विचार / लेख
‘मेरा शुरू से यह दृष्टिकोण रहा है कि भगवान श्री राम का मंदिर बने, न्योता मिले और कांग्रेस ने न्योते को अस्वीकार कर दिया, मैं इसे स्वीकार नहीं कर सकता। गठबंधन के नेताओं ने सनातन पर प्रश्न उठाए, कांग्रेस द्वारा उसका जवाब क्यों नहीं दिया गया? मैं आज भाजपा में शामिल हुआ और मुझे उम्मीद है कि मैं अपनी योग्यता, ज्ञान का प्रयोग भारत को आगे ले जाने में करूंगा।’
‘सत्य अकाट्य है। द्वेष इस पर हमला कर सकता है, अज्ञानता इसका उपहास उड़ा सकती है, लेकिन अंत में विजय सत्य की ही होती है। भ्रष्टाचारी देश का पैसा लूट कर विदेश भाग गए और भ्रष्टाचार के जो भी आरोपी देश में बचे हैं, वे भाजपा के ‘वॉशिंग पाउडर’ में धुल कर संस्कारी बन रहे हैं। लेकिन, याद रखना ये राहुल गांधी जी हैं। ना झुके थे, ना झुके हैं और ना झुकेंगे।’
कल तक कांग्रेस में रहे और अब भारतीय जनता पार्टी के हो चुके प्रोफ़ेसर गौरव वल्लभ ने ही ये दोनों बातें अलग-अलग देश, काल और परिस्थितियों में कही हैं। जाहिर है कि राजनीति में देश, काल और परिस्थितियां हमेशा एक जैसी नहीं रहती हैं।
पहला बयान उन्होंने भारतीय जनता पार्टी की सदस्यता लेने के बाद अपनी नई पार्टी के मंच से गुरुवार को दिया है। दूसरा स्टेटमेंट थोड़ा पहले का है। पिछले साल जुलाई की सात तारीख को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर उन्होंने ये पोस्ट किया था।
प्रोफ़ेसर गौरव वल्लभ को कांग्रेस पार्टी के उभरते हुए तेज़तर्रार नेताओं में शुमार किया जाता था। पिछले दिनों वे राजस्थान विधानसभा की उदयपुर सीट से चुनाव भी लड़े थे जिसमें उन्होंने सफलता नहीं मिली थी।
इस्तीफ़ा और कांग्रेस पर आरोप
गुरुवार को कांग्रेस का हाथ छोडऩे के कुछ ही घंटों के भीतर गौरव वल्लभ ने भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया।
इस्तीफ़े का एलान करते हुए उन्होंने एक्स पर उन्होंने कांग्रेस पर कुछ आरोप लगाए और पार्टी छोडऩे की वजह बताई।
उन्होंने लिखा, ‘कांग्रेस पार्टी आज जिस प्रकार से दिशाहीन होकर आगे बढ़ रही है, उसमें मैं ख़ुद को सहज महसूस नहीं कर पा रहा। मैं ना तो सनातन विरोधी नारे लगा सकता हूं और ना ही सुबह-शाम देश के वेल्थ क्रिएटर्स को गाली दे सकता। इसलिए मैं कांग्रेस पार्टी के सभी पदों व प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफ़ा दे रहा हूं।’
उन्होंने पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े को दिए गए इस्तीफ़े में लिखा है, ‘पार्टी नए भारत की आकांक्षा को बिल्कुल नहीं समझ पा रही है। इससे मेरे जैसा कार्यकर्ता हतोत्साहित महसूस कर रहा है। मैं राम मंदिर पर पार्टी के स्टैंड से क्षुब्ध हूं। मैं कर्म से हिंदू हूं। मैं सनातन विरोधी नारे नहीं लगा सकता। पार्टी और गठबंधन के कई लोग सनातन विरोधी नारे लगाते हैं और पार्टी का उस पर चुप रहना उसे मौन स्वीकृति देने जैसा है।’
