जब सारा लेन-देन डिजिटल करने के लिए सरकार ने कमर कस ली है, तो फिर उसे ठगी के खिलाफ जनता को हिफाजत देने का इंतजाम भी करना चाहिए। 

(क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक) 

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