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रोहिणी आचार्य : पिता लालू प्रसाद यादव के गढ़ रहे सारण को वापस पाना बेटी के लिए कितनी बड़ी चुनौती
09-Apr-2024 2:46 PM
रोहिणी आचार्य : पिता लालू प्रसाद यादव के गढ़ रहे सारण को वापस पाना बेटी के लिए कितनी बड़ी चुनौती

चंदन कुमार जजवाड़े

बिहार की सारण लोकसभा सीट पर आरजेडी ने लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य को चुनाव मैदान में उतारा है।

करीब डेढ़ साल पहले पिता लालू प्रसाद यादव को अपनी एक किडनी दान देने के बाद रोहिणी आचार्य सुर्खियों में आई थीं।

अब रोहिणी के सामने सारण की उस लोकसभा सीट को जीतने की चुनौती है, जहाँ से लालू पहली बार सांसद बने थे, लेकिन पिछले दो चुनावों से इस सीट पर बीजेपी का कब्ज़ा है।

रोहिणी का इस सीट पर सीधा मुकाबला बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूड़ी से माना जा रहा है। रूड़ी साल 2014 से ही लगातार इस सीट से सांसद हैं।

खास बात यह है कि सारण सीट को लालू प्रसाद यादव का गढ़ माना जाता है। वो 4 बार इस सीट से सांसद रहे हैं।

इस लिहाज से सारण सीट पर रूड़ी का मुकाबला लगातार लालू या उनके परिवार के किसी सदस्य से रहा है। इसी सिलसिले में अब लालू की बेटी रोहिणी आचार्य पहली बार चुनाव मैदान में हैं।

रोहिणी आचार्य ने बीबीसी से बातचीत में कहा है, ‘राजनीति मेरे लिए नई चीज नहीं है। मैं बचपन से यह सब देखती आई हूँ। मैं राजनीतिक परिवार से हूँ। माँ-पिताजी और भाई राजनीति में पहले से हैं। मुझे सारण की जनता से जो प्यार मिला है, उससे मैं हैरान हूँ। इस तेज धूप में इतने लोग स्वागत में आए हैं।’

बीजेपी के कब्जे में लालू का पुराना गढ़

इस सीट पर ग्रामीण इलाक़ों में लालू प्रसाद यादव का समर्थन स्पष्ट तौर पर दिखता है। यहाँ रोहिणी आचार्य को देखने के लिए सडक़ों पर लोगों की भीड़ भी नजर आती है। रोहिणी को लेकर महिला वोटरों के बीच भी खासा उत्साह दिखता है।

साल 1977 में पहली बार लालू प्रसाद यादव इसी इलाक़े से लोकसभा चुनाव जीतकर संसद पहुँचे थे। लालू ने उस वक़्त भारतीय लोकदल के टिकट पर चुनाव जीता था। उस समय यह सीट छपरा लोकसभा सीट कहलाती थी।

साल 2004 में छपरा लोकसभा सीट से लालू प्रसाद यादव ने बीजेपी के राजीव प्रताप रूड़ी को हराकर जीत दर्ज की थी।

लालू प्रसाद यादव ने आखिरी बार इस सीट से साल 2009 में लोकसभा चुनाव जीता था। उस समय भी लालू का मुक़ाबला राजीव प्रताप रूड़ी से ही हुआ था। साल 2008 में परिसीमन के बाद इस सीट का नाम ‘सारण’ लोकसभा सीट हो गया था।

उसके बाद रूडी ने पिछले यानी साल 2019 के लोकसभा चुनावों में लालू प्रसाद यादव के समधी चंद्रिका राय को इस सीट से हराया था। जबकि साल 2014 में राबड़ी देवी इस सीट से राजीव प्रताप रूडी से हार गई थीं।

हालाँकि बिहार में साल 2020 में हुए विधानसभा चुनावों में आरजेडी इस इलाके में अपनी पकड़ फिर से मजबूत करती दिखती है।

कौन हैं रोहिणी आचार्य

सारण लोकसभा क्षेत्र में छह विधानसभा सीट हैं। बिहार के पिछले विधानसभा चुनावों में 4 सीटों पर आरजेडी ने जीत दर्ज की थी, और दो बीजेपी के खाते में आई थीं। इनमें छपरा और अमनौर सीट बीजेपी के खाते में गई थी। जबकि मढ़ौरा, गरखा, परसा और सोनपुर सीट पर राष्ट्रीय जनता दल की जीत हुई थी।

