विचार / लेख
शैलेंद्र शुक्ला
ऐसा अनुमान है कि शायद 2024 का लोकसभा चुनाव जीतने के बाद मोदी जी वास्तव में भ्रष्टाचार के विरूद्ध सख़्त कदम उठाते हुए 500 का नोट बंद ही कर दें! जैसा 2000 का नोट बंद करते समय एक्सचेंज की जगह सीधे बैंक खाते में जमा करने का प्रावधान था वैसा ही 500 रुपये का नोट बंद करने का फ़ैसला लिया जाय।
अधिकांश छोटे-बड़े ट्रांजेक्शन वैसे ही डिजीटल माध्यम से होने लगे हैं । बड़े शहरों, दुकानों, शोरूम, टैक्सी, होटलों आदि सभी क्षेत्रों में क्यू-आर कोड माध्यम से विनिमय हो रहा है । बैंकों के सभी बड़े लेनदेन आर-टी-जी-एस या एन-ई-एफ-टी माध्यम से हो रहे हैं। अरबों रुपये का व्यापार, व्यवसाय ऑनलाइन विनिमय से होने लगा है । बड़े कैश-लेनदेन व रियल स्टेट में दो नम्बर व भ्रष्टाचार के लेनदेन के लिए ही बड़े नोटों के बंडल की आवश्यकता होती है। लोहे व कोयले के दो-नम्बर व्यापार में भी बड़े नोट के बंडल लगते हैं । इसके अलावा हीरे-सोने का व्यवसाय जो अधिकांशत: बिना बिल का है, वो कैश में ही हो रहा है । हवाला द्वारा ट्रांसफर किया जाने वाला लेनदेन कैश में ही होता है । कैश लेनदेन में 500 रूपये नोट की अहं भूमिका/ महत्व है।
यदि 500 रुपये का नोट बंद हो जाये तो भ्रष्टाचार लगभग असंभव हो जायेगा । किसी ने दो-पांच करोड़ भी घूस के माँगे तो उसे देने के लिए दो-दो सौ रुपये के पचास हज़ार से लेकर एक लाख पचास हज़ार नोट लगेंगे जिसे किसी बड़े वाहन या लोडिंग ऑटो में ले जाना पड़ेगा । पचास-सौ करोड़ रुपये तो देना ही मुश्किल हो जायेगा । सोने-हीरों की दुकानों में नकद राशि का लेनदेन असंभव हो जायेगा । ज़ेवरों के प्रदर्शन रैक से ज़्यादा नकदी रखने की जगह लगेगी। रियल-स्टेट में रियल भाव पर सम्पत्ति बिकने लगेगी ।
मतदाताओं को कोई भी पार्टी पैसे नहीं बाँट पायेंगी । नक्सलियों व आतंकवादियों को पैसा पहुँचाना दुर्लभ हो जायेगा । छोटे या दूरदराज़ के क्षेत्रों में छोटे-मोटे व्यापार के लिए सौ-दो सौ के नोट तो रहेंगे ही । सीधे साधे व्यापार के लिये तो कैश विशेष कर पाँच सौ के नोट की कोई उपयोगिता है ही नहीं!
विचार करना चाहिए कि देश में भ्रष्टाचार रोकने के लिये यह उपाय कितना सार्थक हो सकता है?