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क्या विपक्ष को एकजुट कर पाई दो मुख्यमंत्रियों की गिरफ्तारी, आगे क्या हैं चुनौतियां?
01-Apr-2024 1:51 PM
क्या विपक्ष को एकजुट कर पाई दो मुख्यमंत्रियों की गिरफ्तारी, आगे क्या हैं चुनौतियां?

फैसल मोहम्मद अली

‘जब जब मोदी डर जाता है, ईडी को आगे लाता है।’

केंद्रीय एजेंसी ईडी के ख़िलाफ़ नारे भी लगे और आधा दर्जन से अधिक नेताओं के भाषणों में उसके कथित दुरुपयोग का जि़क्र भी बार-बार आया।

लेकिन रविवार को दिल्ली के रामलीला मैदान में हुई लोकतंत्र बचाओ रैली में तृणमूल कांग्रेस नेता डेरेक ओ ब्रायन के बयान का जि़क्र ख़ासतौर पर ज़रूरी है।

अपने संक्षिप्त भाषण में तृणमूल कांग्रेस ने दावा किया कि ‘टीएमसी इंडिया गठबंधन का हिस्सा था, है और रहेगा।’

डेरक ओ ब्रायन के बयान को क्या अरविंद केजरीवाल की गिरफ़्तारी के बाद तृणमूल कांग्रेस के स्टैंड में बदलाव के तौर पर देखा जाना चाहिए या ये महज़ एक बयान है, अभी इसका सिफऱ् अंदाज़ा ही लगाया जा सकता है।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी ने पश्चिम बंगाल की कुल 42 लोकसभा सीटों पर अकेले ही चुनाव लडऩे का फै़सला किया है जबकि वो शुरु से ही इंडिया गठबंधन का हिस्सा रही है।

मल्लिकार्जुन खडग़े की सीख

मगर इस बयान को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े के भाषण से जोडऩे पर कई नई मायने सामने आते हैं।

कांग्रेस के इस वयोवृद्ध नेता ने अपनी स्पीच के लगभग अंत में कहा, ‘पहले एक होने की सीखो, एक दूसरे को तोडऩा मत सीखो।’

हालांकि अस्सी साल से अधिक उम्र के कांग्रेस नेता ने साथ में ये भी कहा कि गठबंधन में विविधता है मगर बड़े उद्देश्यों को लेकर विपक्षी दल साथ हैं। वामपंथी दलों के नेता डी राजा और सीताराम येचुरी की तरफ़ इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि केरल में हम लड़ते हैं पर बड़े उद्देश्यों के लिए साथ आते हैं।

यही बात उन्होंने पंजाब और आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के रिश्तों को लेकर भी कही।

तमाम कोशिशों के बावजूद पंजाब में दोनों दलों के बीच लोकसभा चुनावों को लेकर किसी तरह का समझौता नहीं हो सका।

रामलीला मैदान में भी रविवार को आप पार्टी और कांग्रेस कार्यकर्ता अलग-अलग समूहों में खड़े दिखे। आप कार्यकर्ताओं की पीली टी-शर्ट और टोपियां मैदान में ख़ूब दिखीं और उसके कार्यकर्ता और समर्थक पानी बांटने से लेकर लोगों को रास्ता दिखाते नजऱ आए।

हालांकि इन कार्यकर्ताओं में भी उनकी तादाद अधिक थी जो पंजाब से आए थे। काफ़ी तो बरनाला जि़ले के अलग-अलग गांवों से थे। छत्तीसगढ़ और तमिलनाडु से आए इक्का-दुक्का कार्यकर्ताओं से हमारी मुलाक़ात हुई।

गिरफ़्तारी से नहीं बन सका विपक्ष पर दबाव

अगर नरेंद्र मोदी सरकार को ये लगा था कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की कथित शराब घोटाले में गिरफ्?तारी विपक्ष पर दबाव बना पाएगी तो वो असर रविवार को रामलीला मैदान में हुई रैली में नहीं दिखा।

‘लोकतंत्र बचाओ रैली' के नाम से हुई इस रैली में न सिफऱ् तमिलनाडु से लेकर कश्मीर और महाराष्ट्र तक के राजनीतिक दल झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमेंत सोरेन और अरविंद केजरीवाल की गिरफ़्तारी के विरोध में एकजुट दिखे बल्कि कार्यक्रम शुरु होने तक रामलीला मैदान खचाखच भर गया था।

दिल्ली में विपक्षी एकजटुता का ये कार्यक्रम ठीक उसी दिन हुआ जिस दिन प्रधानमंत्री ने उत्तर प्रदेश के मेरठ से बीजेपी का चुनावी शंखनाद किया।

मल्लिकार्जुन खडऩे ने अपनी स्पीच में बीजेपी और आरएसएस को ज़हर के समान बताया और लोगों से उन्होंने कहा कि इसे चाटकर टेस्ट करने की कोशिश भी न करें क्योंकि वो भी जानलेवा हो सकता है।