रोहिणी आचार्य लालू प्रसाद यादव के नौ बच्चों में दूसरी संतान हैं। लालू की सबसे बड़ी बेटी मीसा भारती हैं। रोहिणी के बाद लालू की चार बेटियां हैं।

उसके बाद तेजप्रताप यादव और तेजस्वी यादव का जन्म हुआ। लालू की सबसे छोटी संतान उनकी बेटी राजलक्ष्मी हैं।

रोहिणी की शादी 24 मई 2002 को समरेश सिंह से हुई थी। समरेश सिंह सिंगापुर में ही आईटी सेक्टर में नौकरी करते हैं। शादी के कुछ समय बाद से ही रोहिणी अपने पति के साथ सिंगापुर में रह रही थीं। रोहिणी और समरेश सिंह के एक बेटी और दो बेटे हैं।

सिंगापुर में अपने परिवार के साथ घरेलू जिंदगी गुजारने वाली रोहिणी सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय रही हैं। वो भारत के सियासी मुद्दों पर अक्सर सोशल मीडिया पर केंद्र सरकार पर हमलावर दिखती हैं।

सारण लोकसभा क्षेत्र के सोनपुर इलाके में रोहिणी के स्वागत में बड़ी भीड़ बता रही थी कि इस इलाके में लालू प्रसाद यादव को अच्छा समर्थन मिल सकता है। यह गंगा के किनारे यादवों के बड़े गाँवों का इलाका है।

यहाँ चुनाव प्रचार के लिए घूम रही गाडिय़ों में रोहिणी आचार्य के लिए समर्थन मांगा जा रहा है। रोहिणी को देखने के लिए यहाँ महिलाएँ भी बड़ी संख्या में सडक़ों, छतों और गलियों में नजर आ रही थीं। हालाँकि इलाके में आज भी रोहिणी को कम और लालू-राबड़ी को ज़्यादा लोग जानते हैं।

सबलपुर गाँव की पार्वती देवी कहती हैं, ‘ये राबड़ी देवी की बेटी हैं। वोट मांगने आई हैं। हम चाहते हैं कि ये जीत जाएं। ये जीतेंगी तो हमारे लिए अच्छा होगा।’

इसी गाँव की एक अन्य महिला दुलारी देवी कहती हैं, ‘ये लालू यादव की बेटी हैं। गाँव में इनके लिए माहौल अच्छा है, वोट मिलेगा इनको।’

बिहार का यह इलाका राजनीतिक तौर पर काफी सजग नजर आता है। इस इलाके में कई लोगों का मानना है कि राजनीति में परिवारवाद को बेवजह मुद्दा बनाया जाता है, जबकि हर पार्टी में परिवारवाद मौजूद है।

हालाँकि यहाँ कई ऐसे लोग भी मिले जिनका मानना है कि बिहार में सीटों का बंटवारा और उम्मीदवारों का चयन और बेहतर हो सकता था। कुछ लोग मानते हैं कि पूर्णिया से पप्पू यादव को महागठबंधन का उम्मीदवार बनाना चाहिए था।

भूषण कुमार यादव कहते हैं, ‘बीजेपी ने भी टिकट के बंटवारे में एक भी महिला या मुसलमान को टिकट नहीं दिया है। रोहिणी आचार्य को हम लालू जी के नाम से जानते हैं। उन्होंने जो किडनी दान दिया है उसकी वजह से हिन्दुस्तान ही नहीं पूरी दुनिया में उनका नाम हो चुका है।’

रूडी के लिए कितनी बड़ी चुनौती

सारण लोकसभा क्षेत्र के शहरी इलाकों या कस्बों में बीजेपी और राजीव प्रताप रूड़ी के लिए भी बड़ा जनसमर्थन दिखता है। यानी इस सीट पर मुकाबला सीधे तौर पर आरजेडी और बीजेपी के बीच दिख रहा है।

इससे पहले भी इलाके में हाल के हर चुनाव में बीजेपी और आरजेडी के बीज ही मुक़ाबला देखा गया है।

साल 1996 के लोकसभा चुनावों में राजीव प्रताप रूडी छपरा (अब सारण) सीट से सबसे पहले लोकसभा चुनाव जीते थे। उन्होंने आरजेडी के लाल बाबू राय को हराया था।

साल 1998 में आरजेडी के हीरा लाल राय ने छपरा सीट से बीजेपी के राजीव प्रताप रूड़ी को लोकसभा चुनावों में मात दी थी।

साल 1999 के लोकसभा चुनावों में रूड़ी ने वापसी करते हुए हीरा लाल राय को चुनावी मैदान में मात दी थी।