कौन हैं गौरव वल्लभ
गौरव वल्लभ का परिचय सिफऱ् इतना नहीं है कि वे प्रवक्ताओं की कमी से जूझ रही कांग्रेस के मुखर वक्ताओं में गिने जाते थे।
उन्हें अक़सर ही टेलीविजन चैनलों के न्यूज़रूम में कांग्रेस का पक्ष ज़ोरदार तरीके से रखते हुए देखा जाता था।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर उनका बायो उनके बारे में काफी कुछ कहता है।
राजनीति में आने से पहले पेशे से प्रोफ़ेसर रहे गौरव वल्लभ के रिज्यूमे में उनके नाम कई अकादमिक उपलब्धियां हैं।
फिनांस, चार्टर्ड एकाउंटेंट, कंपनी सेक्रेटरी, पीएचडी, एमकॉम, एलएलबी जैसी चीज़ों का कॉम्बिनेशन किसी राजनेता के रिज्यूमे में एक साथ मिले, कम देखा जाता है।
चुनावी राजनीति में जगह बनाने की कोशिश
लेकिन चुनावी राजनीति में गौरव वल्लभ और कामयाबी के बीच लंबे समय से दूरियां बनी हुई हैं।
उन्होंने झारखंड विधानसभा का पिछला चुनाव कांग्रेस के टिकट पर लड़ा था। उस वक़्त गौरव वल्लभ जमशेदपुर पूर्वी सीट से झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास के खिलाफ प्रत्याशी बने थे।
हालिया संपन्न हुए राजस्थान विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने उन्हें उदयपुर से उम्मीदवार बनाया था।
रांची में मौजूद बीबीसी के सहयोगी पत्रकार रवि प्रकाश बताते हैं कि वे मूलत: राजस्थान के जोधपुर के रहने वाले हैं और जमशेदपुर के जानेमाने मैनेजमेंट कॉलेज एक्सएलआरआई में प्रोफ़ेसर रहे हैं।
रवि प्रकाश का कहना है कि गौरव वल्लभ झारखंड से वैसा पॉलिटिकल कनेक्ट नहीं बना पाए जो चुनाव जीतने के लिए ज़रूरी था, इसी वजह से उन्हें कामयाबी नहीं मिल पाई जिसके बाद उन्होंने उदयपुर से हाथ आजमाया।
रवि प्रकाश ने एक और पहलू की ओर ध्यान दिलाया कि झारखंड से भारतीय जनता पार्टी अपने सभी प्रत्याशियों की घोषणा कर चुकी है और इस राज्य में किसी का टिकट काटकर उन्हें प्रत्याशी बनाए जाने की संभावना कम ही है।
बीजेपी में जाने के सवाल पर पहले क्या कहा था
साल 2019 के झारखंड विधानसभा चुनावों के दौरान बीबीसी हिंदी ने गौरव वल्लभ से बात की थी।
इंटरव्यू के दौरान बीबीसी संवाददाता रजनीश कुमार ने उनसे पूछा-क्या भविष्य में बीजेपी आपको अच्छी लग सकती है?
गौरव वल्लभ का जवाब था, ‘मुझे नहीं लगता। अगर ऐसा होता, तो मैं एक ऐसी पार्टी को नहीं चुनता जिसकी लोकसभा में सिफऱ् 44 सीटें हें।’
उनसे ये सवाल फिर दोहराया गया-‘आप पूरी कनविक्शन के साथ कह रहे हैं कि बीजेपी में नहीं जाएंगे?’
‘बिल्कुल। 100 पर्सेंट। बिल्कुल आपके कैमरे में देखकर भी बोलता हूँ। और आपकी आँखों में आँखें डालकर भी।’
‘विचारधारा के स्तर पर मेरे लिए चार चीज़ें महत्वपूर्ण हैं - लिबरल विचार, बौद्धिकता की ओर अग्रसर समाज, काम करने की आज़ादी और इन्क्लूसिवनेस।’ (bbc.com/hindi)