राहुल गांधी के बाद वो उन चंद बड़े कांग्रेसी नेताओं में होंगे जिसने सीधे तौर पर आरएसएस का नाम इस रूप में लिया है।

फ़ारूक़ अब्दुल्लाह का चुनावी बॉन्ड की तरफ़ इशारा

जम्मू-कश्मीर के पू्र्व मुख्यमंत्री फ़ारूक़ अब्दुल्ला और राहुल गांधी ने अपने-अपने ढंग से कहा कि संविधान पर ख़तरा मंडरा रहा है।

राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग और दूसरी संस्थाओं से मिलकर मोदी सरकार इस पूरे चुनाव को फिक्स मैच की तरह करवाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि उनका मक़सद ये है कि वो संविधान को पूरी तरह से बदलना चाहते हैं।

हालांकि उन्होंने साफ़ किया कि उनकी ऐसी कोशिश कामयाब नहीं होगी क्योंकि इससे देश के टूटने का ख़तरा पैदा हो जाएगा।

वहीं फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने अपनी स्पीच में उस बात का जि़क्र किया जिसमें छह सौ से अधिक वकीलों ने मुख्य न्यायधीश को ख़त लिखकर न्यायपालिका पर धब्बा लगाये जाने के आरोप लगाये हैं।

ये चि_ी इन वकीलों ने देश की सबसे ऊंची अदालत के उस फ़ैसले के बाद भेजी है जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड को ग़ैरक़ानूनी बताया था और बॉन्ड जारी करनेवाली कंपनी स्टेट बैंक को हुक्म दिया था कि वो बॉन्ड और उससे संबंधित सारी जानकारियां सार्वजनिक करे।

इसके बाद इस तरह की रिपोर्टें आईं हैं काफी कंपनियों ने छापों और गिरफ्तारियों के बाद बीजेपी को चंदा दिया है। विपक्ष का आरोप है कि ऐसा दबाव बनाने की वजह से हुआ है।

केजरीवाल की तरफ़ से सुनीता केजरीवाल के वादे

समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने हेमंत सोरेन और अरविंद केजरीवाल की गिरफ़्तारी पर जर्मनी, अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र की प्रतिक्रिया की बात करते हुए कहा कि इससे दुनिया में भारत की बेइज्ज़ती हुई है।

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कभी बीजेपी के सहयोगी दल रहे शिव सेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने मिली-जुली सरकार की बात कही।

हालांकि सुनीता केजरीवाल के भाषण की बात आखऱिी समय में सामने आई मगर उसमें उन्होंने अरविंद केजरीवाल के एक खत के ज़रिये गरीबों को मुफ्त बिजली से लेकर आप की सरकार बनने पर दिल्ली को पू्र्ण राज्य का दर्जा दिलाने जैसा वायदा किया था।

सुनीता केजरीवाल ने अरविंद केजरीवाल की तरफ़ से ये भी कहा कि उन्हें उम्मीद है कि दूसरे सहयोगी दल उनसे बिना विचार-विमर्श के किए गए इन वादों को लेकर बुरा नहीं मानेंगे।

सुनीता केजरीवाल का ये भी कहना था कि अरविंद केजरीवाल ने इन वादों पर आनेवाले ख़र्च का पैसा कहां से आएगा इसको लेकर पूरी रुपरेखा तैयार कर ली है।

रविवार को रामलीला मैदान में अपनी बातचीत में सुनीता केजरीवाल में पहले से अधिक आत्मविश्वास दिखा – पिछले हफ्तेभर में जनता से सीधे तौर पर उनका ये तीसरा संवाद है।

सपा के कार्यकर्ता नहीं, कांग्रेसी भीड़ तक सीमित

इसी रामलीला मैदान में 2010-2011 में भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ अरविंद केजरीवाल और सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हज़ारे और अन्य लोगों ने धरना-प्रदर्शन और अनशन किया था जिसके निशाने पर उस वक्त की कांग्रेस की मनमोहन सिंह सरकार थी।

कांग्रेस कार्यकर्ताओं से इस बाबत पूछने पर वो कहते रहे कि पूरे मामले में जिस तरह से चुनाव के बिल्कुल पहले कार्रवाई की जा रही है उन्हें उसको लेकर शिकायत है।

कांग्रेस कार्यकर्ताओं का ज़ोर भीड़ तक ही सीमित था, पानी पिलाने तक का काम आप पार्टी के कार्यकर्ता कर रहे थे। दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश से आने के बावजूद सपा का कोई भी वोलंटियर वहां नहीं दिखा।

और तमाम दावों के बावजूद विपक्षी एकजुटता और उसके चेहरे को लेकर अभी तक स्थिति साफ़ नहीं दिखती। चुनावी महीने की शुरुआत हो चुकी है और यही विपक्षी गठबंधन के सामने बड़ी चुनौती है। (bbc.com/hindi)

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