माना जाता है कि लालू को किडनी दान देने के बाद रोहिणी आचार्य के प्रति लोगों की सांत्वना हो सकती है। राजीव प्रताप रूड़ी भी रोहिणी आचार्य के लिए काफी सधे हुए शब्दों का इस्तेमाल करते हैं।

रूड़ी के मुताबिक, ‘जो तीन दिन पहले चुनाव मैदान में आया हो उसके बारे में मुझे बहुत जानकारी नहीं है। हर पिता को ऐसी बेटी (रोहिणी) मिलनी चाहिए। बेटियाँ सबसे खूबसूरत और प्यारी होती हैं। लेकिन लड़ाई लालू प्रसाद यादव जी से है।’

रूड़ी आरोप लगाते हैं कि किसी को प्रत्याशी बनाकर लालू प्रसाद यादव काले चेहरे को छिपाना चाहते हैं और रोहिणी की तस्वीर के पीछे कौन है यह सारण की जनता जानती है।

सारण का समीकरण

दरअसल बीजेपी लगातार लालू प्रसाद यादव पर आरोप लगाती है कि लालू राज में बिहार का विकास ठप रहा और राज्य में अपराध का बोलबाला रहा है।

हालाँकि इन तमाम आरोपों के बाद भी भारतीय जनता पार्टी बीते तीन दशक से सियासी जमीन पर लालू प्रसाद यादव और आरजेडी को पूरी तरह मात देने में सफल नहीं हो पाई है।

चुनावी माहौल में सियासी मैदान पर आरोप हर तरफ से लगाए जाते हैं। बीजेपी के मुकाबले आरजेडी भी केंद्र सरकार और बीजेपी पर कई तरह के आरोप लगाती है। खासकर महंगाई और बेरोजग़ारी के मुद्दे को आरजेडी इन चुनावों में भी बढ़ चढक़र उठा रही है।

रोहिणी आचार्य आरोप लगाती हैं कि ‘रोजगार सबसे बड़ा मुद्दा है। मोदी अंकल ने कहा था कि सबको 15-15 लाख देंगे, दो करोड़ को हर साल नौकरी देंगे। लोग बेरोजग़ारी, भूखमरी सब देख रहे हैं, बीजेपी वॉशिंग मशीन वाली पार्टी है।’

साल 2019 के लोकसभा चुनावों के आँकड़ों के मुताबिक़ सारण लोकसभा क्षेत्र में 16 लाख से ज्यादा मतदाता थे। सारण के शहरी इलाक़ों और कस्बों में राजीव प्रताप रूड़ी का भी बड़ा समर्थन नजर आता है।

अमनौर के प्रेम कुमार कहते हैं, ‘रूड़ी जी ने यहाँ बहुत काम करवाया है। कोई बीमार पड़ता है तो पैसे दिलवाते हैं। इस इलाके में हम सब लोग उनके समर्थन में हैं।’

अमनौर के हर्ष कुमार का हाल ही में वोटर कार्ड बना है। वो इस लोकसभा चुनाव में पहली बार वोट डालने वाले हैं।

हर्ष का कहना है, ‘हम लोग केंद्र के चुनाव में मोदी जी को वोट देंगे। मोदी जी केंद्र में अच्छा काम कर रहे हैं। समय के हिसाब से हमारे इलाके में सडक़, बिजली सब ठीक हो गई है। धीरे-धीरे विकास हो रहा है।’

सारण सीट पर यादवों की आबादी करीब 25 फ़ीसदी मानी जाती है। इसके अलावा राजपूत वोटरों की तादाद भी करीब 23त्न है। इस सीट पर बनिया वोटर करीब 20त्न है और मुस्लिम वोटर भी 10त्न से ज्यादा हैं।

इस सीट पर हर उम्मीदवार का चुनावी समीकरण बिहार की तपती गर्मी पर भी निर्भर नजर आता है। पाँच साल पहले हुए लोकसभा चुनावों में भी इस सीट पर महज 56 फीसदी वोटिंग हुई थी।

अप्रैल के महीने में ही राज्य में गर्मी का सितम शुरू हो चुका है। इस बार के लोकसभा चुनावों में सारण सीट पर पाँचवें चरण में 20 मई को वोट डाले जाएंगे।

उस वक्त के मौसम पर भी यह निर्भर करेगा कि किस उम्मीदवार के पक्ष में कितने लोग घरों से निकलकर वोट डालने आते हैं। (bbc.com/hindi)

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